वॉशिंगटन। दक्षिण एशिया में मानवाधिकारों की स्थिति पर अगले सप्ताह होने वाली कांग्रेस की सुनवाई के पहले अमेरिका के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले कश्मीरी पंडितों ने अमेरिकी सांसदों और उनके सहयोगियों को घाटी की हकीकत और पिछले कुछ दशकों से उनके अधिकारों के उल्लंघन के बारे में अवगत कराया।
भारतवंशी सांसद रो खन्ना, सांसद माइक थॉम्पसन, जो लोफग्रेन, मार्क डेसूलनीर और डोरिस मतसुई के साथ ही सदन की विदेश संबंध समिति के अध्यक्ष एलिअट इंगेल बुधवार को कैपिटोल हिल में कांग्रेस की सुनवाई में उपस्थित हुए।
महिला सांसद एन्ना इशू ने अपने शुभारंभ संबोधन में जोर दिया कि दुनिया में 2 बड़े लोकतांत्रिक देशों को भारत और अमेरिका को लोकतंत्र को मजबूत करने की जरूरत है। इंडो-अमेरिकन कम्युनिटी फेडरेशन ने कश्मीरी ओवरसीज एसोसिएशन (केओए) और यूएस-इंडिया पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (यूएसआईएनपीएसी) के साथ कश्मीर आगे का रास्ता कार्यक्रम का आयोजन किया।
विदेश मामलों की सदन की समिति की एशिया-प्रशांत और अप्रसार उपसमिति 22 अक्टूबर को कश्मीर और दक्षिण एशिया के अन्य हिस्सों में मानवाधिकार पर सुनवाई करने वाली है। केओए के अध्यक्ष शकुन मलिक ने कश्मीरी पंडितों की दशा और अनुच्छेद 370 तथा 35ए की वजह से समाज के कमजोर तबकों, अल्पसंख्यकों, कश्मीरी महिलाओं के साथ हुए भेदभाव के बारे में चर्चा की।
सरकार ने 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करते हुए इसे 2 केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने का निर्णय लिया था। कार्यक्रम की मेजबानी करने वाले कैलिफोर्निया के जीवन जुत्शी ने कहा कि कश्मीर के लिए आगे का रास्ता यह सुनिश्चित करना है कि कश्मीर में सभी धर्म के लोग शांति के साथ रह सकें। आयोजन के दौरान एक वीडियो भी दिखाया गया जिसमें कश्मीर में धीरे-धीरे सामान्य होते हालात का वर्णन किया गया है।