पेरिस। काले धन को वैध बनाने पर कड़ी नजर रखने, इससे जुड़े मामलों पर विधायी, नियामक और संचालनात्मक उपाय सुझाने वाली अंतर सरकारी संस्था 'द फायनेंशियल एक्शन टॉस्क फोर्स (एफएटीएफ) ने आतंकवाद को वित्त पोषित करने के लिए पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखने का फैसला किया।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि अब आतंकवाद को वित्त पोषित करने के पाकिस्तान के मामले की गहनता से जांच की जाएगी। इस मामले में चीन ने अपना विरोध वापस लेते हुए कहा कि सर्वसम्मति से इस मामले में फैसला लिया जाना चाहिए।
इससे पहले अंतरराष्ट्रीय सहयोग समीक्षा समूह (आईसीआरजी) की बैठक में इस मामले में कोई भी सहमति नहीं बन सकी थी और पाकिस्तान ने इसे अपनी जीत के तौर पर लिया था। उसके इस दावे पर अमेरिका और भारतीय अधिकारियों ने कहा था कि अभी इस तरह का दावा करना जल्दबाजी होगा और अंतिम निर्णय आना बाकी है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा एम. आसिफ ने टवीट् करते हुए कहा था कि अंतरराष्ट्रीय संस्था को विश्वास दिलाने के लिए अभी उसे तीन माह का समय मिल गया है और यह एक तरह से पाकिस्तान की जीत है। काले धन को वैध बनाने के मामले में पाकिस्तान को वर्ष 2012 से 2015 तक इस सूची में रखा गया था।
पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इस प्रस्ताव को अमेरिका, जर्मनी, ब्रिटेन और फ्रांस ने पेश किया था और आईसीआरजी में लाए गए प्रस्ताव का चीन, तुर्की तथा सऊदी अरब ने समर्थन नहीं किया था। (वार्ता)