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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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स्वराज यात्रा में इंदौर में उमड़ा विशाल जनसैलाब

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इंदौर। स्वराज के अमृत महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत आज 13 अप्रैल को इंदौर में स्वराज यात्रा में समाज का हर वर्ग बड़ी संख्या में उत्साहपूर्वक सम्मिलित हुआ। पूरे शहर के विभिन्न चौराहों से लोग अपने वाहनों पर तिरंगा लेकर, राष्ट्रवादी नारों के साथ चिमनबाग की ओर निकले। शहर में जहां दृष्टि गई, वहां जनसैलाब के रूप में समाज की एकजुटता और स्वतंत्रता संग्राम के बलिदानियों के प्रति सम्मान ही नज़र आया।
 
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति कुलदीपचन्द अग्निहोत्री ने अपने उद्बोधन में कहा कि संपूर्ण भारत का पहला अमृत महोत्सव गुरु श्री गोविंद सिंहजी ने आयोजित किया था, जिसमें भारत के हर समाज, हर जाति और वर्ग के लोग बलिदान होने के लिए आए थे, जो कि भारत की समरसता का प्रतीक था। 
 
उन्होंने यह भी कहा कि अंग्रेजों के लिए सप्तसिंधु (पंजाब, हिमाचल, जम्मू, पूर्वी पाकिस्तान) बड़े महत्व का क्षेत्र था। पंजाब वही क्षेत्र था, जो अंग्रेजों की अधीनता में सबसे अंत में आया, जो महाराजा रणजीत सिंह के निधन के बाद ही संभव हो सका। अंग्रेजों ने अपना पूरा ध्यान इस पर लगाया कि पंजाबियों को अपने पक्ष में कैसे किया जाए। इसके लिए अंग्रेजों ने गुरुओं के नाम पर झूठी भविष्यवाणियां और किस्से फैलाए कि सिख समाज अंग्रेजों के साथ मिलकर लड़े और पूरे विश्व पर राज करे। उन्होंने कहा कि भारत की विचारधारा हमेशा से ही सर्वग्राह्य की रही है। स्वतंत्रता वीरों, बलिदानियों ने पूरे राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया ना कि किसी एक प्रांत के लिए। इसमें सभी वर्ण, धर्म, जाति, वर्ण के लोग शामिल रहे थे।
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मंच पर आसीन थे अमर बलिदानी राणा बख्तावर सिंहजी के वंशज टीएन सिंह एवं गुरुद्वारा साहब निपानिया के बाबा राजिन्दर सिंह आगरा वाले। उन्होंने कहा कि इतिहासकारों ने अपने स्वार्थों के चलते स्वतंत्रता संग्राम को अपने तरीके से लिखा। षड़यंत्रपूर्वक हमें इतिहासकारों द्वारा बताया गया कि स्वतंत्रता एक परिवार विशेष और विशिष्ट पार्टी के कारण मिला। बताया गया कि स्वतंत्रता सिर्फ चुनिंदा लोगों के कारण ही मिली, परंतु यथार्थ यह है कि स्वतंत्रता के लिए हजारों, लाखों लोगों ने अपना सर्वस्व बलिदान किया था जिनका उल्लेख लंबे समय तक कहीं किया ही नहीं गया। 
 
सिख समाज के संत श्री ज्ञानीजी ने कहा कि इस प्रकार का कार्यक्रम हिन्दू एवं सिख समाज के साथ संपन्न हुआ और विश्व स्तर पर जिसकी चर्चा हो रही है, उसके लिए समिति निश्चित ही बधाई की पात्र है। हम चाहते हैं कि यह कार्यक्रम हर वर्ष इसी तरह से हो।
 
महान बलिदानी बख्तावर जी के वंशज टीएन सिंह ने कहा कि सिखों को हिंदू समाज से अलग करने का कुचक्र लंबे समय से रचा जा रहा है, जबकि सिख, हिंदू धर्म का अभिन्न हिस्सा है। कार्यक्रम में सिख समाज ने भी बढ़ चढ़कर भाग लिया। इसी के साथ युवा एवं समाज के अन्यान्य सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ता राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत दिखाई दिए। कोरोना की आपदा के पश्चात  यह पहला अवसर है, जब शहर का समाज इतने विशाल रूप में एकत्रित हुआ है।
 
उल्लेखनीय है कि इतने बड़े जनसमूह के एकत्रीकरण के बाद भी इन्दौरवासियों ने अनुशासन बनाए रखा, जिसके कारण यातायात  व्यवस्था में कहीं भी कोई व्यवधान उत्पन्न नहीं हुआ। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में समाज प्रमुख, संत-समाज, सिख व पारसी समाज के सदस्य, अधिवक्ता, डॉक्टर, सीए, उद्योगपति, विद्यार्थी, श्रमिक तथा बस्तियों के नागरिक उपस्थित रहे।
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लोग विभिन्न महापुरुषों को वेशभूषाओं में भी नज़र आए। कोई महान बलिदानी उधम सिंह बनकर आया था, तो कोई भगत सिंह या चंद्रशेखर आज़ाद। लोगों ने इस अवसर पर अपनी विशिष्ट अभिव्यक्ति द्वारा स्वतंत्रता संग्राम के बलिदानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
 
उल्लेखनीय है कि हम अपनी स्वतंत्रता का 75वां वर्ष मना रहे हैं और यह वर्ष हमारे स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। यह कार्यक्रम इसलिए भी महत्वपूर्ण रहा क्योंकि ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से ही नई पीढ़ी को स्वतंत्रता संग्राम के बारे में तथ्यात्मक जानकारी मिलती है तथा वर्तमान पीढ़ी को अपने वरिष्ठ जनों से अपने स्वातंत्र्य वीरों की गाथाओं को सुनकर आगे आने वाली पीढ़ियों तक यह प्रेषित करने की प्रेरणा भी प्राप्त होती है।
 
कार्यक्रम का संचालन सुश्री वंदना ने किया। विषय प्रस्तावना डॉ. अनुराग पनवेल ने रखी तथा आभार प्रदर्शन स्वराज अमृत महोत्सव समिति के संयोजक डॉ. राकेश शिवहरे ने व्यक्त किया।

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