Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

Story of Charley Hebdo: उस मैगजीन की कहानी, जिसकी वजह से छि‍ड़ा है पूरी दुनिया में विवाद

हमें फॉलो करें Story of Charley Hebdo: उस मैगजीन की कहानी, जिसकी वजह से छि‍ड़ा है पूरी दुनिया में विवाद
webdunia

नवीन रांगियाल

  • शार्ली एब्दो फ्रांस में एक बेहद चर्चित साप्ताहिक व्यंग्य मैगजीन है।
  • इस मैगजीन में कार्टून, रिपोर्ट्स, वाद विवाद और मनोरंजक सटायर यानि कटाक्ष प्रकाशि‍त किए जाते हैं।‘
  • शार्ली एब्दो’ ने कुछ साल पहले इस्‍लामिक धर्म गुरु मोहम्‍मद पैगंबर के कार्टून को प्रकाशि‍त किया था।
  • मुस्‍लिम समुदाय के लोगों की नाराजगी के बाद इस इस मैगजीन के ऑफि‍स पर हमला हुआ था। 


इसी साल यानि‍ 16 अक्टूबर 2020 को फ्रांस के पेरिस में शार्ली एब्दो में छपे पैगंबर मोहम्मद के एक कार्टून को छात्रों को दिखाने पर यहां के एक टीचर का गला रेत कर हत्‍या कर दी गई।


इस घटना के बाद एक बार फिर शार्ली एब्दो नाम की यह मैगजीन एक बार फि‍र चर्चा में आ गई। शार्ली एब्दो फ्रांस में एक बेहद चर्चित साप्ताहिक व्यंग्य मैगजीन है। इस मैगजीन में कार्टून, रिपोर्ट्स, वाद विवाद और मनोरंजक सटायर का प्रकाशन होता है। तमाम राजनीति‍क और सामाजिक घटनाक्रम पर यह व्‍यंग्‍य प्रकाशि‍त करती है।

इसके पहले यह तब सुर्खि‍यों में आई थी जब इसमें मुस्‍लि‍मों के धर्म गुरु पैगंबर मोहम्‍मद को लेकर कुछ कार्टून्‍स प्रकाशि‍त किए थे। इस प्रकाशन के बाद शार्ली एब्‍दो के पेरिस ऑफि‍स पर हमला किया गया था।

इस हमले में फ्रांस के सबसे मशहूर कार्टूनिस्टों समेत 12 लोगों की 7 जनवरी 2015 को नरसंहार में जान ले ली गई। दो भाइयों साएद और शेरिफ कुआशी ने पेरिस में इस पत्रिका के दफ्तर में घुसकर अंधाधुंध गोलीबारी की थी। इन दोनों ने एक पुलिसकर्मी की भी जान ली और खुद को अल कायदा से जुड़ा बताया। इन लोगों ने गोलीबारी के बाद कहा था, ‘हमने पैगंबर का बदला ले लिया’

दरअसल, दुनियाभर के मुसलमान पैगंबर मुहम्मद की तस्वीर या कार्टून को ईशनिंदा के रूप में देखते हैं।
इस हमले के कुछ वक्‍त बाद पत्रिका के निदेशक लॉरां रिस सुरिसे ने शार्ली एब्दो के एक अंक के संपादकीय में लिखा था, ‘हम कभी नहीं झुकेंगे, हम कभी पीछे नहीं हटेंगे’

यानि शार्ली एब्‍दो अपने जर्नलिज्‍म ऑफ करेज पर कायम था और इस्‍लामिक रेडिकल्‍स इससे नाराज।
2015 की इस घटना के बाद अब 2020 में जब एक टीचर ने स्‍कूल में पढाते हुए बच्‍चों को वही कार्टून्‍स दिखाए तो मुस्‍लि‍म कट्टरपंथि‍यों ने उसकी हत्‍या कर दी।

इसके बाद फ्रांस के राष्‍ट्रपति‍ ने इस घटना का मुस्‍लि‍म आतंकवाद बताकर आलोचना की। इस प्रति‍क्रि‍या के बाद दुनिया के कई मुस्‍लि‍म देशों में फ्रांस के उत्‍पादों का बहिष्‍कार शुरू हो गया। इसमें तुर्की, पाकिस्‍तान, मलेशि‍या, बांग्‍लादेश आदि शामिल हैं। यानी फ्रांस और बाकी मुस्‍लिम देश आमने-सामने आ गए हैं।

पहले थी ‘हारा किरी एब्दो’
यह मैगजीन साल 1970 में शुरू हुई थी। उस दौरान इस मासिक पत्रिका का नाम ‘हारा किरी एब्दो’ रखा गया था, जिसे पूर्व राष्ट्रपति चार्ल्स दी गॉल की मौत के बाद मजाक उड़ाने के आरोप में बैन कर दिया गया था। इसके बाद 1981 में इस मैगजीन को बंद कर दिया गया, लेकिन 1991 में यह मैगजीन फिर चालू कर दी गई। फ्रेंच के शब्द ‘एब्दो’ का अर्थ है ‘साप्ताहिक’

बाद में लोकप्रिय कार्टून सीरीज ‘पीनट’ के कैरेक्टर शार्ली ब्राउन के नाम पर इस मैगजीन का नाम शार्ली एब्दो रखा गया। हर बुधवार को पब्लिश होने वाली शार्ली एब्दो साप्ताहिक पत्रिका के वर्तमान प्रमुख संपादक गेरार्ड बियार्ड हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

दिल्ली के समीकरण बिगाड़ने और शीर्ष स्थान मजबूत करने उतरेगा मुंबई