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कोयले की खदान में बचपन काटने वाले शी जिनपिंग ने कैसे देखा चीन को सर्वशक्‍तिशाली देश बनाने का सपना

हमें फॉलो करें कोयले की खदान में बचपन काटने वाले शी जिनपिंग ने कैसे देखा चीन को सर्वशक्‍तिशाली देश बनाने का सपना
, रविवार, 25 सितम्बर 2022 (17:10 IST)
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बारे में अपुष्‍ट खबरें आ रही हैं, कहा जा रहा है कि उन्‍हें हाउस अरेस्‍ट कर लिया गया है। इस खबर को लेकर कई ट्वीट किए गए हैं, जिनमें सवाल उठाया जा रहा है कि क्‍या यह खबर सही है या महज एक अफवाह।

अफवाहों के इस दौर के बीच आइए जानते हैं शी जिनपिंग के अब तक के सफर के बारे में। कैसे कोयले की खदान में काम करते हुए बचपन  गुजारने वाले जिनपिंग चीन के राष्‍ट्रपति बने और कैसे उनका अब वे चीन को दुनिया का सबसे शक्‍तिशाली देश बनाने का सपना देख रहे हैं।

भारत के नरेंद्र मोदी के बारे में कहा जाता है कि वे बचपन में चाय बेचा करते थे। वहीं, जिनपिंग ने कोयले के खदान में काम करके बचपन काटा। इस उम्र में बच्‍चे खेलते हैं, पढ़ाई करते हैं, लेकिन जिनपिंग को गांव में काम करने के लिए भेज दिया गया था। आज वे चीन के राष्‍ट्रपति हैं और अपनी नीतियों के साथ ही वे चीन को दुनिया का ‘सर्वशक्‍तिशाली’ देश बनाने का सपना देख रहे हैं।

ऐसी है जिनपिंग की जिंदगी
1953 में बीजिंग में जन्मे जिनपिंग आजाद चीन में पैदा होने वाले पहले राष्ट्रपति हैं। उनके क्रांतिकारी पिता शी जोंगशुन 1962 में माओ सरकार में उप प्रधानमंत्री थे। हालांकि उनकी बेटी नाम बदल कर अमेरिका में 24 घंटे चीनी सुरक्षा गार्डों की निगरानी में रहती हैं। शी ने अपनी जिंदगी की शुरुआत खेती-किसानी से की थी। जिस जगह पर वे किसानी करते थे, उस इलाके को चीन में गृहयुद्ध के दौरान चीनी कम्युनिस्टों का गढ़ माना जाता था। आज चीन दुनिया में एक सुपर पावर की तरह बढता नजर आता है, लेकिन कहा जाता है कि शी जिनपिंग के उस गांव को आज भी वैसा ही रखा गया है, जैसा वो हकीकत में है। शी जिनपिंग का इस इलाके से काफी लगाव है।

पेशे से इंजीनियर जिनपिंग
उनकी शिक्षा की बात करें तो उन्होंने Tsinghua University (1998 से 2002) के दौरान बीई की डिग्री हासिल की थी। साल 1975 से 1979 तक उन्होंने बीजिंग के 101 मिडिल स्कूल से प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा ली। पेशे से केमिकल इंजीनियर जिनपिंग का निजी जीवन हमेशा रहस्यमय रहा है।

क्‍यों नहीं है जिनपिंग की बायोग्राफी?
आमतौर पर दुनिया के किसी भी बड़े राजनेता या लीडर की बायोग्राफी लिखी ही जाती है। किसी भी बुक स्‍टोर में चले जाइए। रूसी राष्ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन की बायोग्राफी मिल जाएगी। नॉर्थ कोरियाई तानाशाह किम जोंग उन पर लिखी गईं किताबें मिल जाएंगी। यहां तक कि फिलीपीन्स के राष्‍ट्रपति डुटर्टे और हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बान की बायोग्राफी तक मिलेगी, लेकिन कुछ छोटे-मोटे आलेखों को छोडकर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बारे में कोई किताब नहीं मिलेगी। उनकी कोई अधिकारिक किताब कहीं उपलब्‍ध नहीं है।

करप्‍शन के खिलाफ सख्त रहे हैं शी जिनपिंग
अपने अब तक के कार्यकाल में शी जिनपिंग भष्टाचार के खिलाफ रहे हैं। इस लड़ाई में उन्होंने अपने करीबियों को भी नहीं बख्शा। शी के साल 2012 में पद संभालने के तुरंत बाद शुरू की गई भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई में 10 लाख से ज्यादा अधिकारियों को जेल भेजा गया या गिरफ्तार किया गया था। शी के भष्टाचार के खिलाफ चलाई गई मुहिम में कई बड़े नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की गई। जिसके बाद उनके तख्तापलट की कोशिश की गई।

माओ के जुल्म ने बनाया मजबूत
शी जिनपिंग आज चीन के राष्‍ट्रपति हैं, और बेहद सख्‍त माने जाते हैं। उसके पीछे चेयरमैन माओ का जुल्म भी बताया जाता है। कहा जाता है कि माओ के जुल्म ने शी को इतना तपाया कि वे एक मजबूत नेता बनकर उभरे। 60 के दशक में माओ ने काफी जुल्म ढहाए और शी के पिता को पार्टी से बाहर निकाल दिया। उन्हें जेल भी भेज दिया। इस बीच शी की एक बहन की मौत भी हो गई थी। माओ के रेड गार्ड्स का आतंक इतना ज्‍यादा था कि शी जिनपिंग अपनी जान बचाने के लिए छुपते फिर रहे थे। इस पूरे संघर्ष में वे और मजबूत हो गए।

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