भारत की बेटियां कमाल कर रही है। पिछला हफ्ता मणिपुर की भारत्तोलक मीराबाई चानू का था, रविवार को पीवी सिंधु ने ब्रॉन्ज जीता तो बुधवार को मुक्केबाज लवलीना बोर्गोहेन ने अपने नाम ब्रॉन्ज मेडल कर लिया। लवलीना बोर्गोहेन ने क्वार्टरफाइनल में चीनी ताइपै की नियेन चिन चेन को 4-1 से हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया था।
हालांकि आज वह तुर्की की शीर्ष वरीयता प्राप्त मुक्केबाज सुरमेनली से हार गई लेकिन भारत के लिए एक ब्रॉन्ज मेडल अपने पहले ही ओलंपिक में जीत गई।आइए जानते हैं टोक्यो ओलंपिक में पदक का इंतजार खत्म करने वाली लवलीना ने कैसे बॉक्सिंग चुना।
प्रारंभिक जीवन
लवलीना बोर्गोहेन का जन्म असम के गोलाघाट जिले में 2 अक्टूबर 1997 को हुआ था। एक किक बॉक्सर के रूप में उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की थी। दिलचस्प बात यह है कि उनकी दोनों बहने भी किक बॉक्सर हैं। लवलीना के पिताजी एक छोटे से व्यापारी है और उन्होंने अपनी बेटी का सपना पूरा करने के लिए बहुत संघर्ष किया है।
लवलीना ने सबसे पहले छाप अपने स्कूल में ही छोड़ दी थी। स्पोर्ट्स अथोरिटी ऑफ इंडिया के ट्रायल में उन्होंने काफी प्रभावित किया था।
मोहम्मद अली से ली प्रेरणा
मां मामोनी बोरगोहेन के मुताबिक लवलीना की रूचि सभी खेलों में थी लेकिन एक रोचक वाक्ये ने बॉक्सिंग की तरफ उन्हें रुख करने पर मजबूर कर दिया। एक बार लवलीना के पिताजी अखबार में लपेटकर मिठाई लाए थे। उस अखबार में बॉक्सर मोहम्मद अली के बारे में छपा था। वहीं से लवलीना की रुचि बॉक्सिंग में बढ़ गई।
2012 से ट्रेनिंग लेनी शुरु की थी
स्पोर्ट्स अथोरिटी ऑफ इंडिया में चयन होने के बाद उन्होंने पेशेवर मुक्केबाजी में कोच परम बोरो ने ट्रेनिंग देना शुरु किया। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचने के बाद उनको शिव सिंह ने ट्रेनिंग दी।
पदक जीतने का सिलसिला हुआ शुरु
लवलीना ने सबसे पहले इंडिया ओपन में गोल्ड मेडल जीता। वियतनाम में खेली गई एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में उन्होंने कांस्य पदक हासिल किया। इसके बाद लवलीना ने मंगोलिया में खेले गए उलानबातर कप में रजत पदक जीता। इसके बाद उन्होंने एआईबीए महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में रजत पदक जीता।
कॉमनवेल्थ खेलों के बाद आई सुर्खियों में
2018 गोल्ड कोस्ट कॉमनलवेल्थ खेलों में स्वर्ण पदक जीतने पर वह सुर्खियों में आई और इसके बाद उन्हें बॉक्सिंग में योगदान के लिए अर्जुन अवार्ड से पुरुस्कृत भी किया गया। ओलंपिक में क्वालिफाय करने वाली वह असम से पहली खिलाड़ी बनी।(वेबदुनिया डेस्क)