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इस महिला से दुनिया हैरान, पहले होलोकॉस्‍ट से बचकर आई, अब 97 साल की उम्र में कोरोना, मौत को दी पटखनी

हमें फॉलो करें इस महिला से दुनिया हैरान, पहले होलोकॉस्‍ट से बचकर आई, अब 97 साल की उम्र में कोरोना, मौत को दी पटखनी
, गुरुवार, 28 जनवरी 2021 (13:13 IST)
अगर जीने का जुनून हो तो किसी भी उम्र में मौत को मात दी जा सकती है, दूसरे विश्‍वयुद्ध में होलोकॉस्‍ट की सर्वाइवर रहीं ये महिला मौत पर जिंदगी की जीती की जीती जागती मिसाल हैं।

दुनियाभर में कोरोना का संक्रमण फैल रहा है। अब तक करोड़ों लोग इस बीमारी से संक्रमित हो चुके हैं और बहुत से लोगों की जान भी जा चुकी है। वहीं, कुछ लोग ऐसे हैं जो काफी ज्यादा उम्रदराज होने के बाद भी इस बिमारी से जीतकर घर लौट रहे हैं।

दुनिया की सबसे बडी त्रासदी द्वतीय विश्‍वयुद्ध में होलोकास्‍ट के बारे में सोचकर भी रू‍ह कांप जाती है, लेकिन यह महिला न सिर्फ होलोकॉस्‍ट की सर्वाइवर रही है, बल्‍कि कोरोना जैसे खतरनाक वायरस से बचकर भी मिसाल पेश की है।

दरअसल, लंदन में एक 97 साल की महिला ने कोरोना को मात दे दी है और वह ठीक होकर घर लौट आई हैं। दरअसल, होलोकॉस्ट के दौरान जीवित रहने वाले 97 साल की लिली एबर्ट  कोरोना संक्रमित पाई गई थी। जो लंबे इलाज के बाद अब पूरी तरह से ठीक हो गई हैं। यह खबर उनके पोते ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट के जरिए एक फोटो शेयर करते हुए दी है।

लिली के पोते ने तस्वीर शेयर करते हुए लिखा—  'मेरी 97 साल की दादी लिली एबर्ट जो की ऑशविट्ज़ सर्वाइवर हैं, उन्होंने कोरोना संक्रमण को मात दे दी है और वे ठीक होकर घर लौट आई हैं। आज वह ठीक होने के लगभग एक महीने बाद अपनी पहली वॉक पर निकली हैं'

एक इंटरव्यू में लिली के पोते फॉर्मन ने कहा,

मेरी दादी लिली एबर्ट जनवरी में कोरोना संक्रमित पाई गई थी। जिसके बाद घर पर ही उनका इलाज जारी था। तीन सप्ताह बाद वे पूरी तरह से ठीक हो गई हैं।

हालांकि, फॉर्मन ने यह भी बताया कि बीते साल 17 दिसंबर को लिली को कोरोना वैक्सीन की पहली खुराक भी दी गई थी, जिसके कुछ हफ्तों बाद उनकी दादी अस्वस्थ महसूस करने लगी और बाद उन्हें कोरोना से संक्रमित पाया गया।

रिपोर्ट के मुताबिक लिली एबर्ट साल 1944 में ऑशविट्ज़ पहुंची थी। इस दौरान उन्होंने ऑशविट्ज़ कैंप में 4 महीने बिताए, जहां उनकी मां, भाई और बहन को मौत हो गई थी। बता दें कि ऑशविट्ज़ सर्वाइवर या होलोकॉस्ट सर्वाइवर वह लोग हैं जो यूरोप और उत्तरी अफ्रीका में द्वितीय विश्व युद्ध से पहले और उसके दौरान नाजी जर्मनी और उसके सहयोगियों से बचे रहे। इस दौरान यहूदियों का उत्पीड़न बड़ी संख्या में किया जाता था।

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