बिरजू महाराज : थम गई घूंघरू की झंकार
, सोमवार, 17 जनवरी 2022 (11:55 IST)
पद्मविभूषण पंडित बिरजू महाराज के ताल और घुंघरुओं का संदुर संगम, ताल की थाप और घुंघरूओं की रूनझून को महारास में तब्दील करने की बात हो तो स्मृति पटल पर एक ही नाम आता हैं- पंडित बिरजू महाराज। पंडित ब्रिजमोहन मिश्र प्रसिद्ध कथक नर्तक और शस्त्रीय गायक भी रहे हैं। बचपन से ही उन्हें कथक में लोकप्रियता मिली। दशकों से कला जगत के सिरमौर रहे बिरजू महाराज को हमेशा याद किया जाएगा। कथक के जरिए सामाजिक संदेश देन के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। बिरजू महाराज ने 83 वर्ष की उम्र में 17 जनवरी 2022 को अंतिम सांस ली। आइए जानते हैं उनके बारे में रोचक तथ्य-
- उनका जन्म 4 फरवरी 1938 को उत्तरप्रदेश के लखनऊ में हुआ था। ये शास्त्रीय कथक नृत्य के लखनऊ कालिका बिंदादीन घराने के अग्रणी नर्तक है। पंडितजी कथक नाटकों के महाराज परिवार के वंशज हैं। जिनमें प्रमुख विभूतियों में इनके ताऊ शंभू महाराज और लच्छू महाराज और उनके स्वयं के पिता अच्छन महाराज भी आते हैं।
- बिरजू महाराज का प्रथम जुड़ाव नृत्य से रहा है। लेकिन इसके साथ उनकी शास्त्रीय गायन पर भी बहुत अच्छी पकड़ थी।
- बिरजू महाराज ने कथक में कई आयाम जोड़कर नई उचांईयों तक पहुंचाया।
- कथक हेतु कलाआश्रम की स्थापना की।
- विश्व पर्यंत भ्रमण के दौरान कत्थक शिक्षार्थियों के लिए सैकड़ों कार्यशाला भी आयोजित की।
- मात्र 22 वर्ष की आयु में बिरजू महाराज को केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी का राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त कर लिया था। साथ ही मध्यप्रदेश सरकार ने उनके शास्त्रीय नृत्य के लिए वर्ष 1986 का कालिदास सम्मान प्रदान किया गया।
- 24 फरवरी, 2000 को उन्हें प्रतिष्ठित संगम कला पुरस्कार पुरस्कृत किया गया।
- बिरजू महाराज को अपना प्रशिक्षण अपने चाचाओं के द्वारा लच्छू महाराज और शंभू महाराज से मिला था।
- 20 मई 1947 को जब यह केवल 9 साल के थे, अल्पआयु में ही पिता का साया उठ गया था। इसके बाद वे अपने परिवार के साथ दिल्ली आ गए।
- मात्र 16 वर्ष की उम्र में ही बिरजू महाराज ने अपनी पहली प्रस्तुति दी और 28 वर्ष तक की उम्र में कत्थक में उनकी निपुणता ने उन्हें संगीत नाटक अकादमी का प्रतिष्ठित पुरस्कार दिलवाया।
- शास्त्रीय नृत्य में बिरजू महाराज फ्यूजन से भी घबराए और उन्होंने लुई बैंक के साथ रोमियो और जूलियट की कथा को कत्थक शैली में भी प्रस्तुत किया था।
- बिरजू महाराज का बॉलीवुड से गहरा नाता रहा। उन्होंने कई फिल्मों के गीतों का नृत्य निर्देशन भी किया। फिल्म शतरंज, देवदास, डेढ़ इश्किया, उमराव जान, बाजीराव मस्तानी, दिल तो पागल है में अपना योगदान दिया था।
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