Digital Arrest gang: लोगों को फर्जी तौर पर डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) करके उन्हें चूना लगाने वाले गिरोह को बैंक खाता मुहैया कराने के मामले में इंदौर पुलिस ने मंगलवार को 4 विद्यार्थियों को गिरफ्तार किया। पुलिस के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। अपराध निरोधक शाखा के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) राजेश कुमार त्रिपाठी ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों की पहचान रोहन शाक्य, आयुष राठौर, निलेश गोरेले और अभिषेक त्रिपाठी के रूप में हुई है।
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त्रिपाठी ने बताया कि शाक्य के बैंक खाते में साइबर ठगी के 15 लाख रुपए भेजे गए थे जिनमें से 10 लाख रुपए निकाल लिए गए थे। उन्होंने बताया कि शाक्य से पूछताछ में 3 अन्य आरोपियों की पहचान हुई, जो साइबर ठगी गिरोह को कमीशन के आधार पर बैंक खाते मुहैया कराने में कथित तौर पर शामिल हैं।
डीसीपी ने बताया कि शाक्य के बैंक खाते में 5 लाख रुपए जमा मिले हैं और इस खाते के जरिए लेन-देन पर रोक लगा दी गई है। उन्होंने बताया कि शाक्य ने इस बैंक खाते को कथित रूप से कमीशन के आधार पर साइबर ठग गिरोह को उपलब्ध कराया था।
उन्होंने बताया कि चारों आरोपियों को इंदौर की 59 वर्षीय महिला को फर्जी तौर पर डिजिटल अरेस्ट करके उससे 1.60 करोड़ रुपए की ठगी के मामले की जांच में मिले सुरागों के आधार पर गिरफ्तार किया गया। डीसीपी ने बताया कि इस मामले में अलग-अलग राज्यों के 7 लोगों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है।
डिजिटल अरेस्ट साइबर ठगी का नया तरीका है। हालांकि डिजिटल अरेस्ट जैसी किसी प्रक्रिया का हकीकत में कोई कानूनी वजूद नहीं होता। ऐसे मामलों में ठग खुद को कानून प्रवर्तन अधिकारी बताकर लोगों को ऑडियो या वीडियो कॉल करके डराते हैं और उन्हें गिरफ्तारी का झांसा देकर उनके ही घर में डिजिटल तौर पर बंधक बना लेते हैं।(भाषा)