नोबेल शाति पुस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने कहा कि कोविड-19 यानी कोरोना खत्म होने के बाद भी शायद 20 मिलियन से ज्यादा लड़कियां स्कूल नहीं जा पाएंगी। उन्होंने कहा कि कोरोना से हमारे सामूहिक लक्ष्य पर झटका दिया है।
शुक्रवार को न्यूयॉर्क में यूएन जेनरल असेंबली से इतर मलाला ने कहा, ‘जब यह संकट खत्म होगा तो सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में 20 मिलियन से अधिक लड़कियां शायद कभी अपने स्कूल न जा पाएं, वैश्विक शिक्षा के वित्तपोषण का अंतर पहले ही 200 अरब डॉलर प्रति वर्ष हो गया है’
मलाला ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को याद दिलाया कि पांच साल पहले संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित स्थायी वैश्विक लक्ष्य उन लाखों लड़कियों के लिए भविष्य का प्रतिनिधित्व करते थे जो शिक्षा चाहती थीं और समानता के लिए लड़ रही थीं।
उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए पिछले साल सालों में बेहम कम कोशिशें हुई हैं। उन्होंने सवाल किया, ‘आप काम करने की योजना कब बना रहे हैं?’
इसके साथ ही उन्होंने सवाल किया, ‘आप हर बच्चे को 12 साल की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए आवश्यक धन कब देंगे? आप शांति को प्राथमिकता कब देंगे और शरणार्थियों की रक्षा करेंगे? कार्बन उत्सर्जन में कटौती के लिए आप कब नीतियां पारित करेंगे?’
इस वर्चुअल कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेस भी शामिल हुए। उन्होंने कहा, ‘हमें मौजूदा संकट से परे देखना होगा और अपना दृष्टिकोण ऊंचा रखना होगा, यह दिखाने के लिए कि परिवर्तन संभव है और अभी हो रहा है’ उन्होंने अमीर देशों से इस दिशा में सोचने का आह्वान किया। उन्होंने जीवाश्म ईंधन सब्सिडी को समाप्त करने और महिलाओं को वापस निर्माण के केंद्र में रखने के लिए एक अधिक न्यायसंगत और स्थायी अर्थव्यवस्था के लिए बदलाव की आवश्यकता पर बल दिया।