Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024

आज के शुभ मुहूर्त

(द्वादशी तिथि)
  • तिथि- मार्गशीर्ष कृष्ण द्वादशी
  • शुभ समय- 6:00 से 9:11, 5:00 से 6:30 तक
  • व्रत/मुहूर्त-नामकरण, गृहप्रवेश मुहूर्त
  • राहुकाल- दोप. 12:00 से 1:30 बजे तक
webdunia
Advertiesment

महर्षि महेश योगी जयंती : खास बातें और जीवन परिचय

हमें फॉलो करें महर्षि महेश योगी जयंती : खास बातें और जीवन परिचय

अनिरुद्ध जोशी

, शनिवार, 7 जनवरी 2023 (16:07 IST)
12 जनवरी 2023 गुरुवार को महर्षि महेश योगी की जयंती मनाई जाएगी। अध्यात्मिक गुरु महेश योगी अपने जमाने का एक बड़ा नाम है। उन्हें वैदिक शिक्षा केंद्र खोलने और भावातीत ध्यान के प्रणेता के रूप में जाना जाता है। एक जमान था जब भावातीत ध्यान की बहुत धूम थी। आओ जानते हैं उनके संबंध में खास बातें और जीवन परिचय।
 
जीवन परिचय : महर्षि महेश योगी जी का जन्म 12 जनवरी 1918 को छत्तीसगढ़ के राजिम शहर के पास गरियाबंद रोड पर स्थित ग्राम पांडुका गांव के एक कच्चे मकान में हुआ। उनका असली नाम श्री महेश वर्मा था। उनके पिता रेवेन्यू विभाग में आरआई थे। महर्षि जब छोटे थे, तभी उनके पिता का तबादला पाण्डुका से गाडरवाड़ा जबलपुर हो गया था। वहीं महर्षि ने शिक्षा प्राप्त की। गाडरवाड़ा में ही ओशो का जन्म हुआ था। उन्होंने इलाहाबाद से दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि ली थी। इसके बाद वे आध्यात्म के क्षेत्र में सक्रिय हो गए। 
 
1990 से महर्षि द नीदरलैंड स्थित अपने आवास व्लोड्राप से ही पूरी दुनिया में अध्यात्म का प्रसार करते थे। अपने सेवानिवृत्त होने पर उन्होंने कहा था कि मैंने अपना काम कर दिया, जो मुझे मेरे गुरुदेव ने दिया था। 6 फरवरी 2008 को 91 वर्ष की आयु में नीदरलैंड में महर्षि की मृत्यु की सूचना मिली तो आश्रम में माहौल शोकाकुल हो गया। 11 फरवरी को प्रयाग इलाहाबाद में महर्षि महेश योगी का अंतिम संस्कार किया गया।
webdunia
जीवन की खास बातें :
 
1. योरप यात्रा :1958 में महर्षि महेश योगी ने पहली बार विदेश यात्रा की और वहां पर मानव के विकास की शिक्षा सिखाना शुरू करने के साथ ही वैदिक साहित्य के सभी पहलुओं पर जोर दिया। उन्होंने योरप के विभिन्न देशों में योग सिद्धियों की कक्षाएं खोलीं, उनसे प्राप्त धन से वहां पर भारतीय औषधियों के कारखाने और उनकी बिक्री से हासिल आर्थिक हौसले से भारत में सैकड़ों वैदिक स्कूल खोले। जहां आज भी वेदांत की शिक्षा देते हैं।
 
2. भावातीत ध्यान : उन्होंने भावातीत ध्यान को इजाद करके दुनिया को यह ध्यान सिखाया। भावातीत ध्यान को लेकर पहले लोग इस तरह से जुनूनी हो चले थे कि वे समझते थे कि हमने बहुत बड़ी विद्या प्राप्त कर ली। ऐसी भी अफवाहें थी कि इस ध्यान के माध्यम से लोग हवा में उपर उठ जाते थे। फिर ओशो का जमाना आया तो सक्रिय ध्यान की धूम होने लगी लोग इसे पागलों का ध्यान कहने लगे थे। महर्षि कहते थे प्रातः और सायं दो बार 15 से 20 मिनट का ध्यान किया जाना चाहिए। ध्यान के लिए वे मंत्र भी देते थे। मंत्र जाप में साधक की चार श्रेणियां आती हैं। पहली बैखरी, दूसरी मध्यमा, तीसरी पश्यंती और चौथी परा।
 
3. बीटल्स ग्रुप : भावातीत ध्यान और शिक्षा से आकर्षित होकर अपने दौर का ख्यात म्युजिक ग्रुप बीटल्स 1968 में उनकी शरण में चला गया। भावातीत ध्यान में प्रशिक्षित होने के लिए बीटल्स ग्रुप भारत आया था। इसके बाद उन्होंने जो गीत लिखा था, वह महर्षि द्वारा बताई गई कहानियों पर आधारित था। भावातीत ध्यान के प्रणेता महर्षि महेश योगी मशहूर रॉक बैंड बीटल्स के सदस्यों के साथ ही वे कई बड़ी हस्तियों के आध्यात्मिक गुरु थे। 
 
4. टाइम पत्रिका : 1975 तक आते-आते पश्चिमी दुनिया में उनका भावातीत ध्यान इतना लोकप्रिय हुआ था कि 13 अक्टूबर 19754 को टाइम पत्रिका ने अपने कवर पेज पर महर्षि महेश योगी चित्र सहित कवर स्टोरी छापी थी। शीर्षक था- 'ध्यान सारी समस्याओं का जवाब'। महर्षि महेश योगी ने 1955 में योग के सिद्धांतों पर आधारित 'ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन' (अनुभवातीत ध्यान) के जरिये दुनियाभर में अपने लाखों अनुयायी बनाए। 
 
5. रजनीश से मुलाकात : एक बार महर्षि महेश योगी और ओशो रजनीश के शिष्यों ने उनकी मुलाकात का आयोजन कराया था।
 
6. महर्षि के आश्रम : भारत में आंध्रप्रदेश, बिहार, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, नेपाल, असम और दूसरे राज्यों के अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, नीदरलैंड आदि अनेक जगहों पर उनके आश्रम है जहाँ वैदिक और आधुनिक शिक्षा के अलावा ध्यान और योग की शिक्षा दी जाती है। कहा जाता है कि दुनिया भर में उनके 60 लाख शिष्य है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

पोंगल की 5 पौराणिक परंपराएं, पकवान और प्रामाणिक कथा