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इंदौर में मेट्रो के रूट को लेकर जनता नाराज, क्या बोले कैलाश विजयवर्गीय

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

इंदौर , सोमवार, 17 जून 2024 (20:50 IST)
मध्यप्रदेश के नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने सोमवार को कहा कि इंदौर में निर्माणाधीन मेट्रो रेल लाइन के कुछ प्रस्तावित मार्गों को लेकर जनता और सामाजिक संगठनों के नुमाइंदे खुश नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इस स्थिति के मद्देनजर अधिकारियों को नए सिरे से व्यवहार्यता सर्वेक्षण करके महीनेभर में रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए गए हैं।
विजयवर्गीय ने मेट्रो रेल परियोजना के स्थानीय हितधारकों के साथ आयोजित खुली बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि बैठक में शामिल लोगों की राय से लगता है कि शहर में कुछ मेट्रो रेल मार्गों की वर्तमान योजना से जनता और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि नाखुश हैं। बैठक में शामिल लोगों ने खासकर मेट्रो रेल परियोजना के भूमिगत हिस्से के कुछ प्रस्तावित मार्गों में बदलाव के सुझाव दिए हैं।
 
नगरीय विकास मंत्री ने बताया कि अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे इन सुझावों के मद्देनजर तकनीकी और वित्तीय पहलुओं को लेकर नया व्यवहार्यता सर्वेक्षण करें और महीनेभर के भीतर रिपोर्ट बनाकर उन्हें सौंपें।
 
विजयवर्गीय ने कहा कि शहर में मेट्रो रेल परियोजना का 30 से 40 प्रतिशत काम हो चुका है और इस परियोजना को लेकर केंद्र और प्रदेश सरकार के स्तर पर सारे फैसले पहले ही हो चुके हैं।
 
उन्होंने कहा कि लेकिन यह शहर के हित का विषय है और हम व्यवहार्यता रिपोर्ट के आधार पर उचित फैसला करेंगे। भले ही थोड़ा-सा नुकसान हो जाए, लेकिन हम शहर का अहित नहीं होने देंगे।
 
अधिकारियों ने बताया कि इंदौर में 7,500.80 करोड़ रुपए की कुल लागत वाली मेट्रो रेल परियोजना के पहले चरण की नींव 14 सितंबर 2019 को रखी गई थी। इसके तहत शहर में करीब 31.50 किलोमीटर लम्बा मेट्रो रेल गलियारा बनाया जाना है। उन्होंने बताया कि शहर के गांधी नगर स्टेशन से सुपर कॉरिडोर के स्टेशन क्रमांक-तीन के बीच 5.9 किलोमीटर के सर्वोच्च प्राथमिकता वाले गलियारे पर मेट्रो रेल का प्रायोगिक परीक्षण (ट्रायल रन) सितंबर 2023 में किया गया था।
क्या बंगलों के लिए कटेंगे पेड़ : शहर में मेट्रो रेल का वाणिज्यिक परिचालन अब तक शुरू नहीं हो सका है और अन्य मार्गों पर इस परियोजना का निर्माण कार्य जारी है। विजयवर्गीय के पास आवास विभाग भी है। सूबे की राजधानी भोपाल में करीब 29,000 पेड़ काटकर मंत्री-विधायकों के बंगले बनाने की कथित योजना को लेकर आम लोगों के भारी विरोध पर उन्होंने कहा कि यह विरोध हवा में ही चला। किसी व्यक्ति ने केवल एक सुझाव दिया था और लोग सुझाव पर ही आंदोलन करने लग गए। हमने स्पष्ट किया है कि सरकार ने इस योजना को लेकर कोई विचार ही नहीं किया है। इनपुट भाषा

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