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प्रधानमंत्री मोदी मॉस्को के बाद ऑस्ट्रिया जाएंगे

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राम यादव

, शनिवार, 6 जुलाई 2024 (15:34 IST)
PM Modi to Visit Austria : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 5 वर्षों के अंतराल के बाद अपनी पहली मॉस्को यात्रा के पश्चात ऑस्ट्रिया जाएंगे। ऑस्ट्रिया के चांसलर (प्रधानमंत्री) के कार्यालय ने वहां की समचार एजेंसी 'एपीए' के माध्यम से सूचित किया है कि प्रधानमंत्री मोदी संभवत: मंगलवार 9 जुलाई से बुधवार 10 जुलाई तक ऑस्ट्रिया की राजधानी वियेना में रहेंगे।
 
अपनी मॉस्को यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बातचीत करेंगे। वियेना में वे ऑस्ट्रिया के संघीय चांसलर कार्ल नेमर और राष्ट्रपति अलेक्सांदर फ़ान देयर बेलेन से मुलाकात करेंगे। 41 वर्षों के अंतराल के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली ऑस्ट्रिया यात्रा होगी।
 
ऑस्ट्रियन चांसलर के कार्यालय ने समाचार एजेंसी 'एपीए' को बताया कि प्रधानमंत्री मोदी, मंगलवार 9 जुलाई को वियेना पहुंचेंगे। ऑस्ट्रिया के चांसलर कार्ल नेमर के साथ मुलाकात के बाद बुधवार को सुबह 11.15 बजे चांसलर भवन में ही एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दोनों नेता पत्रकारों को संबोधित करेंगे। दोपहर 2 बजे ऑस्ट्रिया के राष्ट्रपति फ़ान देयर बेलेन भारतीय प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत करेंगे। दोनों पक्षों के बीच वार्ता के केंद्र में 'विशेष रूप से आर्थिक एवं प्रौद्योगिकी संबंधी क्षेत्रों सहित द्विपक्षीय संबंधों की गहनता' होगी।
 
राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ : ऑस्ट्रिया और भारत इस वर्ष अपने बीच राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। समझा जाता है कि मॉस्को के बाद प्रधानमंत्री मोदी की ठीक इस समय ऑस्ट्रिया यात्रा का यही मुख्य कारण है। इस यात्रा के द्वारा, जिसकी इससे पहले कोई चर्चा सुनने में नहीं आई थी, भारत के प्रधानमंत्री दुनिया को संभवत: यह संकेत भी देना चाहते हैं कि भारत, दुनिया के बड़े और नामी देशों को ही नहीं, ऑस्ट्रिया जैसे गुमनामी छोटे देशों को भी महत्व देता है।
 
केवल 92 लाख की जनसंख्या और क़रीब 84 हज़ार वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाला ऑस्ट्रिया अपने पड़ोस के जर्मनी, इटली या फ्रांस जैसे यूरोपीय देशों की अपेक्षा एक बहुत छोटा देश है। अपने उत्तरी पड़ोसी जर्मनी की तरह ही ऑस्ट्रिया भी एक जर्मनवंशी और जर्मन भाषी देश है।
 
आल्प्स पर्वतों की गोद में बसा यह देश उसी प्रकार के नयनाभिराम प्राकृतिक सौन्दर्यों से भरपूर है जिस प्रकार के सौन्दर्यों के लिए उसका पड़ोसी स्विट्ज़रलैंड विख्यात है। ऑस्ट्रिया भी एक समय यूरोप का एक प्रसिद्ध साम्राज्य रह चुका है। उसकी राजधानी वियेना की सुंदरता, फ्रांस की राजधानी पेरिस से कतई कम नहीं है।
 
द्विपक्षीय प्रवासन समझौता : ऑस्ट्रिया के अर्थमंत्री मंत्री मार्टिन कोख़र ने इस वर्ष फरवरी में भारत का दौरा किया था। वहां के विदेश मंत्री अलेक्सांदर शालेनबर्ग ने मई 2023 में अपने भारतीय समकक्ष सुब्रमण्यम जयशंकर के साथ द्विपक्षीय प्रवासन समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते का उद्देश्य एक तरफ भारत से यूरोप की दिशा में अवैध आप्रवासन की रोकथाम करना है तो दूसरी तरफ भारत के कुशलकर्मियों के लिए ऑस्ट्रिया में नौकरियां पाना आसान बनाना है।
 
यूरोप-अमेरिका के सारे मीडिया की तरह ऑस्ट्रिया का मीडिया भी भारत के प्रधानमंत्री के नाम के साथ हमेशा 'हिन्दू राष्ट्रवादी' होने का विशेषण जोड़ने से चूकता नहीं, मानो 'हिन्दू' होना और ऊपर से 'राष्ट्रवादी' भी होना दुनिया का सबसे घृणित दोहरा अक्षम्य अपराध है। मानो पश्चिमी देशों के नेताओं का न तो कोई रिलीजन होता है और न वे देशभक्त होते हैं।
 
पश्चिमी मीडियाकर्मी और नेता भी भूल जाते हैं कि वे भी अपने आपको ईसाई बताते हैं। उनके भी अपने राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रगान और राष्ट्रीय पर्व हैं। राष्ट्रवादी होना यदि इतना ही घृणित है तो अपने इन राष्ट्रवादी प्रतीकों को वे अब तक त्याग क्यों नहीं चुके?
 
पश्चिमी देशों की दुखती रग : इन पश्चिमी देशों की सबसे अधिक दुखती रग यह है कि नरेन्द्र मोदी लगातार 10 वर्षों से दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और सबसे अधिक जनसंख्या वाले उस भारत की सरकार के एकछत्र मुखिया हैं जिसे ये देश (आज के पाकिस्तान की तरह कुछ समय पहले तक) 'विकास सहायता' देने पर गर्व किया करते थे।
 
इन 10 वर्षों में भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो राजनीतिक और आर्थिक महारत मिली है, उसे ये पश्चिमी देश और उनके मीडिया न तो अनदेखा कर पा रहे हैं और न पचा पा रहे हैं। वे तिलमिलाकर रह जाते हैं कि भारत, यूक्रेन पर आक्रमण करने वाले रूस और रूस का साथ दे रहे चीन के प्रसंग में उनकी हां में हां नहीं मिलाता। वे चाहकर भी इसके लिए भारत को दंडित भी नहीं कर पा रहे हैं।
 
वियेना पहुंचने से ठीक पहले प्रधानमंत्री मोदी रूस के मेहमान होंगे। 1 महीने पहले अपना तीसरा कार्यकाल शुरू होने के बाद से रूस और ऑस्ट्रिया की यात्रा उनकी पहली विदेश यात्रा होगी। यह ऑस्ट्रिया की उनकी पहली आधिकारिक यात्रा भी होगी।
 
ऑस्ट्रिया के चांसलर कार्ल नेमर, प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा को यूक्रेन संकट के प्रति ऑस्ट्रिया की 'सक्रिय भूमिका' की मान्यता के रूप में देखते हैं। वे यूक्रेन युद्ध के किसी शांतिपूर्ण समाधान के लिए 'ब्रिक्स' देशों को अपने साथ लाना चाहते हैं। भारत के अलावा ब्राजील, चीन और दक्षिण अफ्रीका भी 'ब्रिक्स' के संस्थापक सदस्य देश हैं।
 
आर्थिक संबंधों का विस्तार : प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा का एक और उद्देश्य आर्थिक संबंधों का विस्तार है। ऑस्ट्रिया के चांसलर कार्यालय का कहना है कि 2023 में लगभग 2.7 अरब यूरो के बराबर द्विपक्षीय व्यापार के साथ यूरोपीय संघ के बाहर के देशों में भारत, अब ऑस्ट्रिया के सबसे महत्वपूर्ण व्यापारिक भागीदारों में से एक बन गया है। भारत को ऑस्ट्रिया का निर्यात लगातार बढ़ रहा है।
 
ऑस्ट्रिया के राष्ट्रीय बैंक (OeNB) के आंकड़ों के अनुसार 2023 के अंत में भारत में ऑस्ट्रियाई प्रत्यक्ष निवेश 73 करोड़ 30 लाख यूरो के बराबर था जबकि ऑस्ट्रिया में भारतीय प्रत्यक्ष निवेश 1 अरब 60 करोड़ यूरो तक पहुंच गया था। प्रधानमंत्री मोदी के साथ एक भारतीय व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल भी वियेना पहुंचेगा। दोनों देशों के बीच बढ़ते हुए आर्थिक संबंधों के परिप्रेक्ष्य में एक द्विपक्षीय आर्थिक मंच की योजना बनाई गई है।
 
(इस लेख में व्यक्त विचार/ विश्लेषण लेखक के निजी हैं। इसमें शामिल तथ्य तथा विचार/ विश्लेषण 'वेबदुनिया' के नहीं हैं और 'वेबदुनिया' इसकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेती है।)

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