कैसा होगा आपके सपनों का भारत

जिम्मेदारियां पहचानें, अच्छे नागरिक बनें

स्मृति आदित्य
फिर एक स्वतंत्रता दिवस। देश के प्रति अपनी भावनाएं अभिव्यक्त करने का दिवस। स्वयं पर स्वयं का शासन सेलीब्रेट करने का अवसर। हमारे यहां त्योहारों की विशाल श्रृंखला में राष्ट्रीय पर्व मनाने के कितने कम अवसर हैं फिर भी हम देश के प्रति अपना प्यार दर्शाने के लिए इन्हीं दो दिवस का इंतजार क्यों करते हैं?

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थोड़ा ठहर कर सोचिएगा कि अपने ही देश को प्यार करना हमारे लिए इतना मुश्किल क्यों हैं? जाहिर है, देशभक्त युवाओं को यह बात स्वीकार नहीं होगी कि वे देश को प्यार नहीं करते।

वे तो अपने वाहनों पर तिरंगा लहराते हैं, अपने मोबाइल में देशभक्ति की हैलो ट्यून लगवाते हैं, स्क्रीनसेवर, वॉलपेपर,डेस्कटॉप, वेशभूषा सब तो देश के प्यार में रंगे होते हैं फिर कैसे मान लें कि हमें इस दिन की परवाह नहीं? हमें देश से प्यार नहीं? देशभक्ति को किसी पैमाने पर नहीं मापा जा सकता इसके लिए सचमुच दिल पर हाथ रखकर खुद को ही कुछ ईमानदार जवाब देने होंगे।

क्या आप नशा करते हैं?
अगर इस प्रश्न का उत्तर 'हां' हैं तो माफ कीजिएगा आप अपने देश से प्यार नहीं करते। देश को सशक्त, संस्कारी और जोश से भरे युवाओं की आवश्यकता है। अगर आप नशे के शिकंजे में फंसे हैं तो चाहे दिल में आपके ‍कितनी ही देशभक्ति लहरा रही हो लेकिन देश के वह किसी काम की नहीं। अपनी रचनात्मकता का आप दो प्रतिशत भी इस देश को नहीं देते हैं क्योंकि नशा आपको इस लायक छोड़ता ही नहीं है।

नशा आपसे स्वयं पर नियंत्रण छीन लेता है। आपकी सोचने-समझने की क्षमता को कमजोर कर देता है। जब आप नशे की हालत में होते हैं तब सही-गलत का अंतर भूल जाते हैं। खुद का भला भी नहीं सोच पाते फिर देश के लिए वक्त कहां से निकालेगें? अगर आप अपने आप को यूं बर्बाद कर रहे हैं तो यकीन जानिए कि आप देश को बर्बाद कर रहे हैं। हा ं, आप देश से प्यार नहीं कर रहे हैं।

क्या आप महिलाओं का सम्मान करते हैं?
अगर इस प्रश्न का उत्तर देने में आपको सोचना पड़ रहा है। सीधे-सादे प्रश्न को समझने में भी आपको वक्त लग रहा है तो अपने आपसे पूछिए कि क्या सचमुच आप देश को प्यार करते हैं। आप दोस्तों के साथ एकांत में लड़कियों को लेकर अश्लील टिप्पणी करते हैं, आप लड़कियों की नाजुक भावनाओं से खिलवाड़ करते हैं, आपने कितनी ही लड़कियों को अपने प्रेमजाल में फंसा कर छोड़ दिया है, आप नेट पर आपत्तिजनक साइट्स ढूंढते हैं, लड़कियां आपके लिए मौज-मस्ती का विषय है और सड़क चलते, बसों और अन्य जगहों पर आप उन पर फब्तियां कसते हैं तब तो आप इस देश में रहने लायक ही नहीं है।

फिर आपकी दिखावे की देशभक्ति देश के किस काम की? यह देश सदियों से नारीत्व को सम्मान देने वाली गरिमामयी संस्कृति के लिए जाना जाता है अगर इस देश में रहकर आप नारी का किसी भी रूप में अपमान करते हैं तो आप इस देश से प्यार नहीं करते।

क्या आप सड़क पर गंदगी फैलाते हैं?
इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए आपको अपनी आदतों का निष्पक्ष मुआयना करना होगा। पैदल, सड़क चलते कार का दरवाजा खोलकर पान की पिक थूकते हैं, गंदी पोलिथीन, गुटखे के पाउच और सिगरेट के टुकड़े जहां-तहां फेंकते हैं। ऐतिहासिक स्थलों पर कोयले या चॉक से प्रेम का इजहार करते हैं, किसी भी दीवार को बाथरूम समझ लेते हैं, घर का कूड़ा दूसरों के घर के सामने छोड़ आते हैं तो खुद ही जवाब दीजिए कि ऐसा कैसा प्यार है आपका जो अपने ही प्यारे देश को गंदा और अव्यवस्थित करने पर तुला है?

अगर आप इनमें से कोई या इससे मिलती-जुलती वह हरकत करते हैं जो सड़क को गंदा करती है तो आपको कोई हक नहीं सरकार की नाकामियों को कोसने का। आपको कोई हक नहीं व्यवस्था को गाली देने का और तो और आपको अपने देश को प्यार करने का भी हक नहीं है। फिर भी अगर आप अपने देश को चाहते हैं तो यह चाहत देश के लिए तो बेमानी है।

क्या आप रिश्वत देते या लेते हैं?
अपना काम जल्दी करवाने के लालच में आप पैसे देने से नहीं हिचकिचाते या आप खुद किसी काम को जल्दी करने के लिए ऊपरी आमदनी में विश्वास रखते हैं तो इस प्रश्न के उत्तर के साथ ही आपने अपने देश के सच्चे नागरिक होने का अधिकार खो ‍दिया है। भ्रष्टाचार तमाम बुराइयों की जड़ है। लालच इस भ्रष्टाचार की जननी है। अगर आप किसी भी रूप में इस तरह के काम में शामिल हैं तो देश के लिए कितने ही ऊंचे स्वर में नारे लगा लीजिए सब खोखले हैं।

आप अगर सचमुच अपने देश को प्यार करते हैं तो इसे भीतर से भी खूबसूरत बनाइए। कर्मों से ऐसे आदर्श रचिए कि भ्रष्टाचार का मूल समाप्त हो सके। एक अकेले अन्ना या किरण बेदी ही क्यों फिक्रमंद हैं देश में लोकपाल बिल लाने के लिए? हम-आप क्यों नहीं नहीं बनते उनकी ताकत? जब हम स्वयं भ्रष्टाचार से दूर होंग े तब ही तो उनका दिल खोलकर साथ दे पाएंगे।

क्या आप मक्कार हैं?
अगर आप अपने काम को बोझ समझते हैं, निरंतर सुधार और बेहतरी की और नहीं बढ़ते हैं तो कोई हक नहीं आपको देशप्रेम के गानों पर झूमने और नाचने का। अगर आप सिर्फ अपने बॉस को दिखाने के लिए काम करते हैं। उनकी अनुपस्थिति में आप केंटिन की शोभा बढ़ाते हैं या दूसरी टेबलों पर गपियाना आपका प्रिय शगल है तो अप्रत्यक्ष रूप से आप अपने देश का नुकसान कर रहे हैं।

अपना तो खैर कर ही रहे हैं क्योंकि बेईमानी पहले इंसान को नीचे गिराती है बाद में दूसरों को हानि पहुंचाती है। जिस देश में मक्कारी और बेईमानी ने पैर फैला रखें हो वह तरक्की की राहों पर तेजी से कैसे बढ़ सकेगा? जब देश की तरक्की में आपका कोई योगदान नहीं तब आपका प्यार लेकर देश कैस े कामयाबी के परचम लहरा सकेगा?

देश का नाम रोशन करने की जिम्मेदारी सिर्फ सचिन ते ंदुलकर की ही नहीं है आपकी भी है। आप अपने काम के सचिन यानी मास्टर बनिए यही असली देशभक्ति होगी।

कहने को इस तरह के प्रश्नों की लंबी फेहरिस्त है जिनके उत्तर आपको यह समझने में मददगार होंगे कि आपके मन में अपने देश के लिए कितना प्यार है। प्यार, महज 'आई लव माय इंडिया' जैसे शब्दों से ही जाहिर नहीं होता बल्कि आपके व्यवहार, रूचि और कर्मों से अधिक दिखाई पड़ता है। इस स्वतंत्रता दिवस पर अपनी आदतों का मूल्यांकन करें और देश के लिए अच्‍छे इंसान बनने की पहल शुरू कीजिए।

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