ब्रिटेन की केयर्न एनर्जी ने मध्यस्थता आदेश के तहत 1.7 अरब अमेरिकी डॉलर का हर्जाना वसूलने के लिए फ्रांसीसी अदालत ने फ्रांस में स्थित 20 सरकारी संपत्तियों को जब्त करने का आदेश हासिल किया है। फ्रांसीसी अदालत ने 11 जून को केयर्न एनर्जी को भारत सरकार की संपत्तियों के अधिग्रहण का आदेश दिया था, जिनमें ज्यादातर फ्लैट शामिल हैं और इस बारे में कानूनी प्रक्रिया बुधवार शाम को पूरी हुई।
रिपोर्ट में कहा गया कि केयर्न ने कहा कि ट्रिब्यूनल ज्यूडिशियरी डे पेरिस का आदेश 'प्रॉपर्टीज का मालिकाना हक़ लेने के लिए एक जरुरी शुरूआती कदम था और ये सुनिश्चित करता है कि किसी भी बिक्री की आय केयर्न के कारण होगी।' दिसंबर 2020 में, द हेग, नीदरलैंड में एक स्थायी मध्यस्थता न्यायालय ने फैसला सुनाया था कि भारत सरकार को केयर्न एनर्जी को 1.2 बिलियन डॉलर का हर्जाना देना चाहिए, क्योंकि इसने गलत तरीके से टैक्स डिमांड को लागू किया था।
ये है पूरा मामला
जानकारी के लिए बता दें कि केयर्न एक ब्रिटेन की कंपनी है। उसने साल 2007 में भारत में अपनी कंपनी को सूचीबद्ध कराने के लिए आईपीओ पेश किया था। इससे एक साल पहले उसने केयर्न इंडिया के साथ भारत में अपनी कई इकाइयों का विलय किया था, लेकिन इससे इनके मालिकाना हक में कोई बदलाव नहीं हुआ था।
केयर्न ने इसके लिए फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड से इजाजत ली थी। सात साल बाद टैक्स डिपार्टमेंट ने उस पर कैपिटल गेंस टैक्स का नोटिस भेजा। उसने 2014 में केयर्न ने कहा कि आईपीओ से पहले उसने अपनी कई इकाइयों को केयर्न इंडिया से मिलाया था। इससे उसे कैपिटल गेंस हुआ था और इसी कारण उसे टैक्स चुकाना होगा।