Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

15 दिसंबर - सरदार वल्लभ भाई पटेल पुण्यतिथि पर जानिए उनके बारे में खास बातें

हमें फॉलो करें 15 दिसंबर - सरदार वल्लभ भाई पटेल पुण्यतिथि पर जानिए उनके बारे में खास बातें
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को वैचारिक एवं क्रियात्मक रूप में एक नई दिशा देने की वजह से सरदार वल्लभ भाई पटेल (Sardar Vallabh bhai Patel) ने राजनीतिक इतिहास में एक अत्‍यंत गौरवपूर्ण स्थान पाया। वे भारत के पहले गृहमंत्री थे। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देशी रियासतों का एकीकरण कर अखंड भारत के निर्माण में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। 
 
सरदार वल्लभ भाई पटेल के बारे में आइए जानते हैं 10 बातें-
 
1. 'लौहपुरुष' सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद में हुआ। वे खेड़ा जिले के कारमसद में रहने वाले झावेर भाई और लाडबा पटेल की चौथी संतान थे। 1897 में 22 साल की उम्र में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। वल्लभ भाई की शादी झबेरबा से हुई। पटेल जब सिर्फ 33 साल के थे, तब उनकी पत्नी का निधन हो गया। 
 
 
2. सरदार पटेल अन्याय नहीं सहन कर पाते थे। अन्याय का विरोध करने की शुरुआत उन्होंने स्कूली दिनों से ही कर दी थी। नडियाद में उनके स्‍कूल के अध्यापक पुस्तकों का व्यापार करते थे और छात्रों को बाध्य करते थे कि पुस्तकें बाहर से न खरीदकर उन्हीं से खरीदें। वल्लभभाई ने इसका विरोध किया और छात्रों को अध्यापकों से पुस्तकें न खरीदने के लिए प्रेरित किया। परिणामस्वरूप अध्यापकों और विद्यार्थियों में संघर्ष छिड़ गया। 5-6 दिन स्‍कूल बंद रहा। अंत में जीत सरदार की हुई। अध्यापकों की ओर से पुस्तकें बेचने की प्रथा बंद हुई।
 
 
3. सरदार पटेल को अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने में काफी समय लगा। उन्होंने 22 साल की उम्र में 10वीं की परीक्षा पास की। सरदार पटेल का सपना वकील बनने का था और अपने इस सपने को पूरा करने के लिए उन्हें इंग्लैंड जाना था, लेकि‍न उनके पास इतने भी आर्थिक साधन नहीं थे कि वे एक भारतीय महाविद्यालय में प्रवेश ले सकें। उन दिनों एक उम्मीदवार व्यक्तिगत रूप से पढ़ाई कर वकालत की परीक्षा में बैठ सकते थे। ऐसे में सरदार पटेल ने अपने एक परिचित वकील से पुस्तकें उधार लीं और घर पर पढ़ाई शुरू कर दी।
 
 
4. बारडोली सत्याग्रह का नेतृत्व कर रहे पटेल को सत्याग्रह की सफलता पर वहां की महिलाओं ने 'सरदार' की उपाधि प्रदान की। आजादी के बाद विभिन्न रियासतों में बिखरे भारत के भू-राजनीतिक एकीकरण में केंद्रीय भूमिका निभाने के लिए पटेल को 'भारत का बिस्मार्क' और 'लौहपुरुष' भी कहा जाता है। सरदार पटेल वर्णभेद तथा वर्गभेद के कट्टर विरोधी थे।
 
5. इंग्‍लैंड में वकालत पढ़ने के बाद भी उनका रुख पैसा कमाने की तरफ नहीं था। सरदार पटेल 1913 में भारत लौटे और अहमदाबाद में अपनी वकालत शुरू की। जल्द ही वे लोकप्रिय हो गए। अपने मित्रों के कहने पर पटेल ने 1917 में अहमदाबाद के सैनिटेशन कमिश्नर का चुनाव लड़ा और उसमें उन्हें जीत भी हासिल हुई।
 
 
6. सरदार पटेल गांधीजी के चंपारण सत्याग्रह की सफलता से काफी प्रभावित थे। 1918 में गुजरात के खेड़ा खंड में सूखा पड़ा। किसानों ने करों से राहत की मांग की, लेकिन ब्रिटिश सरकार ने मना कर दिया। गांधीजी ने किसानों का मुद्दा उठाया, पर वो अपना पूरा समय खेड़ा में अर्पित नहीं कर सकते थे इसलिए एक ऐसे व्यक्ति की तलाश कर रहे थे, जो उनकी अनुपस्थिति में इस संघर्ष की अगुवाई कर सके। इस समय सरदार पटेल स्वेच्छा से आगे आए और संघर्ष का नेतृत्व किया। 
 
7. गृहमंत्री के रूप में उनकी पहली प्राथमिकता देसी रियासतों (राज्यों) को भारत में मिलाना था। इस काम को उन्होंने बिना खून बहाए करके दिखाया। केवल हैदराबाद के 'ऑपरेशन पोलो' के लिए उन्हें सेना भेजनी पड़ी। भारत के एकीकरण में उनके महान योगदान के लिए उन्हे भारत का 'लौहपुरुष' के रूप में जाना जाता है। सरदार पटेल की महानतम देन थी 562 छोटी-बड़ी रियासतों का भारतीय संघ में विलीनीकरण करके भारतीय एकता का निर्माण करना। विश्व के इतिहास में एक भी व्यक्ति ऐसा न हुआ जिसने इतनी बड़ी संख्या में राज्यों का एकीकरण करने का साहस किया हो। 5 जुलाई 1947 को एक रियासत विभाग की स्थापना की गई थी।
 
 
8. सरदार वल्लभभाई पटेल देश के पहले प्रधानमंत्री होते। वे महात्मा गांधी की इच्छा का सम्मान करते हुए इस पद से पीछे हट गए और नेहरूजी देश के पहले प्रधानमंत्री बने। देश की स्वतंत्रता के पश्चात सरदार पटेल उपप्रधानमंत्री के साथ प्रथम गृह, सूचना तथा रियासत विभाग के मंत्री भी थे। सरदार पटेल के निधन के 41 वर्ष बाद 1991 में भारत के सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान भारतरत्न से उन्‍हें नवाजा गया। यह अवॉर्ड उनके पौत्र विपिनभाई पटेल ने स्वीकार किया।
 
 
9. आजादी से पहले जूनागढ़ रियासत के नवाब ने 1947 में पाकिस्तान के साथ जाने का फैसला किया था लेकिन भारत ने उनका फैसला स्वीकार करने से इंकार करके उसे भारत में मिला लिया। भारत के तत्कालीन उपप्रधानमंत्री सरदार पटेल 12 नवंबर 1947 को जूनागढ़ पहुंचे। उन्होंने भारतीय सेना को इस क्षेत्र में स्थिरता बहाल करने के निर्देश दिए और साथ ही सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण का आदेश दिया। 
 
10. सरदार पटेल के पास खुद का मकान भी नहीं था। वे अहमदाबाद में किराए एक मकान में रहते थे। 15 दिसंबर 1950 में मुंबई में जब उनका निधन हुआ, तब उनके बैंक खाते में सिर्फ 260 रुपए मौजूद थे। Vallabhbhai Jhaverbhai Patel

webdunia

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

National Energy Conservation Day : राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस पर जानिए 10 बड़ी बातें