काठमांडू। नेपाली संसद ने मासिक धर्म के दौरान महिलाओं के घर में प्रवेश को वर्जित करने वाली पुरानी प्रथा को बुधवार को अपराध घोषित कर दिया। इस प्रथा में महिलाओं को मासिक धर्म की अवधि के दौरान घर से दूर एक झोपड़ी में सोने के लिए विवश किया जाता है।
नेपाल के विभिन्न समुदायों में महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान अपवित्र समझा जाता है और कुछ सुदूर इलाकों में उनको इस अवधि में घर से दूर एक झोपड़ी में रहने के लिए मजबूर किया जाता है। इस प्रथा को 'छौपदी' के नाम से जाना जाता है।
नए कानून में किसी महिला को इस प्रथा को मानने के लिए मजबूर करने वाले को तीन माह जेल की सजा या 3000 का जुर्माना या दोनों का प्रावधान है। महिलाओं को मासिक धर्म की अवधि के दौरान घर से दूर एक झोपड़ी में सोने के लिए विवश किया जाता है, जिसे छाउ गोठ कहा जाता है। पिछले महीने इसी तरह की एक झोपड़ी में सोई एक किशोरी को सांप ने डस लिया और उसकी मौत हो गई। 2016 में भी इस कुप्रथा के कारण दो महिलाओं की जान चली गई थी।
देश की शीर्ष अदालत ने एक दशक से भी अधिक समय पहले इस कुप्रथा पर रोक लगा दी थी, लेकिन देश के कई भागों में यह अब भी प्रचलन में बताई जाती है। (भाषा)