भारत 2014 में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद नागरिकों की स्वतंत्रता में गिरावट आई। अमेरिकन संस्था फ्रीडम हाउस ने अपनी एक रिपोर्ट में यह खुलासा किया है। संस्था की रिपोर्ट के मुताबिक भारत एक स्वतंत्र देश से अब आंशिक रूप से स्वतंत्र देश में तब्दील हो गया है। इस रिपोर्ट में पॉलिटिकल फ्रीडम और मानवाधिकार को लेकर विभिन्न देशों में रिसर्च की गई है।
फ्रीडम हाउस की डेमोक्रेसी अंडर सीज शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की स्थिति में जो बदलाव आया है, वह विश्व में आए परिवर्तन का ही हिस्सा है। इस रिपोर्ट में भारत को 100 में से 67 नंबर दिए गए हैं, जो कि पिछले साल के मुकाबले कम हैं। पिछले साल भारत को 100 में से 71 नंबर दिए गए थे।
इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत की रेटिंग इसलिए घटी है क्योंकि सरकार और उसके सहयोगी दलों की द्वारा अपने आलोचकों पर शिकंजा कसा। नागरिक स्वतंत्रता के मामले में दी गई रेटिंग में भारत को पिछले साल के मुकाबले 4 अंक कम मिले हैं। इस बार भारत को 60 में से 33 नंबर दिए गए हैं। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि मोदी हिन्दू राष्ट्रवादी सरकार ने मानवाधिकार संगठन, शिक्षाविद, पत्रकारों पर दबाव बनाया गया। मुसलमानों को लक्ष्य करके लिंचिंग की घटनाएं भी हुईं। इतना ही नहीं कोरोना काल में लोगों के मानवाधिकारों का भी हनन हुआ।
उल्लेखनीय है कि फिल्म अभिनेत्री तापसी पन्नू अनुराग कश्यप पर हुई छापे की कार्रवाई को भी अपने विरोधियों पर शिकंजा कसने से जोड़कर देखा जा रहा है। स्थानीय स्तर पर सरकार की काफी आलोचना हो रही है। हालांकि राजनीतिक अधिकारों के मामले में दोनों सालों का स्कोर 40 में से 34 ही रहा।
लॉकडाउन और पलायन का भी जिक्र : भारत सरकार द्वारा कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए किए गए लॉकडाउन का भी जिक्र किया गया है। रिपोर्ट में लॉकडाउन को खतरनाक बताया गया है। लॉकडाउन के दौरान लाखों प्रवासी मजदूरों को पलायन का सामना करना पड़ा था। रिपोर्ट में एक जनवरी 2020 से लेकर 31 दिसंबर 2020 तक 25 बिंदुओं को लेकर 195 देशों और 15 राज्यों पर रिसर्च की गई थी। खास बात यह है कि 195 देशों में से सिर्फ दो को ही सकारात्मक रेटिंग दी गई।