सिंगापुर। चरमपंथ को बढ़ावा देने वाली ऑनलाइन उपलब्ध सामग्रियों से प्रभावित होकर स्वयं कट्टरपंथी बने तत्व सिंगापुर के सामने घरेलू आतंकवाद के सबसे बड़े खतरे हैं। सरकारी खुफिया एजेंसी की बुधवार को सामने आई एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
आंतरिक सुरक्षा विभाग (आईएसडी) के आकलन के मुताबिक सिंगापुर के खिलाफ निकट भविष्य में कोई आतंकवादी हमला होने की कोई विशिष्ट या विश्वसनीय खुफिया जानकारी फिलहाल नहीं है लेकिन नगर राज्य के लिए आतंकवाद का खतरा बड़ा बना हुआ है। विभाग ने 'सिंगापुर आंतकवाद खतरा आकलन रिपोर्ट 2021'में कहा कि इस्लामी आतंकवाद चिंता का मुख्य विषय बना हुआ है लेकिन धुर दक्षिणपंथी चरमपंथ भी उभरता हुआ खतरा है।
आईएसडी ने कहा कि आईएसआईएस (इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड सीरिया) और आतंकवाद प्रकोष्ठ अल कायदा बड़े खतरे बने हुए हैं और कहा कि इन संगठनों ने आतंकवादी हमलों को अंजाम देने के लिए अपने समर्थकों को प्रेरित करने के लिए ऑनलाइन प्रयास बढ़ा दिए हैं। विभाग ने कहा कि आईएसआईएस और अल-कायदा जैसे वैश्विक आतंकवादी संगठन हाल के वर्षों में उनके नेतृत्व को हुए नुकसानों और झटकों के बावजूद लचीले और ढलने योग्य साबित हुए हैं। चैनल न्यूज एशिया ने आईएसडी के हवाले से कहा दुनिया भर में, आतंकवादी घटनाएं कोविड-19 वश्विक महामारी के बीच भी चलती रहीं जहां आंतकवादियों की भर्ती और प्रचार के आनलाइन प्रयास बढ़ाए गए हैं।
एजेंसी ने कहा कि 2015 से अब तक आतंकवाद संबंधित आचरण के लिए आंतरिक सुरक्षा कानून (आईएसए) के तहत 54 लोगों से पूछताछ की गई है जिनमें से 44 खुद से कट्टरपंथी बने थे। पिछले दो वर्षों में जिन 16 लोगों को आतंकवाद संबंधित आईएसए आदेश जारी किए गए थे उनमें से 14 खुद से कट्टरपंथी बने थे। इनमें 10 सिंगापुरी नागरिक और चार विदेशी शामिल थे जो सिंगापुर में काम कर रहे थे। इन स्व: कट्टरपंथियों में से अधिकतर इस्लामिक स्टेट के समर्थक थे। वहीं विदेशों में, जानकारी के मुताबिक धुर दक्षिणपंथी चरमपंथी समूह अधिक संगठित हुए हैं और हमला करने में सक्षम हुए हैं।
आईएसडी ने कहा कि इस बात के फिलहाल कोई संकेत नहीं हैं कि धुर दक्षिणपंथी चरमपंथ ने सिंगापुर में कोई खास गति प्राप्त की हो। इसने कहा कि इसका यह मतलब नहीं है कि हम धुर दक्षिणपंथी/इस्लाम विरोधी विचारधाराओं से बचे रहेंगे जो सोशल मीडिया पर प्रचलित हैं। एजेंसी ने कहा कि हमें चौकन्ना रहना होगा और किसी भी बयानबाजी के खिलाफ कड़े कदम उठाने होंगे जो अन्य समुदायों के प्रति नफरत या शत्रुता को बढ़ावा देते हों और किसी भी हिंसक कार्रवाई के खिलाफ चेतावनी देनी होगी भले ही उसे कितना भी उचित क्यों न ठहराया जाए।(भाषा)