बीजिंग। चीन ने अमेरिका को करारा जवाब देते हुए 100 से ज्यादा अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क में इजाफा किया है। चीन ने यह कदम अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस कदम के बाद उठाया, जिसमें उन्होंने चीन से आयात पर 60 अरब डॉलर का टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। ट्रंप ने अमेरिका की बौद्धिक संपदा को ‘अनुचित’ तरीके से जब्त करने को लेकर बीजिंग को दंडित करने के लिए यह कदम उठाया। अमेरिकी राष्ट्रपति के इस कदम से दोनों देशों के बीच जारी तनाव के और अधिक बढ़ने की आशंका है।
बौद्धिक संपदा की चोरी के मामले की सात माह की जांच के बाद ट्रंप ने अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि को चीन से आयात पर 60 अरब डॉलर का टैरिफ लागू करने को कहा है। ट्रंप ने कहा, ‘‘हमें बौद्धिक संपदा की चोरी की बहुत बड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। यह हमें अधिक मजबूत, अधिक संपन्न देश बनाएगा।’’ इस शुल्क के अलावा अमेरिका ने चीन पर नए निवेश प्रतिबंध लगाने की भी योजना बनाई है। इसके साथ ही विश्व व्यापार संगठन और राजस्व विभाग भी चीन पर अतिरिक्त कदम उठाएगा। ट्रंप ने गुरुवार को 1974 के व्यापार अधिनियम की धारा 301 के हवाला देकर एक मेमो पर हस्ताक्षर किए।
इससे पहले चीन ने रविवार (4 मार्च) को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर वॉशिंगटन व्यापारिक युद्ध (ट्रेड वॉर) शुरू करता है तो उसे इसका नतीजा भुगतना होगा। चीन की नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के प्रवक्ता जेंग येस्यूई ने एक प्रेस वार्ता में कहा था, "चीन, अमेरिका के साथ ट्रेड वॉर नहीं चाहता है, लेकिन अपने हितों को नुकसान पहुंचाने वाले कदम पर चीन चुप नहीं बैठेगा और आवश्यक कदम उठाएगा।"
समाचार एजेंसी की खबर के मुताबिक, जेंग ने वॉशिंगटन को चेतावनी देते हुए कहा था कि गलत फैसलों और गलत धारणा पर आधारित नीतियां संबंधों को नुकसान पहुंचाएंगी और इसके ऐसे परिणाम होंगे, जिसे दोनों ही पक्ष देखना नहीं चाहेंगे। चीन की यह प्रतिक्रिया गुरुवार (1 फरवरी) को ट्रंप की घोषणा के बाद आई है। ट्रंप ने घोषणा की थी कि उनका प्रशासन स्टील के आयात पर 25 फीसदी और एल्यूमिनियम उत्पादों पर 10 फीसदी कर लगाएगा। साथ ही उन्होंने व्यापार युद्ध को 'सही' करार दिया था।
जेंग ने कहा कि 2017 में दो आर्थिक शक्तियों के बीच का कुल व्यापार 580 अरब डॉलर पहुंच गया, इसलिए यह स्वाभाविक है कि कुछ टकराव हो। हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि सहयोग ही इन मतभेदों को दूर करने का एकमात्र रास्ता है। उन्होंने चीन के शीर्ष आर्थिक सलाहकार लियु ही के इस सप्ताह वॉशिंगटन के होने वाले दौरे का उदाहरण दिया। (एजेंसी)