वॉशिंगटन। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एच-1बी और एल1 वीजाधारकों सहित कुशल विदेश कामगारों के प्रवेश को रोकने वाले कार्यकारी आदेश से अमेरिकी कंपनियों को करीब 100 अरब डॉलर का नुकसान हुआ। एक शीर्ष अमेरिकी थिंक टैंक ने यह दावा किया।
ट्रंप ने 22 जून को एक कार्यकारी आदेश के जरिए नए एच-1बी और एल-1 वीजा जारी करने पर 31 दिसंबर 2020 तक रोक लगाई थी। ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूट द्वारा इस सप्ताह जारी रिपोर्ट में कहा गया कि इस आदेश से फॉर्च्यून 500 कंपनियों के मूल्यांकन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा और उन्हें 100 अरब डॉलर से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा।
एच-1बी वीजा भारतीय आईटी पेशेवरों के बीच काफी लोकप्रिय है और इस वीजा के जरिए सैद्धांतिक या तकनीकी विशेषज्ञता वाले विदेशी श्रमिकों को अमेरिकी कंपनियों में नियुक्त करने की अनुमति दी जाती है। ब्रुकिंग्स ने अपनी रिपोर्ट में अनुमान जताया है कि इस आदेश ने करीब 2 लाख विदेश श्रमिकों और उनके आश्रितों के प्रवेश पर रोक लगा दी।
रिपोर्ट में कहा गया कि ट्रंप प्रशासन द्वारा इस तरह आव्रजन पर लगाम लगाने के उपायों से अमेरिकी फर्मों पर स्थायी रूप से नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और कोविड-19 महामारी के प्रकोप के बाद आर्थिक सुधार की प्रक्रिया धीमी हो जाएगी। इस बीच अमेरिकी आव्रजन परिषद ने गुरुवार को कहा कि गृह सुरक्षा विभाग द्वारा विदेशी छात्रों के प्रवेश की अवधि को सीमित करने के एक नए प्रस्ताव से वैज्ञानिक अनुसंधान और तकनीकी नवाचार को भारी नुकसान होगा। (भाषा)