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ओडिशा के रहस्यमयी पंचसखा कौन-कौन से हैं?

हमें फॉलो करें Who is Achyutananda das

WD Feature Desk

, सोमवार, 1 जुलाई 2024 (16:34 IST)
Panchasakha: 16वीं सदी में ओड़ीसा जगन्नाथ पुरी में पंच सखा हुए हैं। यह पंचसखा प्रभु श्री चैतन्य महाप्रभु के शिष्य थे। इन्होंने बंगाल के भक्ति आंदोलन के प्रणेता चैतन्य महाप्रभु के आदेश पर संस्कृत के सभी हिंदू ग्रंथों का उड़िया भाषा अनुवाद किया था। इसके अलावा उन्होंने मालिकाएं भी लिखी हैं। इन पांचों संतों को सिद्ध संत माना जाता है जो भूत, वर्तमान और भविष्य का ज्ञान रखते थे।ALSO READ: ओडिशा के जगन्नाथ पुरी का मध्यप्रदेश के उज्जैन से क्या है कनेक्शन?
 
पंचसखा panchasakha: ओडिशा में प्रसिद्ध पांच संत हुए हैं जो आपस में मित्र थे। उन्हें ही ओडिशा में पंचसखा कहा जाता है। उड़ीसा के आध्यात्मिकता और साहित्य पंचसखा सिद्ध पांच मित्रों में से एक थे संत अच्युतानंद जिननकी भविष्य मालिका वर्तमान में बहुत प्रचलित है। इन पंच सखाओं ने ओडिशा के लोगों के लिए प्राचीन हिंदू संस्कृत ग्रंथों आयुर्वेद, योग, तंत्र, अनुष्ठान, कथा आदि को उड़िया भाषा में ट्रांसलेट किया था। कहा जा रहा है कि संत अच्युतानंद चैतन्य महाप्रभु के भी मित्र थे। पंच सखाओं के नाम- 1. अच्युतानंद दास, 2. अनंत दास, 3. जसवंत दास, 4. जगन्नाथ दास और 5. बलराम दास।
 
कहते हैं कि मालिका नाम से 21 लाख किताबें हैं जो पंच सखाओं ने लिखी है। मालिका यानी पुस्तक होता है। भविष्य मालिका अर्थात भविष्य बताने वाली पुस्तक।ALSO READ: भविष्य मालिका की 5 खास भविष्यवाणियां, 10 साल में दुनिया पूरी तरह बदल जाएगी
 
कौन है अच्युतानंद ( Who is Achyutananda das ) : कहा जाता है कि अच्युतानंद दास जी भगवान जगन्नाथ के परमभक्त, कवि, दृष्टा और वैष्णव संत थे। उनके काल को विद्वानों द्वारा 1480 और 1505 के बीच कहीं माना है। उनकी माता का नाम पद्मावती और पिता का नाम दीनबंधु खुंटिया था। उनके दादा गोपीनाथ मोहंती जगन्नाथ मंदिर में एक मुंशी थे। अच्युतानंद का जन्म उड़ीसा के कटक जिले के तिलकाना नाम के एक गांव में हुआ था। कहते हैं कि अच्युतानंद महाराज जन्म से गोपाल यादव थे। 
 
संत के बारे में कहा जाता है कि उनकी पुस्तक में उनके अनेक जन्मों का विवरण भी है। सतयुग में वे एक महर्षि थे। त्रेता में नल नामक वानर बनकर उन्होंने श्रीराम की सेवा की और द्वापर सुदामा बनकर उन्होंने श्रीकृष्ण की भक्ति की। वहीं कलयुग में अच्युदानंद दास बनकर श्रीकृष्ण भक्ति के प्रचार में सहयोग किया। अच्युतानंद दास ने 318 पुस्तकें भविष्य के विषय पर लिखी है। इन पुस्तकों को अच्युतानंद मलिका के नाम से जाना जाता है। बताया जा रहा है कि संत अच्युतानंद दास ने अपनी योग शक्ति के बल पर भविष्य मालिका को लिखा था। ये ग्रंथ ओडिशा में जगन्नाथ पुरी के मठों, मंदिरों और महंतों के पास अलग-अलग रखे हुए हैं। ALSO READ: रामयुग : कलयुग का अंत हो चुका है और अब सतयुग चल रहा है, भविष्य मालिका का रहस्य
 
अच्युतानंद दासजी पुरी के जगन्नाथ धाम में रहते थे। कहते हैं कि उन्हें भविष्‍य देखने की दिव्य शक्ति प्राप्ति थी। उनके द्वारा लिखीं सभी पुस्तकें जगन्नाथ पुरी के महंतों के अधिकार में हैं। कहते हैं कि कलयुग के अंत में इस ग्रंथ को लोगों के सामने लाने का कार्य करेंगे प्रभु जगन्नाथ के 256 भक्त।
 
भविष्य मालिका ( Bhavishya malika Book) : संत अच्युतानंददास जी ने कई विषयों पर किताबें लिखी है। लोगों का मानना है कि उन्होंने अपनी सभी पुस्तकें अपनी योग शक्ति से लिखी है। कहा जाता है कि उड़ीसा में एक लाख मालिका की पुस्तकें हैं जिनके अलल अलग विषय और नाम हैं। लेकिन इस समय कुछ सैंकड़ों पुस्तकों की ही जानकारी लोगों को है। हालांकि यह सभी पुस्तकें जगन्नाथ पुरी के महंतों के अधिकार में है। कहा जा रहा है कि वे इन पुस्तकों को हर किसी को नहीं दिखाते हैं।

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