Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

Kargil Vijay Diwas: जानिए शहीद विक्रम बत्रा के पराक्रम की कहानी

हमें फॉलो करें Kargil Vijay Diwas: जानिए शहीद विक्रम बत्रा के पराक्रम की कहानी
, बुधवार, 26 जुलाई 2023 (11:32 IST)
Kargil war 1999
Kargil war 1999: 26 जुलाई 1999 के दिन भारतीय सेना ने कारगिल युद्ध के दौरान चलाए गए ‘ऑपरेशन विजय’ को सफलतापूर्वक अंजाम देकर भारत भूमि को घुसपैठियों के चंगुल से मुक्त कराया था। करीब 3 महीने चले इस युद्ध में भारत के 562 जवान शहीद हुए और 1363 अन्य घायल हुए थे, जबकि पाकिस्तान के अधिकृत आंकड़ों के अनुसार 600 से ज्यादा सैनिक मारे गए और जबकि 1500 से अधिक घायल हुए। अनाधिकृत आंकड़ों के अनुसार 3000 सैनिकों के मारे जाने की बात कही जाती है।
 
"या तो मैं जीतने के बाद तिरंगा लहराकर आऊंगा
या फिर उसी तिरंगे में लिपटा हुआ आऊंगा
पर आऊंगा जरूर"
- कैप्टेन विक्रम बत्रा
 
कैप्टन विक्रम बत्रा : कैप्टन विक्रम बत्रा 1999 के कारगिल युद्ध के हीरो थे। उन्होंने पॉइंट 5140 को पाकिस्तानी कब्जे से मुक्त करवाया था। कैप्टन विक्रम बत्रा ने जब इस चोटी से रेडियो के जरिये अपना विजय उद्घोष 'यह दिल मांगे मोर' कहा तो सेना ही नहीं बल्कि पूरे भारत में उनका नाम छा गया। इसी दौरान विक्रम के कोड नाम शेरशाह के साथ ही उन्हें 'कारगिल का शेर' की भी संज्ञा दे दी गई।
 
7 जुलाई 1999 को ही पॉइंट 4875 को भारतीय सेना ने विक्रम बत्रा के नेतृत्व में जीता था पर भारत के दुर्भाग्य के कारण इस वीर को खो दिया था। मरणोपरांत उन्हें परमवीर चक्र मिला।
webdunia
लेफ्टिनेंट विक्रम बत्रा को उनकी यूनिट 13 जे एंड के राइफल के साथ पॉइंट 5140 को कैप्चर करने का दायित्व दिया गया था। यह एक ऐसी चोटी थी जिसपर चढ़ना तो कठिन था ही पर यहां पाकिस्तानी घुसपैठियों ने अपना डिफेन्स बहुत जटिल कर रखा था। लेफ्टिनेंट विक्रम बत्रा के नेतृत्व में डेल्टा कंपनी और उनके साथी ले. संजीव जामवाल के नेतृत्व में ब्रावो कंपनी को रात के घने अँधेरे में हमला करने का आर्डर मिला था। जीतने के बाद बेस पर एक कोड मेसेज देना होता है, तो ले.बत्रा ने "यह दिल मांगे मोर" को चुना। रात भर लड़ने के बाद 20 जून 1999 को तडके 4:35 पर ले.बत्रा ने रेडियो पर मेसेज दिया था " चाणक्य...... इट्स शेरशाह रिपोर्टिंग....... वी हेव कैप्चर्ड द पोस्ट....... यह दिल मांगे मोर"। इस शौर्यपूर्ण कार्य के बाद उनकी पदोन्नति कर के उन्हें कैप्टन बना दिया गया था। वह इस विजय के बाद बेस से नीचे भी आए थे जहां उन्होंने टीवी इंटरव्यू भी दिया था।
 
इसी कड़ी में कैप्टेन बत्रा को अगला टास्क मिला पॉइंट 4875 को री-कैप्चर करने का मिला। यह कोई आसन काम न था। संकरा रास्ता और ऊपर से घुसपैठियों की ऐसी पोजीशन कि जिससे हमारी हर मूवमेंट पता चल जाती थी। ऐसे में टीम को लीड करते हुए और सभी को प्रोत्साहित करते हुए कैप्टेन बत्रा नेतृत्व करते हुए आगे बढे। बत्रा एक चीते के समान तेजी दिखाते हुए दुश्मनों पर टूट पड़े। उन्होंने उन पाकिस्तानी घुसपैठियों से दो-दो हाथ भी किए। इसी युद्ध में उन्होंने उनके सूबेदार को पीछे कर स्वयं दुश्मन की गोलियां खाई। उन्होंने उनसे कहा कि 'तुम बाल बच्चे वाले हो तुम पीछे हटो'। हमेशा युद्ध में आगे रहने वाले कैप्टेन विक्रम बत्रा के कारण भारत को महत्वपूर्ण पॉइंट 4875 तो मिल गया पर भारत भूमि को बचाने में वह स्वयं बलिदानी हो गए। उनके अंतिम शब्द थे, उनकी रेजिमेंट का नारा "दुर्गा माता की जय"। उनकी वीरता के कारण उन्हें मरणोपरांत सेना का सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र मिला और साथ ही पॉइंट 4875 आज 'बत्रा टॉप' के नाम से जाना जाता है।- अथर्व पंवार

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

BSE: सेंसेक्स शुरुआती कारोबार में 270 अंक चढ़ा, निफ्टी भी मजबूत