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रक्षामंत्री राजनाथ के बयान से बुरी तरह तिलमिलाया पाकिस्तान

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, सोमवार, 7 अक्टूबर 2019 (15:57 IST)
इस्लामाबाद। पाकिस्तान ने भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के उसे वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की काली सूची में डालने संबंधी बयान पर आपत्ति जताते हुए इसे अंतरराष्ट्रीय धनशोधन निगरानी संस्था के कामकाज को राजनीतिक रंग देने की कोशिश करार देते हुए खारिज किया है।
 
पाकिस्तान के विदेश कार्यालय (एफओ) ने सोमवार को एक बयान में कहा कि सिंह का बयान एफएटीएफ की कार्रवाई को राजनीतिक रंग देने का भारत का प्रयास है।
 
सिंह ने एक अक्टूबर को रक्षा लेखा विभाग दिवस कार्यक्रम के मौके पर कहा था कि पेरिस स्थित एफएटीएफ पाकिस्तान को आतंकवादियों को वित्त पोषित करने के मामले में कभी भी काली सूची में डाल सकती है। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान आतंक के खिलाफ कार्रवाई करने में नाकाम रहा है और इसकी वजह से एफएटीएफ उस पर कभी कार्रवाई कर सकता है।
 
गौरतलब है कि एफएटीएफ ने पिछले साल पाकिस्तान को ‘ग्रे’ सूची में डाल दिया था। एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ग्रे सूची में डालते हुए इस वर्ष अक्टूबर तक पूरा करने के लिए एक कार्ययोजना सौंपी थी। कार्ययोजना के मुताबिक काम नहीं करने पर पाकिस्तान को ईरान और उत्तर कोरिया के साथ काली सूची में डाले जाने के खतरे का सामना करने की चेतावनी दी गई थी।
एफओ ने बयान में भारत की एफएटीएफ की कार्रवाई को राजनीतिक रंग देने के प्रयास का आरोप लगाते हुए कहा कि यह पाकिस्तान की चिंता को मजबूत करता है। एफओ ने कहा कि पाकिस्तान ने पहले भी एफएटीएफ के सदस्यों को अपनी चिंता से अवगत कराया था। अब पाकिस्तान ने भारत पर छवि खराब करने के प्रयास मुहिम चलाने का आरोप मढ़ते हुए एफएटीएफ से संज्ञान लेने की गुहार लगाई है।
 
गौरतलब है कि सोमवार को एक रिपोर्ट आई है, जिसमें धनशोधन और आतंकवाद को वित्त पोषित करने को लेकर पाकिस्तान के समक्ष गंभीर जोखिम है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान को जब एफएटीएफ ने ग्रे सूची में डाला था उस समय बल की 40 में से केवल एक सिफारिश का ही पालन किया गया है।
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बयान में कहा गया है कि एफएटीएफ के लिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि प्रक्रिया निष्पक्ष और पक्षपात पूर्ण नहीं हो। एफओ का यह स्पष्टीकरण एफएटीएफ की 13 से 18 अक्टूबर तक पेरिस में होने वाली समीक्षा बैठक से एक सप्ताह पहले आया है। इस बैठक में यह तय किया जाएगा कि क्या पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट ही रखा जाना चाहिए अथवा इस सूची से हटाकर काली सूची में डाला जाए।
 
प्रधानमंत्री इमरान खान ने सितंबर में अल जजीरा टेलीविजन को दिए साक्षात्कार में भारत पर आरोप लगाया था कि वह पाकिस्तान को दिवालिया कराने के प्रयास में जुटा हुआ है और एफएटीएफ की काली सूची में डलवाना चाहता है।
 

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