Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

भारत भूमि

हमें फॉलो करें भारत भूमि
ND

माँ हम विदा हो जाते हैं, हम विजय केतु फहराने आज।
तेरी बलिवेदी पर चढ़कर माँ निज शीश कटाने आज॥

मलिन वेश ये आँसू कैसे, कंपित होता है क्यों गात?
वीर प्रसूति क्यों रोती है, जब लग खंग हमारे हाथ॥

धरा शीघ्र ही धसक जाएगी, टूट जाएँगे न झुके तार।
विश्व काँपता रह जाएगा, होगी माँ जब रण हुंकार॥

नृत्य करेगी रण प्रांगण में, फिर-फिर खंग हमारी आज।
अरि शिर गिरकर यही कहेंगे, भारत भूमि तुम्हारी आज॥

अभी शमशीर कातिल ने, न ली थी अपने हाथों में।
हजारों सिर पुकार उठे, कहो दरकार कितने हैं॥

- चंद्रशेखर आजाद के वीर रस की काव्य झलकियाँ।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi