लंदन। एडिनबरा विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने पहली बार प्रयोगशाला में सफलतापूर्वक मानव अंडे विकसित करने का दावा किया है। इससे प्रजनन संबंधी इलाज कराने वाले दंपतियों को आशा की नई किरण मिलेगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस नए प्रयोग से न केवल यह समझने में मदद मिलेगी कि मानव अंडे किस प्रकार से बनते हैं बल्कि यह कीमोथेरेपी अथवा रेडियोथेरेपी से गुजर रही महिलाओं जिनमें समय पूर्व प्रजनन क्षमता का हृास हो जाता है उनके लिए उम्मीद की नई किरण दिखाएगा।
इससे पहले चूहों में इसे सफलता पूर्वक किया जा चुका है लेकिन मानव अंडों में यह जटिल साबित हुआ। इस शोध में शामिल प्रोफेसर ई टेल्फर ने कहा, ‘इस सिद्धांत का साक्ष्य मिलना उत्साहवर्धक है कि मानव ऊतक में इस चरण तक पहुंचना संभव हैं। लेकिन अंडों की गुणवत्ता का परीक्षण और इसे संरक्षित करने की स्थितिओं में सुधार के लिए बहुत काम करने की जरूरत है।’
प्रोफेसर टेल्फर के मुताबिक यह मानव अंडों के विकास को बेहतर तरीके से समझने के लिए महत्वपूर्ण खोज है। (भाषा)