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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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जिम्मी मगिलिगन सेंटर में छात्रों को सिखाया सस्टेनेबल डेवलपमेंट का पाठ

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आज के समय में बढ़ते प्रदूषण के कारण युवाओं को सस्टेनेबल डेवलपमेंट का पाठ पढ़ाना ज़रूरी है। सस्टेनेबल डेवलपमेंट के ज़रिए हम पृथ्वी को प्रदूषण और क्लाइमेट चेंज से काफी हद्द तक बचा सकते हैं। ऐसा ही एक पाठ इंदौर के चमेली देवी स्कूल के छात्रों ने जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट से सिखा। इस स्टडी टूर में छात्रों ने पद्मश्री जनक पलटा मगिलिगन से पर्यावरण प्रिय सस्टेनेबल जीवन जीना सिखा। 
 
जनक पलटा से सबसे पहले गौमाता गौरी से परिचय करवाते हुए कहा कि 'यह इस आधा एकड़ जैवविव्धता वाले आवासीय फार्म की जननी और पालक है। यह धरती मां रसायनमुक्त है। इसकी कृपा से हमें पंचगव्य मिलता है। इसके दिए हुए 6 बछड़े उपहार में भेंट किए, अलीराजपुर के उन आदिवासी परिवारों की तीन बैलगाडियां चला रहे है जो सिर्फ प्रकृतिक खेती करते आ रहे है और इसकी दी हुई, दो दूध देने वाली गाय अपने 2-2 बछड़े-बछड़ी भी इसी क्षेत्र के उन परिवारों को उपहार दिए जिन्हें जरूरत थी।' 
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इसके बाद छात्रों और शिक्षकों का स्वागत अम्बाडी दिखा कर उसके लाभ बताए। फिर एक-एक कर अर्जुन, बेल, रुद्राक्ष, रामफल, सीताफल, अश्वगंधा, कठहल, कदम्ब, सोनपत्ती, पारिजात, नीम, खटी इमली, विलायती इमली, क्बीठ, कचनार, करौंदा, बादाम, अंजीर जैसे कई पेड़ो से परिचय करवाया। इन सभी पेड़ों के कारण बाज़ार से कुछ भी खरीदने के लिए नहीं जाना पड़ता। 
 
सोलर कुकर और ड्रायर की मदद से साल भर के फलों के शरबत, जैम, ड्राईफ्रूट, चटनी, मुरबे आदि जैसे स्वादिष्ट और पोष्टिक चीज़ों का सेवन करने के लिए मिलता है। इसके साथ ही छात्रों ने भी शुद्ध देसी जैविक अनाज, दाले, सरसों, गाजर, मटर, शलगम जैसी कई सब्जियां देखीं जो बाज़ार में मिलना मुश्किल है। 
 
पक्षियों और जानवरों के लिए भी यहां शुद्ध वातावरण है। ये सभी सूरज और हवा के साथ-साथ रासायनिक मुक्त मिट्टी द्वारा संचालित ऊर्जा के प्राकृतिक और नवीकरणीय स्रोतों के साथ जीवन का निर्वाह कर रहे हैं, बिना किसी कचरे को उत्पन्न किए पर्याप्त ऑक्सीजन, भोजन और मन की शांति के स्रोत हैं। वे सभी एक दूसरे पर निर्भर तरीके से एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं। एक तालाब से रेनवाटर हार्वेस्टिंग/वर्षा जल संचयन के संकल्प से जहां आस-पड़ोस में 600 फुट नीचे से पानी खींचते है, हम 250 फुट से ही सम्पन्न कर देते हैं।
 
छात्रों को विभिन्न प्रकार के सोलर खाना पकाने, फ़ूड प्रोसेसिंग के उपकरण चलते हुए दिखाए। इसके बाद एक संवादात्मक सत्र में जनक पलटा मगिलिगन ने बताया वे बहाई धर्म की अनुयाई है  'ईश्वर का धन्यवाद करने के लिए जीवन के उद्देश्य का पालन करने के लिए प्रयास कर रही हैं क्योंकि हमारी आध्यात्मिक जिम्मेदारी है कि हम अपने स्वयं, अपने परिवार और समुदाय को बनाए रखें और सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने में योगदान दें। पुरे जीवन भर इंदौर में रहते  और अपने बहाई पति जिम्मी मगिलिगन के साथ  जो भी सीखा है, अनुभव पाया है।' 
 
छात्रों ने कहा उनके जीवन में यह दुर्लभ पेड़, प्रजातियों, प्रकृतिक, कचरामुक्त शुद्ध जीवन देख कर पहली बार हमने प्रक्टिकल देखा है। साथ ही छात्रों ने यह भी जाना किन पर्यावरण संरक्षण के लिए कैसे यहां अनुसाशन ढंग से काम किया जाता है। छात्रों को इस तरह के प्रैक्टिकल की मदद से उन्हें पर्यावरण के लिए जागरूक और प्रेरित किया है।

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