MBA paper leak case Indore: इंदौर के कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी और बाद में भाजपा में शामिल होने वाले अक्षय कांति बम (Akshay Kanti Bam) फिर विवादों में हैं। बम ने लोकसभा चुनाव के दौरान ऐन मौके पर नामांकन वापस लेकर कांग्रेस छोड़ दी थी और वे भाजपा में शामिल हो गए थे। लेकिन अब अक्षय एमबीए पेपर लीक मामले (MBA paper leak case) को लेकर फिर विवादों में हैं।
पुलिस से प्राप्त जानकारी के अनुसार एमबीए के पेपर लीक मामले में बड़े राज उजागर हए हैं। यह पेपर अक्षय कांति बम के कॉलेज आइडलिक इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट से लीक हुआ था। इस मामले में पुलिस ने कॉलेज के कम्प्यूटर ऑपरेटर सहित 2 छात्रों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों ने 2,000 रुपए से 500 रुपए तक में पेपर बेचना कबूल लिया है।
डीसीपी जोन-3 पंकज पांडे के मुताबिक देवी अहिल्या विश्व विद्यालय द्वारा आयोजित (एमबीए प्रथम सेमेस्टर) की परीक्षा का 24 मई को पेपर लीक हुआ था। विश्वविद्यालय की तरफ से मामले में शिकायत दर्ज करवाई थी। पुलिस ने मामले में कॉलेज के कम्प्यूटर ऑपरेटर दीपक सुरेश सोलंकी निवासी रंगवासा रोड सहित दीपेंद्र नरवरिया (प्रथम वर्ष) और गौरवसिंह गौर (द्वितीय वर्ष) को गिरफ्तार कर लिया।
डीसीपी के मुताबिक देवी अहिल्या विश्व विद्यालय द्वारा आयोजित (एमबीए प्रथम सेमेस्टर) की परीक्षा का 24 मई को पेपर लीक हुआ था। विश्वविद्यालय की तरफ से मामले में शिकायत दर्ज करवाई थी। पुलिस ने मामले में कॉलेज के कम्प्यूटर ऑपरेटर दीपक सुरेश सोलंकी निवासी रंगवासा रोड सहित दीपेंद्र नरवरिया (प्रथम वर्ष) और गौरवसिंह गौर (द्वितीय वर्ष) को गिरफ्तार कर लिया।
डीसीपी के अनुसार दीपक प्रिंसिपल के कार्यालय में कम्प्यूटर ऑपरेटर है। उसने पूछताछ में बताया कि पेपर 7 दिन पूर्व ही कॉलेज में आ गए थे। 21 मई को उसने प्रिंसिपल की अनुपस्थिति में लिफाफा खोलकर फोटो खींच लिया। उसका प्रिंट आउट निकाला और 2000 रुपए में दीपेन्द्र को बेच दिया। दीपेंद्र ने भी इस पर्चे को 500 रुपए में गौरव को बेचा था।
इस मामले में अक्षय बम से पक्ष जानने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। पुलिस ने इस मामले में 150 छात्रों के कॉल लाग और वॉट्सएप से कड़ियां जोड़ी और इससे जुड़े अपराधियों को धरदबोचा। पुलिस द्वारा जांच जारी है। एसीपी तुषारसिंह के मुताबिक प्रिंसिपल और कॉलेज प्रबंधन से भी पूछताछ होगी। किसी अन्य की लापरवाही मिली तो कार्रवाई की जाएगी।
Edited by: Ravindra Gupta