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भारत-आसियान सहयोग, PM मोदी ने 12 सूत्री प्रस्ताव पेश किया

हमें फॉलो करें भारत-आसियान सहयोग, PM मोदी ने 12 सूत्री प्रस्ताव पेश किया
जकार्ता , गुरुवार, 7 सितम्बर 2023 (16:41 IST)
Narendra Modi: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आतंकवाद जैसी समकालीन चुनौतियों से निपटने और रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने के साथ ही डिजिटल बदलाव, व्यापार और आर्थिक भागीदारी जैसे क्षेत्रों में भारत-आसियान सहयोग को मजबूत करने के लिए गुरुवार को 12 सूत्री प्रस्ताव पेश किया।
 
मोदी ने इंडोनेशिया की राजधानी में यहां 20वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। आसियान (दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन) के महासचिव डॉ काओ किम होर्न ने भी शिखर सम्मेलन में भाग लिया। भारत के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि शिखर सम्मेलन में समुद्री सहयोग और खाद्य सुरक्षा पर दो संयुक्त बयानों को भी स्वीकार किया गया।
 
इसमें कहा गया है कि शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने आसियान भागीदारों के साथ आसियान-भारत व्यापक रणनीतिक साझेदारी को आगे और मजबूत करने तथा भविष्य की दिशा तय करने पर व्यापक चर्चा की। प्रधानमंत्री ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आसियान की केंद्रीयता की फिर से पुष्टि की और भारत के हिंद-प्रशांत महासागर पहल (आईपीओआई) और आसियान के हिंद-प्रशांत पर दृष्टिकोण (एओआईपी) के बीच तालमेल पर प्रकाश डाला।
 
उन्होंने आसियान-भारत मुक्त व्यापार समझौते (एआईटीआईजीए) की समीक्षा समयबद्ध तरीके से पूरी करने की जरूरत पर भी जोर दिया। प्रधानमंत्री ने भारत-आसियान सहयोग को मजबूत करने के लिए 12 सूत्री प्रस्ताव पेश किया जिसमें संपर्क, डिजिटल बदलाव, व्यापार और आर्थिक भागीदारी, समकालीन चुनौतियों का समाधान, लोगों के बीच संपर्क और रणनीतिक भागीदारी को प्रगाढ़ करना शामिल है।
 
बयान में कहा गया है कि प्रस्ताव के तहत भारत ने दक्षिण-पूर्वी एशिया-भारत-पश्चिमी एशिया-यूरोप को जोड़ने वाले एक मल्टी-मॉडल संपर्क और आर्थिक गलियारे की स्थापना का आह्वान किया और आसियान देशों के साथ भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) को साझा करने की पेशकश की।
 
प्रधानमंत्री मोदी ने डिजिटल बदलाव और वित्तीय संपर्क में सहयोग पर ध्यान केंद्रित करते हुए डिजिटल भविष्य के लिए आसियान-भारत कोष की भी घोषणा की। इस 12 सूत्री प्रस्ताव के तहत प्रधानमंत्री ने आतंकवाद, आतंकवाद के वित्तपोषण और साइबर दुष्प्रचार के खिलाफ सामूहिक लड़ाई का आह्वान किया।
 
प्रस्ताव के हिस्से के रूप में उन्होंने आसियान और पूर्वी एशिया के आर्थिक एवं अनुसंधान संस्थान (ईआरआईए) को समर्थन के नवीनीकरण की घोषणा की ताकि संबंधों को बढ़ाने के लिए ज्ञान भागीदार के रूप में कार्य किया जा सके। बयान में कहा गया है कि उन्होंने बहुपक्षीय मंचों पर ग्लोबल साउथ के सामने आने वाले मुद्दों को सामूहिक रूप से उठाने का आह्वान किया।
 
'ग्लोबल साउथ' शब्द का इस्तेमाल आम तौर पर आर्थिक रूप से कम विकसित देशों को संदर्भित करने के लिए किया जाता है।
 
मोदी ने आसियान देशों को भारत में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा स्थापित किए जा रहे पारंपरिक दवाओं के वैश्विक केंद्र में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया और पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण के लिए व्यक्तिगत तथा सामुदायिक कार्रवाई को आगे बढ़ाने के लिए भारत के नेतृत्व वाले वैश्विक जन आंदोलन 'मिशन लाइफ' (पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली) पर मिलकर काम करने का आह्वान किया।
 
प्रधानमंत्री ने जन-औषधि केंद्रों के माध्यम से लोगों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाएं प्रदान करने में भारत के अनुभव को साझा करने की भी पेशकश की। उन्होंने आसियान देशों को आपदा रोधी बुनियादी ढांचा गठबंधन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया और आपदा प्रबंधन में सहयोग का आह्वान किया।
 
बयान के अनुसार उन्होंने समुद्री सुरक्षा और इसके बारे में जागरूकता को लेकर सहयोग बढ़ाने का भी आह्वान किया। भारत और आसियान नेताओं के अलावा, तिमोर-लेस्ते ने एक पर्यवेक्षक के रूप में शिखर सम्मेलन में भाग लिया।
 
आसियान की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि आसियान-भारत व्यापक रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के मद्देनजर बैठक में आसियान-भारत संवाद संबंधों के तहत हुई प्रगति की समीक्षा की गई और शांति, प्रगति और साझा समृद्धि (2021-2025) के लिए आसियान-भारत साझेदारी को लागू करने के लिए कार्ययोजना में अनुबंध को अपनाने का स्वागत किया गया।
 
इसमें कहा गया है कि शांतिपूर्ण, स्थिर, समृद्ध, नियम आधारित, खुले और समावेशी क्षेत्र के लिए दोनों पक्षों के साझा दृष्टिकोण को दोहराते हुए आसियान और भारत के नेताओं ने समुद्री सहयोग पर आसियान-भारत संयुक्त बयान को भी अंगीकार किया। आसियान को क्षेत्र में सबसे प्रभावशाली समूहों में से एक माना जाता है, और भारत और अमेरिका, चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया सहित कई अन्य देश इसके संवाद भागीदार हैं।
 
प्रधानमंत्री मोदी का यह प्रस्ताव मलेशिया, वियतनाम और फिलीपीन जैसे आसियान के कई सदस्य देशों द्वारा 'चीन के मानक मानचित्र' के ताजा संस्करण में दक्षिण चीन सागर पर चीन के क्षेत्रीय दावे पर तीखी प्रतिक्रिया देने के कुछ दिन बाद आया है। भारत ने चीन के नए नक्शे को भी खारिज कर दिया था जिसमें अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को चीनी क्षेत्रों के रूप में दिखाया गया था।
 
प्रधानमंत्री मोदी ने यहां 18वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (ईएएस) में भी हिस्सा लिया। अपने संबोधन में, मोदी ने ईएएस तंत्र के महत्व को दोहराया और इसे और मजबूत करने के लिए भारत के समर्थन की पुष्टि की। विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री ने आसियान केंद्रीयता के लिए भारत के समर्थन को रेखांकित किया और एक स्वतंत्र, खुला और नियम आधारित हिंद-प्रशांत सुनिश्चित करने का आह्वान किया।
 
इसमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री ने भारत और आसियान के बीच हिंद-प्रशांत के लिए दृष्टिकोण के तालमेल को रेखांकित किया और कहा कि आसियान, 'क्वाड' के दृष्टिकोण का केंद्रबिंदु है।
 
क्वाड में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। यह समूह क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य ताकत की पृष्ठभूमि में एक स्वतंत्र और खुला हिंद-प्रशांत सुनिश्चित करने के लिए व्यावहारिक सहयोग पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
 
प्रधानमंत्री ने आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन और खाद्य एवं दवाओं सहित आवश्यक वस्तुओं के लिए लचीली आपूर्ति श्रृंखला सहित वैश्विक चुनौतियों से निपटने और ऊर्जा सुरक्षा के लिए एक सहकारी दृष्टिकोण का भी आह्वान किया। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में भारत के कदमों और अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन, आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन, मिशन लाइफ और 'वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड' जैसी पहलों पर प्रकाश डाला। नेताओं ने क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया।(भाषा)(फोटो सौजन्य : ट्विटर)
 
Edited by: Ravindra Gupta

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