काठमांडू। नव स्थापित आभूषण के निर्माण में अनियमितताओं के बढ़ते दावों के बीच नेपाल के शीर्ष भ्रष्टाचार निरोधक निकाय ने पशुपतिनाथ मंदिर के भीतर 'जलहरी' में गायब सोने की जांच शुरू कर दी है। अधिकारियों ने बताया कि सोमवार को मंदिर श्रद्धालुओं के लिए फिर से खोल दिया गया।
जलहरी वह नींव है जिस पर शिवलिंग स्थापित किया जाता है। काठमांडू के सबसे पुराने हिंदू मंदिर पशुपतिनाथ मंदिर के आंतरिक गर्भगृह में यह है। जलहरी से 10 किलोग्राम सोना गायब होने की रिपोर्ट की जांच करने के लिए सरकार द्वारा अधिकार का दुरूपयोग की जांच करने वाले आयोग (सीआईएए) को निर्देश दिए जाने के बाद रविवार को मंदिर भक्तों के लिए बंद कर दिया गया था।
जलहरी नामक नव स्थापित 100 किलोग्राम सोने का आभूषण पिछले साल महाशिवरात्रि उत्सव के दौरान मंदिर के अंदर शिव लिंग के चारों ओर स्थापित किया गया था। सीआईएए की एक विशेष टीम ने सफलतापूर्वक सोने का वजन किया। तौल प्रक्रिया रविवार शाम छह बजे शुरू हुई और सोमवार तड़के दो बजे समाप्त हुई।
सीआईएए के प्रवक्ता भोला दाहाल ने कहा, हम मामले की जांच कर रहे हैं और किसी निष्कर्ष पर पहुंचने में कुछ समय लगेगा। जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, हम आभूषण के बारे में कुछ नहीं कह सकते। दाहाल के मुताबिक, जांच को फिलहाल गुप्त रखा गया है।
सीआईएए वजन माप रहा है और आभूषण की गुणवत्ता निर्धारित कर रहा है। पशुपति क्षेत्र विकास न्यास ने दावा किया है कि आभूषण में 103 किलो सोना और पांच किलो अन्य धातुएं हैं, जिनका कुल वजन 108 किलो है।
न्यास के अधिकारियों ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। सीआईएए की जांच जलहरी के आसपास अनियमितताओं को लेकर की गई एक शिकायत के बाद हुई। जांच प्रक्रिया के लिए रविवार को पशुपति मंदिर परिसर में नेपाल सेना के जवानों सहित कई सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया था।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)