वॉशिंगटन। व्हाइट हाउस ने कहा है कि भारत का रूस से रियायती दर पर कच्चा तेल लेना अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन नहीं माना जाएगा। साथ ही उसने कहा कि देशों को यह विचार करना चाहिए कि यूक्रेन पर रूस के हमले के बीच आप कहां खड़ा होना चाहते हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने पिछले हफ्ते रूस से तेल और गैस के आयात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने मंगलवार को कहा कि किसी भी देश के लिए हमारा संदेश यही है कि हमने जो प्रतिबंध लगाए हैं और अनुशंसित किए हैं, उनका पालन करें।
भारत द्वारा रियायती दर पर कच्चे तेल की रूसी पेशकश को स्वीकार करने की संभावना वाली एक रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर साकी ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि यह उन (प्रतिबंधों) का उल्लंघन होगा।
साकी ने कहा कि लेकिन इस बात पर गौर करें कि मौजूदा समय के संदर्भ में आप इतिहास में किस तरह दर्ज होना चाहते हैं। रूसी नेतृत्व को समर्थन, एक आक्रमण को समर्थन है, जिसके स्पष्ट रूप से विनाशकारी प्रभाव हैं।
भारत ने यूक्रेन पर रूसी आक्रमण का समर्थन नहीं किया है और वह सभी हितधारकों से बातचीत के जरिए मतभेदों को सुलझाने का लगातार आग्रह कर रहा है। उसने रूस के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के किसी भी प्रस्ताव को पारित करने के लिए हुए मतदान में भी हिस्सा नहीं लिया।
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन के अधिकारियों ने भारत की स्थिति को समझने की पूरी कोशिश की है और अपने सांसदों से कहा है कि भारत, अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए रूसी सैन्य आपूर्ति पर काफी हद तक निर्भर है।
इस बीच, भारतीय-अमेरिकी सांसद एमी बेरा ने उन खबरों को लेकर निराशा व्यक्त की, जिनमें दावा किया गया है कि भारत भारी रियायती दर पर मिलने वाला रूसी तेल खरीदने पर विचार कर रहा है।
डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसद ने कहा कि अगर खबरें सही हैं और भारत रियायती दरों पर रूसी तेल खरीदने का फैसला लेता है तो नई दिल्ली इतिहास में ऐसे अहम वक्त में व्लादिमीर पुतिन के साथ खड़ा होना चुनेगा जब दुनियाभर के देश यूक्रेन के समर्थन और रूस के जानलेवा हमले के खिलाफ एकजुट हैं।
उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और क्वाड का नेता होने के नाते भारत की यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी है कि उसके कदम पुतिन तथा उनके आक्रमण का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन न करते हो।