कौन हैं नीम करोली बाबा, जिनके आगे झुकते हैं हॉलीवुड के स्टार से लेकर अरबपति तक

Webdunia
सोमवार, 11 सितम्बर 2023 (11:42 IST)
Neem karoli baba punyatithi: नीम करोली बाबा के बारे में आप क्या जानते हैं? उत्तराखंड के कैंची धाम में उनका आश्रम और तप स्थल है। यहां पर स्टीव जॉब्स और मार्क जुकरबर्क जैसे अरबपति लोग माथा टेकने के लिए आ चुके हैं। हॉलीवुड स्टार बाबा नीम करौली की भक्त है। भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली और बॉलीवुड अभिनेत्री अनुष्का शर्मा भी बाबा के भक्त हैं।
 
कैंची धाम : शिरडी, शेगांव, गोरखपुर, रामदेवरा और ददरेवा आदि की तरह कैंची धाम भी एक जागृत स्थान है जहां पर लाखों लोग माथा टेकने जाते हैं और मन्नत मांगते हैं। कैंची धाम से देश के ही नहीं विदेश के भी लाखों लोग जुड़े हुए हैं। कैंची धाम उत्तराखंड के नैनीताल के पास स्थित है। यह धाम एक ऊंची पहाड़ी पर पर है। चमत्कारी बाबा नीम करौली ने इस आश्रम की स्थापना 1964 में की थी। नीम करोली बाबा का समाधि स्थल नैनीताल के पास पंतनगर में है।
 
किसलिए चर्चा में हैं कैंची धाम : नीम करोली बाबा के भक्तों में एप्पल के मालिक स्टीव जॉब्स, फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्क और हॉलीवुड एक्ट्रेस जूलिया रॉबर्ट्स का नाम लिया जाता है। कहा जाता है कि इस धाम की यात्रा करके उनका जीवन बदल गया। जूलिया रॉबर्ट ने बाबा को कभी नहीं देखा था परंतु उनके सपने में बाबा अक्सर आ जाते थे। एक दिन उन्होंने उनका चित्र कहीं पर देखा और वे तभी से उनकी भक्त बन गई थी। जूलिया रॉबर्ट ने उनके चित्र देखकर और अमेरिका में निवास कर रहे उनके अनुयायियों से उनके किस्‍से सुनकर हिन्‍दू धर्म को अंगीकार कर लिया।
 
बताया जाता है कि बाबा के आश्रम में सबसे ज्यादा अमेरिकी ही आते हैं। नीम करौली बाबा की मृत्‍यु के पश्‍चात 1974 में स्‍टीव जॉब्‍स भी आत्‍मज्ञान के लिए उनके आश्रम में आए थे और इसके पश्‍चात ही उन्‍होंने आज के दौर की मशहूर कं‍पनी 'एप्‍पल' की स्‍थापना की थी। मार्क जुकरबर्ग जब उनके आश्रम में आए थे तब फेसबुक का प्रारंभिक दौर चल रहा था और यहां पर उनके मन में कुछ नए विचार उपजे जिससे फेसबुक आज की अपनी स्थिति प्राप्‍त कर पाया है।
रिचर्ड एलपर्ट (रामदास) ने नीम करोली बाबा के चमत्कारों पर 'मिरेकल ऑफ़ लव' नामक एक किताब लिखी इसी में 'बुलेटप्रूफ कंबल' नाम से एक घटना का जिक्र है। बाबा हमेशा कंबल ही ओड़ा करते थे। आज भी लोग जब उनके मंदिर जाते हैं तो उन्हें कंबल भेंट करते हैं।
 
कौन थे नीम करोली बाबा : नीम करोली बाबा का वास्तविक नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था। उत्तरप्रदेश के अकबरपुर गांव में उनका जन्म 1900 के आसपास हुआ था। 17 वर्ष की उम्र में ही उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी। उनके पिता का नाम दुर्गा प्रसाद शर्मा था। 11 वर्ष की उम्र में ही बाबा का विवाह हो गया था। 1958 में बाबा ने अपने घर को त्याग दिया और पूरे उत्तर भारत में साधुओं की भांति विचरण करने लगे थे। उस दौरान लक्ष्मण दास, हांडी वाले बाबा और तिकोनिया वाले बाबा सहित वे कई नामों से जाने जाते थे। गुजरात के ववानिया मोरबी में तपस्या की तो वहां उन्हें तलईया बाबा के नाम से पुकारते लगे थे।
 
क्यों कहते हैं उन्हें नीम करोली बाबा : एक बार बाबा फर्स्ट क्लास कम्पार्टमेंट में सफर कर रहे थे। जब टिकट चेकर आया तो बाबा के पास टिकट नहीं था। तब बाबा को अगले स्टेशन 'नीब करोली' में ट्रेन से उतार दिया गया। बाबा थोड़ी दूर पर ही अपना चिपटा धरती में गाड़कर बैठ गए। ऑफिशल्स ने ट्रेन को चलाने का आर्डर दिया और गार्ड ने ट्रेन को हरी झंडी दिखाई, परंतु ट्रेन एक इंच भी अपनी जगह से नहीं हिली। बहुत प्रयास करने के बाद भी जब ट्रेन नहीं चली तो लोकल मजिस्ट्रेट जो बाबा को जानता था उसने ऑफिशल्स को बाबा से माफी मांगने और उन्हें सम्मान पूर्वक अंदर लाने को कहा। ट्रेन में सवार अन्य लोगों ने भी मजिस्ट्रेड का समर्थन किया। ऑफिशल्स ने बाबा से माफी मांगी और उन्हें ससम्मान ट्रेन में बैठाया। बाबा के ट्रेन में बैठते ही ट्रेन चल पड़ी। तभी से बाबा का नाम नीम करोली पड़ गया। नीम करोली वाले बाबा के सैंकड़ों चमत्कार के किस्से हैं।
 
बाबा का निधन : बाबा नीम करौली महाराज के दो पुत्र और एक पुत्री हैं। ज्येष्ठ पुत्र अनेक सिंह अपने परिवार के साथ भोपाल में रहते हैं, जबकि कनिष्ठ पुत्र धर्म नारायण शर्मा वन विभाग में रेंजर के पद पर रहे थे। हाल ही में उनका निधन हो गया है। उन्होंने अपने शरीर का त्याग 11 सितंबर 1973 को वृंदावन में किया था। बताया जाता है कि बाबा के आश्रम में सबसे ज्यादा अमेरिकी ही आते हैं। आश्रम पहाड़ी इलाके में देवदार के पेड़ों के बीच स्थित है।

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