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क्‍या है ‘जतिंगा वैली’ का रहस्‍य, जहां पक्षी आते हैं ‘सुसाइड’ करने?

हमें फॉलो करें क्‍या है ‘जतिंगा वैली’ का रहस्‍य, जहां पक्षी आते हैं ‘सुसाइड’ करने?
, मंगलवार, 30 मार्च 2021 (16:17 IST)
इंसान के तो थक हारने के बाद सुसाइड करने के मामले आपने सुने होंगे, लेकिन यदि पक्षी भी आत्‍महत्‍या करें तो इसे आप क्‍या कहेंगे।

जी हां, ऐसी जगह के बारे में पता चला है, जहां पक्षी सुसाइड करने जाते हैं। ये जगह पक्षियों की आत्महत्या के लिए बदनाम है।

असम के दिमा हासो जिले की घाटी में स्थित जतिंगा वैली अपनी प्राकृतिक स्थितियों की वजह से साल में करीब 9 महीने तक बाहरी दुनिया से कटा रहता है। लेकिन सितंबर महीने में ये यह गांव खबरों में छा जाता है। आप ये जानकार हैरान रह जाएंगे कि यहां आकर पक्षी सुसाइड कर लेते हैं।

सितंबर के बाद इस घाटी में नाइट कर्फ्यू जैसी स्थिति हो जाती है। अक्टूबर से नवंबर तक कृष्णपक्ष की रातों में यहां अजीबोगरीब स्थिति होती है। यहां शाम 7 बजे से लेकर रात के दस बजे के बीच पक्षी, कीट-पतंगों की तरह बदहवास होकर गिरने लग जाते हैं। यहां पक्षियों की लाशें बिछी होती हैं। ये नजारा आंखों को नम कर देता है।

गौरतलब है कि जतिंगा गांव असम के बोरैल हिल्स में स्थित है। इस जगह पर काफी बारिश होती है। बेहद ऊंचाई और पहाड़ों से घिरे होने के कारण यहां बादल और गहरी धुंध छाई रहती है। वैज्ञानिकों बताते हैं कि तेज बारिश के दौरान पक्षी पूरी तरह से गीले हो चुके होते हैं। ऐसे में जब वे उड़ने की कोशिश करते हैं तो उनकी क्षमता खत्म हो चुकी होती है।

इस घाटी में बांस के बेहद घने और कटीले जंगल हैं, जिनकी वजह से गहरी धुंध और अंधेरी रातों में पक्षी इनसे टकराकर दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। ज्यादातर दुर्घटनाएं देर शाम होती हैं क्योंकि उस समय पक्षियों का झुंड में अपने घरों की ओर लौट रहे होते हैं। वहीं कई वैज्ञानिकों के अनुसार ये पक्षी सुसाइड नहीं करते हैं, वे ज्यादातर झुंड में होते हैं जिस वजह से एक साथ ही दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं।

आपको बता दें कि यहां आत्महत्या करने वालों में स्थानीय और प्रवासी चिड़ियों की कई प्रजातियां शामिल हैं। इतना ही नहीं इस वैली में रात में एंट्री पर बैन भी लगा हुआ है।

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