इंदौर। विश्व संवाद केंद्र मालवा द्वारा देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के सभागृह में रविवार को सोशल मीडिया कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया। इसमें सुशांत सिन्हा, मेजर सुरेंद्र पुनिया, डॉ. गौरव प्रधान, अंशुल सक्सेना जैसे वक्ताओं ने अपने विचार रखे। वक्ताओं ने कहा कि वर्तमान समय में सोशल मीडिया का महत्व बहुत बढ़ गया है। सोशल मीडिया की सही इस्तेमाल करने वाला ही विजेता बन सकता है।
शुभारंभ में अतिथियों दीप प्रज्वलन और वंदे मातरम् और अतिथियों का स्वागत किया गया। कॉन्क्लेव की प्रस्तावना विनित नवाथे ने रखी। इसमें कई सत्रों में कई विषयों पर अपने विचार रखे। आज हम युद्ध के दौर में हैं। पत्रकार सुशांत सिन्हा ने कहा कि आज सोशल मीडिया की चर्चा करना बहुत आवश्यक हो गया है।
सोशल मीडिया की ताकत का सही इस्तेमाल करने वाला विजेता हो सकता है। तीसरे सत्र 'फेमिनिज्म के मायने' में सोनाली निरगुंडे, माला ठाकुर, कोमल जोशी, दिव्या गुप्ता ने विचार रखे। वक्ताओं ने कहा कि भारत में नारीवाद जैसे किसी भी 'वाद' की कभी आवश्यकता नहीं रही। सोशल मीडिया के द्वारा फेक फेमिनिज्म का प्रतिकार किया जाना आवश्यक है।
चतुर्थ सत्र में मेजर सुरेंद्र पुनिया 'आंतरिक सुरक्षा एवं सोशल मीडिया' विषय पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया इन्फ़्ल्युएन्सर ही नहीं, आप धर्म रक्षक हैं, संस्कृति रक्षक हैं। सोशल मीडिया दो तरह से कार्य करता है फैन्टेसी और फैक्ट।
औरंगजेब जैसे आक्रमणकारी कभी हमारे देश के नायक नहीं हो सकते, बल्कि कलाम साहब हैं। देश में 8वीं कमांड इंफॉर्मेशन वॉर होनी चाहिए। मीडिया के कुछ संस्थानों का प्रयास है कि भारत के लोगों की जागृति ना हो पाए। पंचम सत्र में गौरव प्रधान ने कहा कि भारत में सनातन धर्म के सूर्य उदय हो चुका है।
भारत विश्व में जल्द ही पावर हाउस बनेगा। समापन सत्र में अंशुल सक्सेना ने कहा कि यह देश की विडंबना है कि हम एक आतंकवादी को तो जानते हैं, मगर एक जवान की बारे में नहीं। यह सोशल मीडिया के गलत विमर्श के कारण होता है। सोशल मीडिया पर हमें चाहिए कि हमें ट्रोल से घबराना नहीं चाहिए। आभार टीनू जैन ने माना। मंजुषा जौहरी ने कार्यक्रम का संचालन किया।