Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

शहीद-ए-आज़म भगत सिंह को नमन, पढ़ें उनके दुर्लभ पत्र

हमें फॉलो करें शहीद-ए-आज़म भगत सिंह को नमन, पढ़ें उनके दुर्लभ पत्र
Letters of Bhagat Singh
 

1. भगत सिंह का अपने छोटे भाई को लिखा पत्र 
 
भगत सिंह ने जेल जाने और फांसी मिलने के बीच कोई 20 से अधिक पत्र लिखे हैं। उनमें से एक पत्र उन्होंने अपने छोटे भाई को लिखा था। 
 
उन्होंने लिखा था- हवा में रहेगी मेरे ख्याल की खुशबू, ये मुश्ते-खाक फानी है, रहे, रहे न रहे।

ये शेर उसी गजल का आखिरी शेर है भगत सिंह ने अपने छोटे भाई कुलतार सिंह को लिखे पत्र में लिखा था।
 
यह पत्र फांसी से 20 दिन पूर्व 3 मार्च 1931 को लिखा गया था। लेकिन इस शेर की पहली पंक्ति हकीकत न बन सकी। आजादी के इतने सालों बाद भी भगत सिंह को याद करने वाले कुछ चुनिंदा नाम हैं। कुछ चुनिंदा चेहरे हैं, लेकिन इतने भर से उनके चाहने वाले मायूस नहीं है। वो हर लम्हा शहीद-ए-आजम भगत सिंह के विचारों को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं।

2. भगत सिंह का पत्र पिता के नाम 
 
देश के लिए वीरता पूर्वक समर्पित होने वाले देशभक्त भगत सिंह द्वारा अपने पिता को एक पत्र लिखा गया था, जिसमें उन्होंने अपनी देशभक्ति और दादाजी का जिक्र किया था। पढ़ि‍ए और क्या लिखा था उस पत्र में -
 
पूज्य पिता जी,
 
नमस्ते!
 
मेरी जिंदगी भारत की आजादी के महान संकल्प के लिए दान कर दी गई है। इसलिए मेरी जिंदगी में आराम और सांसारिक सुखों का कोई आकर्षण नहीं है। आपको याद होगा कि जब मैं बहुत छोटा था, तो बापू जी (दादाजी) ने मेरे जनेऊ संस्कार के समय ऐलान किया था कि मुझे वतन की सेवा के लिए वक़्फ़ (दान) कर दिया गया है। लिहाजा मैं उस समय की उनकी प्रतिज्ञा पूरी कर रहा हूं। उम्मीद है आप मुझे माफ कर देंगे।
 
आपका ताबेदार

 
3. सपना अधूरा रह गया 
 
साथियों,
 
स्वाभाविक है कि जीने की इच्छा मुझमें भी होनी चाहिए, मैं इसे छुपाना नहीं चाहता। लेकिन मैं एक शर्त पर जिंदा रह सकता हूं, कि मैं कैद होकर या पाबंद होकर जीना नहीं चाहता।
 
मेरा नाम हिंदुस्तानी क्रांति का प्रतीक बन चुका है। ...दिलेराना ढंग से हंसते-हंसते मेरे फांसी पर चढ़ने की सूरत में हिंदुस्तानी माताएं अपने बच्चों के भगत सिंह बनने की आरजू किया करेंगी और देश की आजादी के लिए कुर्बानी देने वालों की तादाद इतनी बढ़ जाएगी कि उस क्रांति को रोकना साम्राज्यवाद या तमाम शैतानी शक्तियों के बूते की बात नहीं रहेगी।
 
आपका साथी
भगत सिंह
(22 मार्च 1931 को लिखे भगत सिंह के आखिरी पत्र का अंश)

4. भगत सिंह का गुम हुआ खत
 
 
देश के लिए प्राण न्यौछावर कर देने वाले शहीद-ए-आजम भगत सिंह का एक गुम हुआ खत जो उन्होंने क्रांतिकारी साथी हरिकिशन तलवार के मुकदमे में वकीलों के रवैए के खिलाफ लिखा था। यह पत्र ‘भगत सिंह के दुर्लभ दस्तावेज’ में प्रकाशित है। जिसमें लिखा है कि- 
 
हरिकिशन तलवार ने 23 दिसंबर 1930 को लाहौर यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह के दौरान पंजाब के तत्कालीन गवर्नर को गोली चलाकर मारने का प्रयास किया था, लेकिन हमले में वह बच गया था और एक पुलिस निरीक्षक मारा गया था।

हरिकिशन तलवार के मुकदमे को लेकर शहीद-ए-आजम द्वारा लिखा गया यह पत्र गुम हो गया था। इस पर भगत सिंह ने दूसरा पत्र लिखकर कहा था कि उन्होंने एक पत्र पहले भी लिखा था जो कहीं गुम हो गया है। इसीलिए उन्हें दूसरा पत्र लिखना पड़ रहा है। मुकदमे के दौरान वकीलों ने तर्क दिया था कि हरिकिशन का गवर्नर को मारने का कोई इरादा नहीं था। इस पर भगत सिंह वकीलों के रवैए से नाराज हो गए थे। 
 
भगत सिंह ने पत्र में लिखा था, ‘हरिकिशन एक बहादुर योद्धा है और वकील यह कहकर उसका अपमान नहीं करें कि उसका गवर्नर को मारने का कोई इरादा नहीं था।’
 
यह खत भगत सिंह ने 23 मार्च 1931 को अपनी फांसी से दो महीने पहले जनवरी 1931 में लिखा था। गवर्नर को मारने के प्रयास और पुलिस निरीक्षक को मारने के मामले में हरिकिशन को भी 9 जून 1931 को फांसी दे दी गई। भगत सिंह का 83 साल बाद सामने आया खत 1931 में कहीं गुम हो गया था, लेकिन हरिकिशन की फांसी के बाद यह खत 18 जून 1931 को हिन्दू पंच में छपा था। 
 
ज्ञात हो कि हरिकिशन तलवार मरदान शहर (अब पाकिस्तान के खबर पख्तूनख्वा प्रांत में) के रहने वाले थे। उनके भाई भगत राम तलवार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को उस समय महत्वपूर्ण सहयोग दिया था, जब वह अंग्रेजों की नजरबंदी को धता बताते हुए विदेश चले गए थे।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

ये 5 चीजें खाली पेट खाने पर फायदे की जगह होगा नुकसान