पर्यावरण संवाद सप्ताह : पर्यावरणविद वंदना शिवा ने किया शुभारम्भ

Webdunia
31 मई को विश्व पर्यावरण दिवस 2020 के उपलक्ष्य में जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट द्वारा पर्यावरण संवाद सप्ताह का आरंभ मुख्य अतिथि वंदना शिवा ने किया।

डॉ. अनिल जोशी, प्रेम जोशी, कर्नल अनुराग शुक्ला, समीर शर्मा, ओ.पी. जोशी, अंबरीश केला, जयश्री सिक्का, देव वासुदेवन भी इस कार्यक्रम में आने वाले दिनों में अपने विचार रखेंगे।

लॉकडाउन के बावजूद पर्यावरण पर हुए इस फेसबुक लाइव संवाद में सामूहिक जिम्मेदारी से आगे  सभी ने अपने स्तर मिलकर पर्यावरण संरक्षण के विकल्पों पर बात की।

इस साल पर्यावरण दिवस पर जैव विविधता विषय चुना गया है। दुनिया में लाखों विशिष्ट जैविक प्रजातियों से निर्मित जैव-विविधता ही हमारे विकास का आधार है। प्रकृति जैव विविधता अनुरूप ही सभी प्राणियों की मूलभूत जरूरतों को पूरा करती है।

जैव-विविधता से ही पारिस्थितिक संतुलन बन पाता है लेकिन मानव ने लालच के लिए चलते प्रकृति का शोषण किया है जिससे अनगिनत प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं।

बहाई लेखो में लिखा है ईश्वर ने मानव को अपनी सर्वोत्तम रचना बनाया है ताकि वो ईश्वर की सभी रचनाओं का संरक्षण कर सके। इस तरह यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम कार्य योजना बनाकर जैव विविधता को बनाए व बचाए रखने में मिलकर काम करें। 
 
वंदना शिवा ने अपने उद्बोधन में कहा कि जीवन का ताना बाना जैव विविधता से ही बुना जाता है। पिछले कुछ दशक में उपनिवेशवादी सोच के चलते विज्ञान को निचोड़ लेने की प्रवृत्ति ने प्रकृति को भरी नुकसान पहुंचाया है।

ये जैव विविधता ही थी जिसकी वजह से हमारा राष्ट्र समृद्ध था। हमारे काली मिर्च और इलाइची जैसे मसाले पश्चिम में सोने के बराबर तौले जाते थे लेकिन एक फसलीय खेती से  परम्परागत विविधता ख़त्म होने लगी।

खेती में रसायनों के उपयोग से हमारी मिटटी भी मृतप्राय हुई और हमारे अन्न को भी जहरीला बना दिया। बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा पारिस्थितिकीय और भोजन विविधता समाप्त कर अपने उत्पाद बेचने की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि मिट्टी जीवित होती है।

इसमें मौजूद अनगिनत स्थूल एवम सूक्ष्म प्राणियों का आपस सहजीवन ही जीवन आधार है। सबका ध्यान ज्यादा उपज उगाने पर है गुणवत्ता की चिंता जरूरी है। 
 
जैविक खेती सीखने इंदौर आए वैज्ञानिक एलवर्ट हारवर्ड को याद करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी किताब एग्रीकल्चर टेस्टामेंट का हिंदी अनुवाद प्रत्येक भारतीय किसान के पास होना चाहिए।

उन्होंने बताया कि जैविक खेती से भूमि में कार्बन व नाइट्रोजन की मात्रा 100 प्रतिशत तक बढ़ती है। पौष्टिक अन्न  के बिना शरीर स्वस्थ नहीं होगा और तब  कोरोना वायरस जैसी लगभग 300 नई बीमारियां हमें घेरने को तैयार हैं।

हमें अन्न स्वराज चलाना होगा क्योंकि पोषण युक्त कृषि ही भारत को बचा सकती है। जनक पलटा ने कहा कि जैव विविधता को हम प्रकृति का परिवार कह सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमें एक नए विश्व का बीज बोना है जहां प्राचीन ज्ञान, आयुर्वेद जैविक खेती और जैव विविधता को साथ जोड़ कर हम खूबसूरत और स्वस्थ दुनिया बना सकते हैं।

ALSO READ: विश्व पर्यावरण दिवस पर ऑनलाइन पर्यावरण संवाद सप्ताह का शुभारम्भ करेंगी वंदना शिवा

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

देश जैसा चाहता है, वैसा होकर रहेगा, राजनाथ सिंह की पाकिस्तान को खुली चेतावनी

कांग्रेस ने कई गलतियां कीं... राहुल गांधी ने क्यों कहा ऐसा?

पश्चिम बंगाल में कैसे चुनौती बन रहा है कट्टरपंथ, राज्यपाल ने मुर्शिदाबाद दंगों को लेकर गृह मंत्रालय को सौंपी रिपोर्ट, क्या दिए सुझाव

Pakistan Ranger : गिरफ्त में पाकिस्तानी रेंजर, क्या था मकसद, BSF को मिले नए ऑर्डर

Pahalgam Attack के बाद अब तक 39 लोग गिरफ्तार, असम में कर रहे थे पाकिस्तान का समर्थन

सभी देखें

नवीनतम

एजाज खान पर महिला ने लगाया बलात्कार का आरोप, दर्ज हुआ मामला

विदेश मंत्री जयशंकर की यूरोप को दो टूक, भारत को दोस्त चाहिए, ज्ञान देने वाले नहीं

ओडिशा में ट्रैक्‍टर पलटने से एक ही परिवार के 3 लोगों की मौत

छत्तीसगढ़ के CM साय बोले- नक्सलवाद का होगा खात्मा, बस्तर बनेगा सबसे विकसित क्षेत्र

भाजपा सरकार में भ्रष्टाचार और अन्याय चरम पर : अखिलेश यादव

अगला लेख
More