Blasts in Iran : ईरान में कासिम सुलेमानी की कब्र के पास 2 धमाके, 100 से ज्यादा लोगों की मौत, 150 घायल, अमेरिकी ड्रोन से हमले की आशंका

Webdunia
बुधवार, 3 जनवरी 2024 (22:35 IST)
  • सुलेमानी चौथी बरसी पर जुटे थे लोग
  • दस मिनट में हुए 2 धमाके
  • अमेरिकी हमले में मारा गया था सुलेमानी
Blasts in Iran : ईरान के करमान शहर में बुधवार को विस्फोट की दो घटनाओं में 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई और करीब 150 लोग घायल हुए। अधिकारियों ने इन हमलों को ‘आतंकवाद की कार्रवाई’ बताया है। कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि बुधवार को केरमान में दोनों विस्फोट करीब 10 मिनट के अंतराल पर हुए थे। सुरक्षाकर्मियों ने इलाकों को खाली करा लिया था। 
 
ईरान की संवाद समिति और अन्य मीडिया चैनलों की रिपोर्ट के अनुसार ये ताकतवर विस्फोट ईरान के चर्चित सुरक्षा बल रिवोल्यूशनरी गार्ड के पूर्व प्रमुख काशिम सुलेमानी की कब्रगाह के बाहर कुछ अंतराल पर हुए। यह जगह राजधानी तेहरान से 820 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में है।
 
ईरान की प्रमुख संवाद समिति ने केरमान प्रांत के डिप्टी गवर्नर रहमान जलाली के हवाले से कहा है कि यह हमला ‘आतंकवाद की कार्रवाई है।’
 
मीडिया चैनलों की रिपोर्टों के अनुसार सुलेमानी की आज बरसी थी और इस अवसर पर कब्रगाह के पास लोगों की भीड़ थी। विस्फोटों में103 लोगों के मरने और 141 के घायल होने की रिपोर्ट हैं। हताहतों की संख्या बढ़ने की आशंका है।

कासिम सुलेमानी को ईरान में किसी हीरो का दर्जा मिला हुआ था। वे ईरान में इतने लोकप्रिय थे कि उनके ऊपर हजारों लेख लिखे गए, उन पर कई डॉक्यूमेंट्री बनीं। इतना ही नहीं, उनके ऊपर पॉप गीत भी बनने लगे थे। कई रिपोर्ट्स में उन्हें मिडिल ईस्ट का सबसे ताकतवर व्यक्ति बताया गया।

कौन था सुलेमानी : 11 मार्च 1957 में पैदा हुए सुलेमानी ने अपनी जवानी के दिनों में करीब 8 लाख आबादी वाले शहर करमन में कंस्‍ट्रक्‍शन का काम किया करता था। बाद में वो यहीं के करमन वॉटर ऑर्गनाइजेशन (जल विभाग) में ठेकेदार बन गया। साल 1979 आते- आते सुलेमानी ने आईआरजीसी ज्‍वॉइन कर ली। आईआरजीसी यानी इस्‍लामिक रिवोल्‍यूशनरी गार्ड कॉर्प्स। 3 जनवरी 2020 को बगदाद हवाई अड्डे पर अमेरिकी हवाई हमले में शीर्ष ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की मौत हो गई थी। 
सुलेमानी ने ईरान की ताकत को बढ़ाने के लिए बेहद काम किया। उसने मिडिल ईस्‍ट में भी ईरान की ताकत को बढ़ाया। अपनी खुफिया एजेंसियों के साथ मिलकर सुलेमानी ने लगातार काम किया। नतीजा यह हुआ कि वो अमेरिका के लिए सिरदर्द बन गया। इतना ही नहीं, सऊदी अरब और इसराइल जैसे अमेरिकी समर्थक देशों के लिए भी ईरान से निपटना मुश्‍किल हो गया था और यह सब सुलेमानी की नीतियों का कमाल था। इस कारण उसे कई बार मारने की कोशिश की गई, करीब 20 सालों तक पश्‍चिमी, इसराइल और अरब देशों की खुफिया एजेंसियां उसे मारने के लिए पीछा करती रही। लेकिन हर बार वो बच निकलता था।
 
जनरल कासिम सुलेमानी को पता था कि ईरान की अवाम अमेरिका को बिल्‍कुल भी पसंद नहीं करती है। ईरान के लोगों की यही नब्‍ज उसने पकड़ी थी। वो खुद भी अमेरिका का पुराना दुश्‍मन था। इस्लामिक स्टेट के आतंक से बगदाद को बचाने के लिए उसकी लीडरशिप में ही ईरान समर्थित फोर्स का गठन किया गया था। पॉपुलर मोबिलाइजेशन फोर्स इसका नाम था। जब ईरान और इराक के बीच 1980 में जंग हुई तो इसमें भी सुलेमानी की अहम भूमिका थी। 
<

Update on the terrorist attack in Iran

73 dead, 120 injured

The terrorists used two remote-controlled briefcases to detonate them in the middle of the crowd.

23,000 Iranian civilians have been killed in terrorist attacks over the last four decades.

17,000 of them were… pic.twitter.com/5lcTL9LrNG

— Iran Observer (@IranObserver0) January 3, 2024 >

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

tirupati laddu पर छिड़ी सियासी जंग, पशु चर्बी के दावे पर तेदेपा-वाईएसआरसीपी आमने-सामने

Kolkata Doctor Case : जूनियर डॉक्‍टरों ने खत्‍म की हड़ताल, 41 दिन बाद लौटेंगे काम पर

कटरा चुनावी रैली में कांग्रेस-नेकां पर गरजे PM मोदी, बोले- खून बहाने के पाकिस्तानी एजेंडे को लागू करना चाहता है यह गठबंधन

Mangaluru : 2 सिर और 4 आंख वाला दुर्लभ बछड़ा पैदा हुआ, देखने के लिए उमड़ा हुजूम

वन नेशन वन इलेक्शन में दक्षिण भारत पर भारी पड़ेगा उत्तर भारत?

सभी देखें

नवीनतम

गृहमंत्री अमित शाह ने बताई नक्सलवाद को खत्म करने की डेडलाइन

Bengal Flood : ममता बनर्जी ने बाढ़ को बताया साजिश, PM मोदी को लिखा पत्र, दी यह चेतावनी

Tirupati Laddu Controversy : जेपी नड्डा ने CM चंद्रबाबू से मांगी रिपोर्ट, बोले- जांच के बाद होगी उचित कार्रवाई

इस बार कश्मीर के चुनाव मैदान में हैं 25 पूर्व आतंकी, अलगाववादी और जमायते इस्लामी के सदस्य

300 साल पुरानी भोग प्रथा, 2014 में मिला GI टैग, अब प्रसाद में पशु चर्बी, क्‍या है Tirupati Controversy?

अगला लेख
More