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फैसले से निराश माल्या ने कहा, प्रत्यर्पण के खिलाफ कानूनी लड़ाई जारी रहेगी

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, मंगलवार, 21 अप्रैल 2020 (12:00 IST)
लंदन। शराब कारोबारी विजय माल्या ने भारत में प्रत्यर्पण के आदेश के खिलाफ ब्रिटेन के उच्च न्यायालय में मुकदमा हारने के बाद कहा कि वे फैसले से निराश हैं, लेकिन अपने वकीलों की सलाह के अनुसार कानूनी उपाय जारी रखेंगे।
 
किंगफिशर एयरलाइंस के पूर्व मालिक ने दोहराया कि उन्होंने भारतीय बैंकों को बकाया ऋण राशि का भुगतान करने की पेशकश की है, लेकिन उस प्रस्ताव को बैंकों ने खारिज कर दिया है। माल्या ने सोमवार शाम को एक बयान में कहा कि मैं स्वाभाविक रूप से उच्च न्यायालय के फैसले से निराश हूं। मैं अपने वकीलों की सलाह के अनुसार आगे भी कानूनी उपाय जारी रखूंगा।
उन्होंने कहा कि मैंने बार-बार बैंकों को पूरी राशि चुकाने की पेशकश की है, लेकिन दुख की बात है कि कोई फायदा नहीं हुआ। उच्च न्यायालय में माल्या की अपील खारिज होने के बाद अब उनके पास ब्रिटेन के सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने के लिए 14 दिन का समय है।
 
माल्या ने चूंकि आगे कानूनी उपायों की तलाश के संकेत दिए हैं इसलिए ब्रिटेन का गृह विभाग माल्या के भारत को प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू करने से पहले उस अपील के परिणाम का इंतजार करेगा। माल्या मार्च 2016 से ब्रिटेन में हैं और अप्रैल 2017 से प्रत्यर्पण वॉरंट पर गिरफ्तारी के बाद जमानत पर हैं। माल्या ने अपने बारे में मीडिया में कही जा रही बातों पर भी निराशा व्यक्त की है।
 
उन्होंने कहा कि मैं मीडिया में कही जा रही बातों से भी निराश हूं जिसके मुताबिक मुझे 9,000 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के लिए भारत में मुकदमे का सामना करना चाहिए। कृपया ध्यान दें कि मेरे और अन्य के खिलाफ आरोप केवल 2009 में आईडीबीआई बैंक से कुल 900 करोड़ रुपए के उधार की 3 किस्तों से संबंधित हैं।
 
माल्या ने इस बारे में लंदन उच्च न्यायालय के आदेश का हवाला भी दिया। माल्या ने उच्च न्यायालय में तर्क दिया कि निचली अदालत ने गलत तरीके से उनके प्रत्यर्पण को मंजूरी दी जबकि साजिश के तहत उनके खिलाफ धोखाधड़ी और धनशोधन का मामला दर्ज किया गया। हालांकि उच्च न्यायालय ने माल्या के तर्कों को खारिज कर दिया। (भाषा)

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