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भारत यात्रा से पहले अमेरिकी मंत्री भी बोले, 'मोदी है तो मुमकिन है'

हमें फॉलो करें भारत यात्रा से पहले अमेरिकी मंत्री भी बोले, 'मोदी है तो मुमकिन है'
, गुरुवार, 13 जून 2019 (11:02 IST)
वॉशिंगटन। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने लोकसभा चुनाव के लोकप्रिय नारे 'मोदी है तो मुमकिन है' का जिक्र करते हुए भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को अगले चरण पर ले जाने की इच्छा व्यक्त की और कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और मोदी प्रशासन के पास ऐसा करने का अद्वितीय अवसर है।
 
पोम्पिओ ने 'इंडिया आइडियाज समिट ऑफ अमेरिका-इंडिया बिजनेस काउंसिल' में भारत की नीति संबंधी अपने अहम भाषण में बुधवार को कहा कि जैसा कि प्रधानमंत्री (नरेन्द्र) मोदी ने अपनी हालिया प्रचार मुहिम में कहा था कि 'मोदी है तो मुमकिन है', तो उसी के ध्यान में रखकर मैं यह पता लगाना चाहता हूं कि हमारे लोगों के बीच क्या संभव है?
 
इस महीने नई दिल्ली की अपनी यात्रा और मोदी एवं विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात के लिए उत्सुक पोम्पिओ ने कुछ बड़े विचारों और बड़े अवसरों का जिक्र किया, जो द्विपक्षीय संबंध को नए स्तर पर ले जा सकते हैं।
 
उन्होंने अपने भारत मिशन की जानकारी देते हुए कहा कि उनका वास्तव में मानना है कि दोनों देशों के पास अपने लोगों, हिन्द-प्रशांत क्षेत्र और दुनिया की भलाई के लिए एकसाथ आगे बढ़ने का अद्वितीय मौका है। पोम्पिओ 24 से 30 जून तक भारत, श्रीलंका, जापान और दक्षिण कोरिया की यात्रा करेंगे।
 
पोम्पिओ ने कहा कि ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका रक्षा सहयोग को एक नए आयाम पर लेकर गया है और उन्होंने हिन्द-प्रशांत के लिए साझे दृष्टिकोण को मजबूत किया है और आतंकवाद के लिए पाकिस्तान के अस्वीकार्य सहयोग के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है।
 
पोम्पिओ ने कहा कि अब ट्रंप और मोदी प्रशासन के पास इस विशेष साझेदारी को और आगे ले जाने का अद्वितीय अवसर है। उनके पास अपने नए समकक्ष जयशंकर के रूप में मजबूत साझीदार है। जयशंकर अमेरिका में भारत के राजदूत भी रहे हैं।
 
उन्होंने कहा कि उन्होंने अप्रैल में अपने एक भाषण में कहा था कि वे अमेरिका के साथ और अच्छे संबंध बनाना चाहते हैं और यह भावना दोनों ओर से है। हम आगे बढ़ना चाहते हैं। इसके लिए दोनों देशों को अब तक के सबसे मजबूत संबंध बनाने होंगे।
 
उन्होंने कहा कि मजबूत संबंध बनाने का मतलब इन व्यक्तिगत मित्रवत संबंधों को आधिकारिक बनाना है। हमने पिछले साल रक्षा मंत्रालय के साथ मिलकर 2 प्लस 2 वार्ता शुरू की थी। हमने हिन्द-प्रशांत में एक जैसी सोच रखने वाले लोकतांत्रिक देशों भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच चतुर्भुज संवाद (क्वॉड डायलॉग) में भी फिर से जान फूंकी है। ये सभी अच्छे कदम हैं। भारत और अमेरिका को ऐसे सामरिक ढांचे को अपनाना होगा, जो दोनों देशों के लिए कारगर हो।
 
पोम्पिओ ने कहा कि हम एक सम्प्रभु ताकत के तौर पर भारत का सम्मान करते हैं जिसकी अपनी अनूठी राजनीति और सामरिक चुनौतियां हैं। हम समझते हैं कि चीन या पाकिस्तान जैसे देशों से महासागर पार के बजाए सीमापार से निपटना अधिक मुश्किल है।
 
पोम्पिओ ने कहा कि यह स्वाभाविक है कि दुनिया में सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश को दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र के साथ हाथ मिलाना चाहिए ताकि वे हिन्द-प्रशांत के लिए अपनी साझी सोच को आगे ले जा सकें। पोम्पिओ ने कहा कि तीसरा, हमें यह करके दिखाना होगा।
 
उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन ने सशस्त्र यूएवी और बैलेस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणालियों जैसे अत्याधुनिक रक्षा मंचों समेत भारत को उच्च तकनीक की अधिक वस्तुओं के निर्यात के लिए अमेरिकी कंपनियों को सक्षम बनाया है। ये बड़ी उपलब्धियां हैं, लेकिन हम और हासिल करना चाहते हैं। रक्षा, ऊर्जा और अंतरिक्ष में हमारे स्पष्ट रूप से साझे हित हैं। (भाषा)

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