चीन की चालबाजी, नोबेल विजेता को इलाज की अनुमति नहीं

Webdunia
शुक्रवार, 30 जून 2017 (20:10 IST)
बीजिंग। चीन ने नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित मानवाधिकार कार्यकर्ता लुई जिआबो को कैंसर के इलाज के लिए देश से बाहर भेजने से इनकार करते हुए कहा है कि देश में उनका बेहतर इलाज हो रहा है। पिछले सप्ताह चीन की सरकार ने लुई जिआबो को मेडिकल पैरोल पर रिहा किया था। उन्हें लिवर में कैंसर है और वह अंतिम चरण में पहुंच चुका है।
 
अमेरिकी मूल के मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं अधिवक्ता जॉर्ड जेंसर ने शुक्रवार को एक बयान जारी करके कहा था कि 154 नोबेल पुरस्कार विजेताओं ने लुई जिआबो को इलाज के लिए अमेरिका लाए जाने के लिए अमेरिका से आग्रह किया है। जेंसर शांति पुरस्कार विजेता के वकील भी रह चुके हैं। उन्होंने कहा कि नोबेल पुरस्कार विजेताओं की टीम ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन एवं चीन में अमेरिकी राजदूत टेरी ब्रांस्टा को लिखे पत्र में यह आग्रह किया है।
 
पिछले सप्ताह चीन की सरकार ने लुई जिआबो को मेडिकल पैरोल पर रिहा किया था। उन्हें लिवर में कैंसर है और वह अंतिम चरण में पहुंच चुका है। उनका अस्पताल में इलाज किया जा रहा है। लियू (61) को सन 2009 में देश की सत्ता को नुकसान पहुंचाने का दोषी मानकर 11 साल कैद की सजा दी गई थी। उन्हें चीन में राजनीतिक सुधार वाली याचिका दाखिल करने में सहयोगी पाया गया था। इस याचिका को 'चार्टर-8' के नाम से जाना जाता है। 
 
वर्ष 1993 के मेडिसिन में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित सर रिचर्ड रॉबर्ट्‍स ने शांति पुरस्कार विजेताओं की ओर से लिखे पत्र में चीन की सरकार से लुई जिआबो को मानवीय आधार पर इलाज के लिए अमेरिका भेजे जाने की अपील की है। जबकि चीन ने कहा है कि उनकी की स्थति ऐसी नहीं है कि उन्हें देश से बाहर भेजा जाए और उनका बेहतर इजाल किया जा रहा है।
 
चीन ने यह भी कहा है कि लुई जिआबो की पत्नी लुई शिया समेत उनके परिवार के कई सदस्य शेनयांग शहर के अस्पात में उनके साथ हैं और उनके इजाल से वे संतुष्ट हैं। परिजनों की मांग पर उनका इलाज पारंपरिक पद्धति से भी किया जा रहा है। इस बीच अमेरिक के विदेश मंत्रालय ने कहा कि लुई जिआबो के स्वास्थ्य की जानकारी एकत्र की जा रही है।
 
दिसंबर 2010 में लियू को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया गया। यह पुरस्कार उन्हें चीन में मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के प्रयास के लिए दिया गया। इससे नाराज चीन ने नॉर्वे से कूटनीतिक रिश्ते तोड़ लिए थे। करीब पांच साल बाद दिसंबर 2016 में दोनों देशों के रिश्ते फिर से सामान्य हुए। 
        
लुई शिया 2010 में उनके पति को नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा के बाद से नजरबंद हैं। रिपोर्टों के अनुसार उन्हें महीने में एक बार पति से मिलने के लिए जेल में जाने की अनुमति थी। लुई जिआबो को अपनी सास और ससुर के मरने पर उनके अंतिम दर्शन की भी अनुमति नहीं मिली थी। (वार्ता)
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