Valmiki Jayanti : महर्षि वाल्मीकि के बारे में 10 राज जो आप नहीं जानते

WD Feature Desk
शनिवार, 8 अक्टूबर 2022 (01:00 IST)
Interesting facts about Valmiki : रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि की जयंती 9 अक्टूबर 2022 रविवार को मनाई जाएगी। कहते हैं कि उनका जन्म आश्‍विन मास की शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था। वाल्मीकि ने ही श्री राम के जीवन की कथा को लिखा था। देशभर में कई समाज के लोग उनकी जयंती मनाते हैं और उनकी पूजा करते हैं। आओ जानते हैं महर्षि वाल्मीकि के बारे में 10 खास जानकारी।
 
 
1. मनुष्य ने पहली कविता कब लिखी, यह बता पाना बहुत कठिन है। परन्तु, संस्कृत के आदि कवि वाल्मीकि के बारे में कहा जाता है कि प्रथम काव्याभियक्ति उन्हीं के स्वर से हुई है।
 
2. उन्होंने रामायण तब लिखी, जब रावण-वध के बाद राम का राज्याभिषेक हो चुका था। वनवास काल के दौरान भगवान श्रीराम लक्ष्मण व सीता सहित महर्षि वाल्मीकि के आश्रम गए थे।
 
3. मुनि वाल्मीकि अपने शिष्य भारद्वाज के साथ स्नान के लिए गए। वहां नदी के किनारे पेड़ पर क्रौंच पक्षी का एक जोड़ा अपने में मग्न था, तभी व्याध ने इस जोड़े में से नर क्रौंच को अपने बाण से मार गिराया। रोती हुई मादा क्रौंच भयानक विलाप करने लगी। इस हृदयविदारक घटना को देखकर वाल्मीकि का हृदय इतना द्रवित हुआ कि उनके मुख से अचानक श्लोक फूट पड़ा:-
 
मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगम: शास्वती समा।
यत्क्रौंचमिथुनादेकमवधी: काममोहितम्।।
 
4. वाल्मीकि जब अपनी ओर से रामायण की रचना पूरी कर चुके थे तब राम द्वारा परित्यक्ता, गर्भिणी सीता भटकती हुई उनके आश्रम में आ पहुंची। बेटी की तरह सीता को उन्होंने अपने आश्रय में रखा। वहां सीता ने दो जुड़वां बेटों, लव और कुश को जन्म दिया। दोनों बच्चों को वाल्मीकि ने शास्त्र के साथ ही शस्त्र की शिक्षा प्रदान की। इन्हीं बच्चों को मुनि ने अपनी लिखी रामकथा याद कराई जो उन्होंने सीता के आने के बाद फिर से लिखनी शुरू की थी और उसे नाम दिया-उत्तरकांड। उसी रामकथा को कुश और लव ने राम के दरबार में अश्वमेघ यज्ञ के अवसर पर सम्पूर्ण रूप से सुनाया था। लव और कुश को ज्ञान प्रदान करने वाले ऋषि वाल्मीकि ही थे।
 
5. महर्षि कश्यप और अदिति के नवम पुत्र वरुण से इनका जन्म हुआ। इनकी माता चर्षणी और भाई भृगु थे। वरुण का एक नाम प्रचेत भी है, इसलिए इन्हें प्राचेतस् नाम से उल्लेखित किया जाता है। उपनिषद के विवरण के अनुसार यह भी अपने भाई भृगु की भांति परम ज्ञानी थे।
6. ऐसी मान्यता है कि जन्म के बाद उन्हें भील परिवार के लोग चुरा कर ले गए थे और उन्होंने ही उनका पालन पोषण किया था। वाल्मीकि ने रामायण में स्वयं को प्रचेता का पुत्र कहा है।
 
7. भील समुदाय में वे रत्नाकर के नाम से जाने जाते थे तथा परिवार के पालन हेतु लोगों को लूटा करते थे। लेकिन नारदमुनि के संपर्क में आने पर वे अथ्यात्म की ओर मुड़ गए और राम का नाम जपने लगे।
 
8. एक बार ध्यान में बैठे हुए वरुण-पुत्र के शरीर को दीमकों ने अपना घर बनाकर ढंक लिया था। साधना पूरी करके जब यह दीमकों के घर, जिसे वाल्मीकि कहते हैं, से बाहर निकले तो लोग इन्हें वाल्मीकि कहने लगे।
 
9. कहते हैं कि महर्षि वाल्मीकि रामायण को लिखकर उसे भगवान शंकर के पास लेकर गए। वे सोच रहे थे कि मैं ही वह पहला व्यक्ति हूं जिसने यह कार्य किया। लेकिन जब वे कैलाश पहुंचे तो उन्हें पता चला की हनुमानजी के पहले ही रामायण लिख दी है तो उन्हें निराशा हुई। यह जानकार हनुमानजी ने शिला पर लिखी अपनी रामायण को उन्होंने समुद्र में फेंक दिया था।
 
10. कहते हैं कि ब्रह्माजी के कहने पर ही महर्षि वाल्मीकि ने रामायण लिखी थी। ब्रह्माजी की प्रेरणा से सारस पक्षी के वध पर महर्षि वाल्मीकि के मुख से श्लोक निकला था। जो बात स्वयं ब्रह्मा जी नें उन्हे बताई थी। उसी के बाद उन्होने रामायण की रचना की थी। वाल्मीकि द्वारा रामायण में 24000 श्लोक लिखे हैं। 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Dev uthani ekadashi 2024: देव उठनी एकादशी की 3 पौराणिक कथाएं

Tulsi Vivah vidhi: देव उठनी एकादशी पर तुलसी विवाह की संपूर्ण विधि

शुक्र के धनु राशि में गोचर से 4 राशियों को होगा जबरदस्त फायदा

Dev diwali 2024: कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली रहती है या कि देव उठनी एकादशी पर?

Tulsi vivah Muhurt: देव उठनी एकादशी पर तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त क्या है, जानें विधि और मंत्र

सभी देखें

धर्म संसार

09 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

09 नवंबर 2024, शनिवार के शुभ मुहूर्त

ज्योतिष की नजर में क्यों हैं 2025 सबसे खतरनाक वर्ष?

Dev Diwali 2024: देव दिवाली पर यदि कर लिए ये 10 काम तो पूरा वर्ष रहेगा शुभ

Akshaya Navami 2024: आंवला नवमी पर इस कथा को पढ़ने या सुनने से मिलता है अक्षय फल

More