इतिहास में बादशाह औरंगजेब के बारे में कई बातों का उल्लेख मिलता है। उनमें बुरी बातों का पलड़ा भारी है। इस देश के धर्म और संस्कृति को जितना नुकसान औरंगजेब ने पहुंचाया उतना किस अन्य मुगल बादशान या मुस्लिमों ने नहीं पहुंचाया। औरंगजेब एक कट्टर सुन्नी मुस्लिम शासक था जो इस्लामिक कानून के अनुसार संपूर्ण देश को ढालकर सभी को मुसलमान बनाना चाहता था। आओ जानते हैं उसकी क्रूरता के कुछ कारनामें। दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों पर प्राप्त विजयों के जरिए इसने मुगल साम्राज्य को साढ़े बारह लाख वर्ग मील में फैला लिया था। औरंगजेब का संघर्ष मराठा, सिख और जाट साम्राज्य से हुआ जहां वह कभी पूर्ण रूप से सफल नहीं हो पाया।
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1. भाइयों की हत्या: औरंगजेब ने अपने पिता शाहजहां को ताजमहल के पास आगरा के किले में कैद कर दिया था। जहां वे शेष जीवन बिताने को मजबूर हुए। औरंगजेब ने सत्ता हथियाने के लिए अपने तीनों भाइयों दारा शिकोह, शुजा और मुराद की हत्या करवा दी थी। औरंगजेब ने अपने बेटों को भी नहीं बख्शा। बड़े बेटे को अंधा बना दिया और छोटे बेटे को कैद में डाल दिया, जहां उसकी मृत्यु हुई।
2. जजिया कर: भारतीय इतिहास के मध्ययुग में एक मुस्लिम शासक औरंगजेब ने भारत जैसे मूल रूप से सहिष्णु, धर्मनिरपेक्ष परम्परा और विचारधारा वाले देश में इस्लाम के अनुयायियों को छोड़कर अन्य धर्म के लोगों पर एक सरकारी कर लगाया था। इस्लामी शासक के राज्य में जजिया कर ऐसी व्यवस्था थी जो कि गैर इस्लामी लोगों को अपनी जान-माल की रक्षा करने या धार्मिक क्रियाकलापों को जारी रखने के लिए सरकार को चुकानी पड़ती थी। यह कर उन लोगों पर दबाव डालने के लिए था जो कि इस्लाम नहीं मानते थे और इस कर का मूल उद्देश्य भी यह था कि गरीब और लाचार लोग इस्लाम कुबूल कर लें। इस तरह से प्राप्त होने वाले कर का एक बड़ा भाग भी इस्लाम के विस्तार पर खर्च किया जाता था। इस कर के जरिये अन्य धर्म के लोगों को निरंतर दबाव में रखने के लिए राजधर्म का पालन भी किया जाता था। उसने संगीत, नृत्य और कला पर प्रतिबंध लगाया।
3. मंदिरों का ध्वंस: औरंगजेब के काल में हजारों मंदिरों को तोड़ा गया। उसकी सेना जिस भी दिशा में युद्ध करने जाती थी उसे दिशा के रास्ते में पड़ने वाले सभी बड़े मंदिरों को तोड़ती, नगरों और गांवों को लूटती हुई जाती थी। इस दौरान हजारों निर्दोष हिंदू मारे जाते थे। मुगलकाल के अंतिम दौर में औरंगजेब का आतंक था। 31 जलाई 1658 को औरंगजेब मुगल बादशाह बना तभी से आतंक का दौरा प्रारंभ हो गया। उसने ही वाराणसी का काशी विश्वनाथ मंदिर, सोमनाथ मंदिर और मथुरा का केशवराय मंदिर तुड़वाया था। उसने अयोध्या के मंदिर को कभी बनने नहीं दिया। उसकी सेना बार बार मंदिर को तोड़ देती थी। उसने अपने अधिकार क्षेत्र के संपूर्ण राज्यों को पूर्ण इस्लामिक बनाने के लिए कई मंदिरों और गुरुद्वारों को ध्वस्त किया और वहां पर मस्जिद बनाने का आदेश दिया।
4. सिखों के गुरुओं पर अत्याचार: औरंगजेब की आततायी सोच के सामने उस समय सिखों के नौंवें गुरु, गुरु तेग बहादुर हिन्द दी चादर बनकर, एक चट्टान बनकर खड़े हो गए थे। उस काल में औरंगजेब ने यह फरमान जारी कर दिया था कि 'सबसे कह दो या तो इस्लाम धर्म कबूल करें या मौत को गले लगा लें।' औरंगजेब ने सिख धर्मगुरु गुरु तेग बहादुर को इस्लाम कबूल न करने पर दिल्ली में खुलेआम मौत की सजा दी थी। उनका शीश काट दिया था।
दूसरी ओर गुरु गोविंदसिंह ने भी औरंगजेब के अत्याचारों का डटकर मुकाबला किया। गुरु गोविंद सिंह जी के साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह के बलिदान को कौन नहीं जानता है। मान्यतानुसार जब औरंगजेब ने उन्हें अपनी जान बचाने के लिए धर्मांतरण का लालच दिया था, तब इन साहिबजादों ने झुकने के बजाय अपना बलिदान देना श्रेष्ठ समझा और तब इसी दिन साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह इन दोनों ने औरंगजेब की क्रूरता को सहते हुए अपना बलिदान दिया था। औरंगजेब ने गुरु गोविंद सिंह के दो बेटों को दीवार में जिंदा चुनवा दिया था।
5. शिवाजी महाजा को किया कैद: औरंगजेब ने श्रीमंत छत्रपति शिवाजी महाराज को आगरा बुलाकर धोखे से गिरफ्तार कर लिया था। हालांकि, शिवाजी महाराज अपनी चतुराई से औरंगजेब की कैद से भाग निकले और इसके बाद उन्होंने कभी भी मुगलों पर भरोसा नहीं हुआ और उनके खिलाफ एक युद्ध की शुरुआत करके मराठा साम्राज्य को मजबूत किया। जीजाबाई ने ही पिता की भूमिका निभाते हुए अपने छोटे बेटे शिवाजी को अच्छे संस्कार दिए। इन्हीं संस्कारों के कारण आगे चलकर शिवाजी हिंदु समाज के संरक्षक छत्रपति शिवाजी महाराज बने। संभाजी महाराज छत्रपति बने तो अपने पिता शिवाजी महाराज की तरह ही मुगलों से जंग जारी रखी। गुरिल्ला युद्ध से संभाजी ने अपने से कई गुना बड़ी मुगल सेना को कई बार हराया। लेकिन विश्वासघातियों के कारण संभाजी महाराज वीरगति को प्राप्त हुए।
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6. राजपूतों पर अत्याचार: औरंगजेब ने मेवाड़ और मारवाड़ के राजपूत राजाओं पर अत्यधिक कर लगाया और उनके क्षेत्रों पर कब्जा करने का प्रयास किया। मारवाड़ की महारानी अजीत सिंह की मां के साथ भी क्रूरता की गई।
7. रानी सारंधा और चंपतराय: बादशाह औरंगजेब रानी सारंधा से अपने अपमान का बदला लेना चाहता है। रानी सारंधा के पति ओरछा के राजा चंपतराय थे। रानी सारंधा और राजा चंपतराय को महाराणा प्रताप की तरह 3 वर्षों तक जंगल में छुपकर रहना पड़ा। बाद में जब वे ओरछा लौटे तो औरंगजेब की सेना ने ओरछा को घेर लिया। रानी सारंधा और चंपतराय की सेना ने डटकर मुकाबला किया। अंत में सभी वीरगति को प्राप्त हुए।
8. संतों पर अत्याचार: क्रूर औरंगजेब ने भक्तिकाल के निर्दोंष संतों पर खूब अत्याचार किया। संत रामदास और अन्य हिंदू संतों के अनुयायियों पर अत्याचार किए। मंदिरों और आश्रमों की संपत्ति जब्त कर ली।
9. दक्कन में निर्दयता: दक्षिण भारत में उसने कई साल युद्ध किए और स्थानीय राजाओं को निर्दयता से कुचला।
गोलकुंडा और बीजापुर के सुल्तानों को हरा कर उनका राज्य छीन लिया। इस दौरान उसके सैनिकों ने बलात्कार और लुटपाट की इंतहा कर दी थी। औरंगजेब ने अपने शासनकाल के आखिरी 25 साल दक्षिण भारत में लगातार युद्ध करते हुए बिताए। इन युद्धों में भारी जान-माल की हानि हुई और मुगल साम्राज्य की आर्थिक स्थिति कमजोर हुई। दक्षिण विजय का सपना उसका अधूरा ही रहा।
10. हिंदुओं का नरसंहार: औरंगजेब के शासनकाल में हिंदुओं का बड़े पैमाने पर नरसंहार हुआ। औरंगजेब ने हिंदुओं को जबरन इस्लाम धर्म में परिवर्तित करवाया। औरंगजेब के शासनकाल में कई लोगों को जिंदा दफना दिया गया था। औरंगजेब के शासनकाल में महिलाओं पर भी बहुत अत्याचार हुए। उन्हें veil में रहने के लिए मजबूर किया गया और उनके साथ बुरा व्यवहार किया गया। जाट किसानों ने औरंगजेब की क्रूरता के खिलाफ विद्रोह किया लेकिन औरंगजेब ने निर्दयता से उन्हें कुचल दिया। औरंगजेब की नीतियों ने भारत में सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा दिया और सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुँचाया।