- मुनि पुलकसागर जी
एक छोटी-सी भूल सदियों की सजा बन जाती है, इसलिए हमें जीवन को सही और व्यवस्थित तरीके से जीना चाहिए। जिन मां-बाप ने हमें खून दिया उन्हें बुढ़ापे में खून के आंसू बहाने पर मजबूर करना कायरता है। हमें जीवन में उपयोगिता के बदले उपयोगिता, भावना के बदले भावना चाहिए, लेकिन कर्तव्य के बदले कुछ नहीं लेना चाहिए, क्योंकि कर्तव्य तो निःस्वार्थ भावना से किए जाते हैं।
जिन माता-पिता ने अपने खून से हमें बड़ा किया उनके लिए खून बहा देना मानवता है, जबकि असहाय जीवों का खून बहा देना हिंसा और अमानवीयता है। अत: हमें कर्तव्यनिष्ठ होकर जीवन जीना चाहिए, क्योंकि कर्तव्य के पालन में तर्क नहीं समर्पण की जरूरत पड़ती है। अत: आप भी सुखी जीवन जीना चाहते हैं तो इन 3 सूत्रों को हमेशा अपने जीवन में अपनाना चाहिए।
* उपयोगिता- जो संबंधों को प्रगाढ़ करती है।
* भावना- भावना परिवार को मजबूत करती है।
* कर्तव्य- घर, परिवार, समाज में एकता एवं समन्वय स्थापित करने का कार्य करता हैं।
जो मनुष्य सुखी, स्वाभिमान एवं सम्मान के साथ जीवन जीने के लिए ये सूत्र अपनाते हैं उनका जीवन सुखी बन जाता है और वो दूसरों को भी सुख देते है।
अत: हमें सुखी जीवन के लिए निम्न 5 बातों को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए।
* गंगा जल पीने से ज्यादा पुण्य बूढ़े मां-बाप के आंसू पोछने से मिलता है।
* माला जपने वाले हाथों से ज्यादा पवित्र वे हाथ होते हैं जो सेवा करते हैं।
* कर्तव्यों के पालन में तर्क की नहीं समर्पण की जरूरत पड़ती है।
* प्रेम भीख में नहीं मिलता है उसे जितना लुटाओगे उतना ही मिलेगा।
* बहू को नौकरानी समझने की गलती मत करना वो भी किसी की बेटी है, बेटी की तरह रखो वो भी तुम्हारा मां की तरह खयाल रखेगी।