वॉशिंगटन। बचपन में अमेरिका में अवैध रूप से आए प्रवासियों को वर्क परमिट देने वाले एमनेस्टी कार्यक्रम (डीएसीए) को निरस्त करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारी आलोचना हो रही है। भारतीय मूल के अमेरिकी सांसदों ने ट्रंप के इस कदम की निंदा करते हुए कहा कि यह फैसला विनाशकारी है।
डीएसीए के तहत आने वाले युवा प्रवासियों को 'ड्रीमर्स' कहकर पुकारा जा रहा है। ट्रंप के कदम को निर्दयी और अमानवीय बताते हुए 5 भारतीय-अमेरिकियों ने अलग-अलग बयान जारी करते हुए घोषणा की कि वे अमेरिकी राष्ट्रपति के फैसले के खिलाफ लड़ेंगे।
डेमोक्रेटिक सांसद कमला हैरिस ने कहा कि इस फैसले के परिणाम विनाशकारी होंगे। यह परिवारों को तोड़ देगा। युवा लोगों को उन देशों में वापस लौटने पर मजबूर करेगा जिन्हें वे जानते ही नहीं हैं। इससे हमारी अर्थव्यवस्था को अरबों डॉलर का नुकसान होगा। यह निर्दयी तरीके से लिया गया फैसला है। कमला ने कहा कि डीएसीए से लाभान्वित लोग अमेरिका को मजबूत बनाते हैं और अमेरिका के सर्वश्रेष्ठ लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
ट्रंप के फैसले से गुस्साई कांग्रेस सदस्य प्रमिला जयपाल ने कहा कि ऐसा करके वे लगभग 8 लाख युवा पुरुषों और महिलाओं का भविष्य बिगाड़ रहे हैं। ये वे लोग हैं जिन्हें इनके मां-बाप यहां लाए थे। ये लोग अमेरिका के अलावा किसी अन्य देश को नहीं जानते।
डेमोक्रेटिक सांसद प्रमिला ने कहा कि उनके भविष्यों से खेलकर और अपने 'बड़े दिल' की बात करके उनकी उम्मीदें जगाने वाले डोनाल्ड ट्रंप ने दिखा दिया है कि उनकी प्राथमिकताएं क्या हैं? उन्होंने एक बार फिर घृणा, विदेशियों से डर का पक्ष लिया है। उनका उक्त फैसला निर्दयी, अमानवीय और अन्यायपूर्ण है। प्रमिला ने सत्ता और विपक्ष दोनों से ही मांग की कि वे 'ड्रीमर्स' की सुरक्षा करने वाला विधेयक तत्काल पारित करने के लिए एकसाथ खड़े हों।
कांग्रेस सदस्य राजा कृष्णमूर्ति ने भी ट्रंप के फैसले की आलोचना करते हुए इसे 'निर्दयी' बताया। उन्होंने कहा कि इस घोषणा से राष्ट्रपति ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे ड्रीमर्स को सुरक्षा देने से इंकार करते हैं। ऐसे में अब कांग्रेस को यह काम करना चाहिए।
प्रशासन की क्रूर नीति में डीएसीए कार्यक्रम को 6 माह में चरणबद्ध तरीके से हटाना शामिल है। कांग्रेस को विधायक पारित करना चाहिए, जो इस कार्यक्रम को विस्तार देता हो और 'ड्रीमर्स' को सुरक्षा देता हो। कांग्रेस सदस्य एमी बेरा और रो खन्ना ने भी इस घोषणा का विरोध किया। (भाषा)