Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

भारत के कुछ भू-भाग पर यूनानी शासन की शुरुआत का इतिहास

हमें फॉलो करें भारत के कुछ भू-भाग पर यूनानी शासन की शुरुआत का इतिहास
यूनानियों ने भारत के पश्चिमी छोर के कुछ हिस्सों पर ही शासन किया। बौद्धकाल में अफगानिस्तान भी भारत का हिस्सा था। यूनानियों ने सबसे पहले इसी आर्याना क्षेत्र पर आक्रमण कर इसके कुछ हिस्सों को अपने अधीन ले लिया था। भारत पर आक्रमण करने वाले सबसे पहले आक्रांता थे बैक्ट्रिया के ग्रीक राजा। इन्हें भारतीय साहित्य में यवन के नाम से जाना जाता है। यवन शासकों में सबसे शक्तिशाली सिकंदर (356 ईपू) था जिसे उसके देश में अलेक्जेंडर और भारत में अलक्षेन्द्र कहा जाता था। उल्लेखनीय है कि महाभारत काल का काल यवन भी विदेशी था।
 
 
#
सिकंदर ने अफगानिस्तान एवं उत्तर-पश्चिमी भारत के कुछ भाग पर कब्जा कर लिया था। लेकिन वह पोरस के साम्राज्य पर कब्जा नहीं कर पाया था। इतिहास में यह लिखा गया कि सिकंदर ने पोरस को हरा दिया था। यदि ऐसा होता तो सिकंदर मगध तक पहुंच जाता और इतिहास कुछ और होता। लेकिन इतिहास लिखने वाले यूनानियों ने सिकंदर की हार को पोरस की हार में बदल दिया। सिकंदर के कब्जे किए गए भू-भाग पर बाद में उसके सेनापति सेल्यूकस ने शासन किया। हालांकि सेल्यूकस को ये भू-भाग चंद्रगुप्त मौर्य को समर्पित कर देने पड़े थे। 
 
सिकंदर अपने पिता की मृत्यु के पश्चात अपने सौतेले व चचेरे भाइयों का कत्ल करने के बाद मेसेडोनिया के सिन्हासन पर बैठा था। अपनी महत्वाकांक्षा के कारण वह विश्व विजय को निकला। यूनान के मकदूनिया का यह राजा सिकंदर कभी भी महान नहीं रहा। यूनानी योद्धा सिकंदर एक क्रूर, अत्याचारी और शराब पीने वाला व्यक्ति था। इतिहासकारों के अनुसार सिकंदर ने कभी भी उदारता नहीं दिखाई। उसने अपने अनेक सहयोगियों को उनकी छोटी-सी भूल से रुष्ट होकर तड़पा-तड़पाकर मारा था। इसमें उसका एक योद्धा बसूस, अपनी धाय का भाई क्लीटोस और पर्मीनियन आदि का नाम उल्लेखनीय है।
 
 
एक बार किसी छोटी-सी बात पर उसने अपने सबसे करीबी मित्र क्लीटोस को मार डाला था। अपने पिता के मित्र पर्मीनियन जिनकी गोद में सिकंदर खेला था उसने उनको भी मरवा दिया। सिकंदर की सेना जहां भी जाती, पूरे के पूरे नगर जला दिए जाते, सुन्दर महिलाओं का अपहरण कर लिया जाता और बच्चों को भालों की नोक पर टांगकर शहर में घुमाया जाता था।
 
जवाहरलाल नेहरू अपनी पुस्तक ‘ग्लिम्पसेज ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री’ में लिखते हैं- 'सिकंदर अभिमानी, उद्दंड, अत्यंत क्रूर और हिंसक था। वह स्वयं को ईश्वर के समान समझता था। क्रोध में आकर उसने अपने निकटतम मित्रों और सगे-संबंधियों की हत्या की और महान नगरों को उसके निवासियों सहित पूर्णतः ध्वस्त कर दिया।'
 
 
#
बाद के एक शासक डेमेट्रियस प्रथम (ईपू 220-175) ने भारत पर आक्रमण किया। ईपू 183 के लगभग उसने पंजाब का एक बड़ा भाग जीत लिया और साकल को अपनी राजधानी बनाया। युक्रेटीदस भी भारत की ओर बढ़ा और कुछ भागों को जीतकर उसने तक्षशिला को अपनी राजधानी बनाया। डेमेट्रियस का अधिकार पूर्वी पंजाब और सिन्ध पर भी था। भारत में यवन साम्राज्य के दो कुल थे- पहला डेमेट्रियस और दूसरा युक्रेटीदस के वंशज।
 
 
#
मीनेंडर (ईपू 160-120) : यह संभवतः डेमेट्रियस के कुल का था। जब भारत में नौवां बौद्ध शासक वृहद्रथ राज कर रहा था, तब ग्रीक राजा मीनेंडर अपने सहयोगी डेमेट्रियस (दिमित्र) के साथ युद्ध करता हुआ सिन्धु नदी के पास तक पहुंच चुका था। सिन्धु के पार उसने भारत पर आक्रमण करने की योजना बनाई। इस मीनेंडर या मिनिंदर को बौद्ध साहित्य में मिलिंद कहा जाता है। हालांकि बाद में मीनेंडर ने बौद्ध धर्म अंगीकार कर लिया था। प्रसिद्ध बौद्ध ग्रन्थ 'मिलिन्दपन्हों' (मिलिन्द के प्रश्न) में बौद्ध भिक्षु नागसेन के साथ उसके संवादात्मक प्रश्नोत्तर दिए हुए हैं। जिस पर ओशो ने बहुत ही सुंदर कहानी सुनाई है।
 
 
मिलिंद पंजाब पर लगभग 160 ई.पू. से 140 ई.पू. तक राज्य करने वाले यवन राजाओं में सबसे उल्लेखनीय राजा था। उसने अपनी सीमा का स्वात घाटी से मथुरा तक विस्तार कर लिया था। वह पाटलीपुत्र पर भी आक्रमण करना चाहता था, लेकिन कामयाब नहीं हो पाया। सम्भव है कि 'गार्गी संहिता' में जिस दुरात्मा वीर यवन राजा द्वारा प्रयाग पर अधिकार करके 'कुसुमपुर' (अर्थात पाटलिपुत्र) में भय उत्पन्न करने का उल्लेख है, वह मिलिन्द ही हो। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

शाही क़ैदियों का 'सोने का पिंजड़ा'