Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

बॉलीवुड का बढ़ता जलवा

विश्व सिनेमा में भारतीय सिनेमा ने परचम लहराया

हमें फॉलो करें बॉलीवुड का बढ़ता जलवा

समय ताम्रकर

WD


कुछ वर्ष पहले यदि दुनिया के किसी कोने में ‘बॉलीवु’ शब्द बोला जाता तो सामने वाला उसे हॉलीवुड ही सुनता था क्योंकि बॉलीवुड उसके लिए एक अनसुना शब्द था। हाल ही के वर्षों में दुनिया एक छोटे परिवार में तब्दील हो गई है। इंटरनेट और मोबाइल के जरिये नजदीकियाँ बढ़ गई हैं। भारतीय सिनेमा को भी इसका फायदा मिला है।

आजादी के पहले ही अस्तित्व में आ चुका भारतीय सिनेमा समय के साथ-साथ नित नई ऊँचाइयों को छू रहा है। आजादी के बाद से ही भारतीय सिनेमा में लगातार बदलाव हमें देखने को मिलते हैं। तकनीकी रूप से हमारा सिनेमा भी समृद्ध हुआ है और ‘कंटें’ हर दौर में मजबूत रहा है। वी.शांताराम, मेहबूब, गुरुदत्त, बिमल रॉय, सत्यजित रे, राज कपूर, श्याम बेनेगल ने उस दौर में भी बेहतरीन फिल्में बनाई थीं, जब तकनीकी रूप से हम पिछड़े हुए थे, लेकिन विश्व के नक्शे पर हमारी फिल्मों को कोई जानता नहीं था। इन लोगों के पास वो साधन और मंच उपलब्ध नहीं थे

इक्का-दुक्का फिल्मी समारोह में ये फिल्में दिखाई जाती थीं और थोड़ी-बहुत चर्चा होती थी। समय अब बदल गया है और भारतीय फिल्मों ने तेजी से अपनी पहचान बनाई है। कहा जा सकता है कि भारतीय संस्कृति, लोग और देश का प्रतिनिधित्व इन फिल्मों ने किया और दूर देशों के लोग भी इन फिल्मों के जरिये भारत को जानने लगे हैं। मदारी और साँपों के देश की जो इमेज उनके दिमाग में बनी हुई है, उसे भारतीय सिनेमा धुँधला करने में लगा हुआ है

भारत का नाम उन देशों में शामिल है, जहाँ सर्वाधिक फिल्में बनती हैं। अनेक भाषाओं में इनका निर्माण होता है और भारतीय फिल्मों का बाजार दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। इसी वजह से हॉलीवुड के बड़े स्टूडियो की नजर भारत पर पड़ी और उन्होंने महँगी फिल्मों के साथ भारत में प्रवेश किया।

हॉलीवुड फिल्मों ने अनेक देशों के सिनेमा को खत्म किया है क्योंकि उन देशों की फिल्में हॉलीवुड का मुकाबला नहीं कर पाईं। बॉलीवुड में हॉलीवुड का जोर नहीं चला। यहाँ के दर्शकों ने सुपरमैन को भी सराहा तो देशी ‘कृ’ को भी उतना ही प्यार दिया। यही वजह है कि हॉलीवुड को भारतीय भाषाओं के सामने झुकना पड़ा। उनका स्पाइडरमैन हमारी भोजपुरी बोलता हुआ नजर आया।

हमारे सिनेमा ने उन्हें कड़ी टक्कर दी और इसके प्रभाव को उन्हें स्वीकारना पड़ा। हर रंग को अपने रंग में ढालने वाला हॉलीवुड अब भारतीय रंग में अपने को ढाल रहा है। वे भारतीय फिल्मों पर पैसा लगा रहे हैं। भारतीय कलाकारों और निर्देशकों को लेकर फिल्म बना रहे हैं। ‘साँवरिय’, ‘चाँदनी चौक टू चाइन’ और ‘तेरे सं’ जैसी कुछ फिल्मों में उन्होंने निवेश किया। भारतीय फिल्मों को खरीदकर वे प्रदर्शित कर रहे हैं।

हाल ही में करण जौहर और शाहरुख खान की फिल्म ‘माय नेम इज़ खा’ के वितरण अधिकार हॉलीवुड के प्रतिष्ठित फॉक्स स्टार स्टूडियो ने खरीदे हैं। इस फिल्म को दोहरा लाभ हुआ है। ऊँची रकम के साथ-साथ दुनिया के ज्यादा से ज्यादा लोगों के बीच यह फिल्म पहुँचेगी।

आज अनुराग कश्यप वेनिस फिल्म समारोह में ज्युरी हैं। ओम पुरी, इरफान खान, ऐश्वर्या राय जैसे कलाकार अपनी प्रतिभा की चमक हॉलीवुड फिल्मों में बिखेर रहे हैं, लेकिन इससे बड़ी बात यह है कि सिल्वेस्टर स्टेलॉन जैसे बड़े सितारे भी ‘कमबख्त इश्’ जैसी फिल्मों में छोटा-सा रोल कर रहे हैं। उन्हें भी इस बात की उम्मीद है कि इन भारतीय फिल्मों के जरिये वे ज्यादा लोग तक पहुँचेंगे।

यहाँ ‘स्लमडॉग मिलियनेय’ का उल्लेख करना जरूरी है। भले ही यह फिल्म विदेशी ने बनाई हो, लेकिन ऑस्कर जीतने में भारतीय भी कामयाब हुए। एआर रहमान, फ्रीडा पिंटो, रसूल पुट्टी जैसे कलाकार हॉलीवुड से जुड़ गए हैं। गर्व करने लायक बात यह नहीं है कि हमें हॉलीवुड में काम मिलने लगा है बल्कि यह है कि विदेशों में भारतीय प्रतिभा को खुले दिल से स्वीकारा जा रहा है।

अब जब भी दुनिया के किसी कोने में आप ‘बॉलीवु’ शब्द कहेंगे तो सामने वाला समझ जाएगा कि आप भारतीय फिल्मों की बात कर रहे हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi