वॉशिंगटन। अमेरिकी रक्षा विभाग के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि लड़ाकू विमान के क्षेत्र में भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों का रास्ता एफ-16 और एफ-18 लड़ाकू विमानों को खरीदने के भारत के फैसले पर निर्भर करता है। अमेरिका, भारत को इन लड़ाकू विमानों की पेशकश कर रहा है।
दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए उपसहायक रक्षा सचिव जोए फेल्टर ने गुरुवार को कहा कि भारत की ओर से एक सकारात्मक फैसला 5वीं पीढ़ी की आधुनिक लड़ाकू विमान प्रौद्योगिकी में आगे की राह तय कर सकता है। उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन लड़ाकू विमानों पर भारत के साथ करीबी सहयोग चाहता है।
फेल्टर ने विशेष साक्षात्कार में कहा कि मुझे लगता है कि (एफ-16) ब्लॉक 70 या एफ-18 के साथ लड़ाकू विमान सहयोग का रास्ता शुरू करना इस बात का बड़ा संकेत होगा कि भारत उस स्तर के सहयोग को लेकर गंभीर है, जो हमें लगता है कि भारत के हित में होगा। अगर हम इसी रास्ते पर रहे तो इससे ज्यादा करीबी सहयोग होगा और अधिक उन्नत तकनीक मिलेगी।
उन्होंने कहा कि भारत की वायुसेना के लिए सशस्त्र ड्रोन में उसके हित पर भी अमेरिका विचार कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस मामले पर उन्हें न तो कोई पेशकश मिली है और न ही इस पर कोई फैसला लिया गया है।
उन्होंने कहा कि इसे पाना भारत के लिए स्वाभाविक होगा। हम इस अनुरोध पर विचार करेंगे लेकिन अभी तक हमारी तरफ से इसकी पेशकश नहीं की गई। हम उनके हित के बारे में जानते हैं और हम उस पर विचार कर रहे हैं लेकिन हमने अब तक कोई फैसला नहीं लिया।
पिछले साल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान ट्रंप भारत को नि:शस्त्र ड्रोन बेचने पर सहमत हो गए थे ताकि हिन्द महासागर में भारत की निगरानी करने की क्षमताओं को बढ़ाया जा सकें। 5वीं पीढ़ी के एफ-35 लड़ाकू विमानों के बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने कहा कि दोनों तरफ से ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया, जैसे कि मीडिया में खबरें आ रही हैं। अधिकारी ने कहा कि हालांकि एफ-18 समझौते पर बातचीत हो रही है।
उन्होंने कहा कि हमारा एफ-18 दोहरे इंजन वाला लड़ाकू विमान है जिसे भविष्य में खरीदने के लिए भारत विचार कर सकता है। अमेरिका में यह बहुत अच्छी तरह से काम करता है और इसमें अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल हुआ है।
फेल्टर ने कहा कि भारत द्वारा एफ-18 लड़ाकू विमान खरीदना नौसैन्य क्षेत्र में भारत-अमेरिका के करीबी सहयोग का संभावित उदाहरण होगा। अमेरिका ने एफ-16 के ब्लॉक 70 संस्करण की पेशकश की है और तकनीक के लिहाज से यह अत्याधुनिक लड़ाकू विमान है।
उन्होंने कहा कि ब्लॉक 70 लड़ाकू विमान को चुनने का मतलब है कि इसकी पूरी उत्पादन इकाई भारत चली जाएगी, जो नई दिल्ली की 'मेक इन इंडिया' प्राथमिकता को पूरी करेगी। बहरहाल, फेल्टर ने कहा कि अमेरिका ने अभी तक कोई पेशकश नहीं दी है। भारत को एफ-35 लड़ाकू विमान बेचने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अमेरिका ने अभी तक ऐसी कोई पेशकश नहीं दी है। (भाषा)