हेग। भारत ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में कुलभूषण जाधव के मामले में सुनवाई के दौरान पाकिस्तान के वकील की ओर से अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने पर कड़ी आपत्ति जताई है और संयुक्त राष्ट्र की अदालत से लक्ष्मण रेखा खींचने की गुजारिश की।
भारत के पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे ने आईसीजे में भारत के मामले को रखते हुए, सुनवाई के दूसरे दिन पाकिस्तानी वकील ख्वाजा कुरैशी द्वारा अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने पर अदालत का ध्यान दिलाया।
कुलभूषण जाधव मामले में दूसरे दौर की सार्वजनिक सुनवाई शुरू होने पर साल्वे ने कहा, 'जिस तरह की भाषा इस अदालत में गूंजी है... यह अदालत कुछ लक्ष्मण रेखाओं का निर्धारण कर सकती है। उनके भाषण की भाषा में बेशर्म, बकवास, लज्जाजनक जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया है... भारत अंतरराष्ट्रीय अदालत में इस तरह के संबोधन पर आपत्ति जताता है।' उन्होंने कहा, 'भारत पाकिस्तानी वकील की अभद्र भाषा पर कड़ा ऐतराज जताता है।'
जबरन स्वीकारोक्ति पर आधारित है जाधव का मृत्युदंड, इसे रद्द करो : भारत ने बुधवार को पाकिस्तान की सैन्य अदालतों के कामकाज पर सवाल उठाते हुए अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) से अनुरोध किया कि वह कुलभूषण जाधव का मृत्युदंड रद्द करे क्योंकि वह ‘जबरन स्वीकरोक्ति’ पर आधारित है।
जाधव (48) भारतीय नौसेना से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। उन्हें बंद कमरे में सुनवाई के बाद अप्रैल 2017 में पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने ‘जासूसी और आतंकवाद’ के आरोप में मौत की सजा सुनाई थी।
सुनवाई के तीसरे दिन भारत की ओर से अंतिम दलील देते हुए विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव दीपक मित्तल ने कहा कि सैन्य अदालत के फैसले को रद्द करें और पाकिस्तान को मृत्युदंड का अनुपालन करने से रोकें। जाधव को रिहा करें और उनकी सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित करें। यदि ऐसा नहीं है तो पूर्ण राजनयिक पहुंच के साथ सामान्य कानून के तहत सुनवाई का आदेश दें।
उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि वह घोषित करे कि पाकिस्तान ने विएना सम्मेलन के अनुच्छेद 36 का उल्लंघन किया है और जाधव को उसके अधिकारों की जानकारी देने में विफल रहा है।
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