Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

आजादी के 61 वर्ष बाद धर्म

भारतीयता ही हमारा धर्म है

हमें फॉलो करें आजादी के 61 वर्ष बाद धर्म
अखिलेश श्रीराम बिल्लौर

WDWD
धर्म क्या है? इसकी सही परिभाषा पर शायद कम ही ध्यान दिया जाता है। सरकार कहती है कि भारत विभिन्न धर्मों का देश है- हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई आदि। ... और जोड़ती है कि इस विभिन्नता में एकता ही इस देश की विशेषता है। सही है- विभिन्नता में एकता हमारे देश की विशिष्ट पहचान है, लेकिन सवाल यहाँ यह है कि धर्म को किस रूप में देश में प्रस्तुत किया गया है। उसका वास्तविक अर्थ क्या है। पारिभाषिक शब्दों में कहा जाए तो धर्म का सीधा-सीधा अर्थ कर्तव्य बताया गया है। ... और है भी यही।

फिर भी दुनिया में विभिन्न देवताओं को मानने वाले और आकार-निराकार में पूजने वालों को अलग-अलग वर्गों में बाँटकर कहा गया है कि यह हिन्दू धर्म को मानता है, वह मुस्लिम धर्म को तो वह अन्य। इसी कारण धर्म अलग-अलग वर्गों में बँट गया। इसके अनुयायी विभिन्न नामों से पहचाने जाने लगे। फिर शुरुआत हो गई एक-दूसरे को श्रेष्ठ साबित करने की। सभी अनुयायी अपने-अपने धर्म के अनुसार अपने-अपने ईश्वर को मानने के लिए स्वतंत्र हैं। यहाँ तक तो ठीक है कि ये लोग अपनी परंपरा, संस्कृति के अनुसार आचार-व्यवहार करें और किसी अन्य को इन्हें मानने के लिए बाध्य न करें। यहाँ स्वतंत्रता हमारे देश में है।

लेकिन सदियों से यह झगड़ा चला आ रहा है कि हम उससे श्रेष्ठ हैं। नहीं मानने पर विवाद हुआ और विवाद कब खूनी संघर्ष में बदल गया, इसकी कहानी किसी से छिपी नहीं है। यह सही तरीके से कोई बताने के लिए तैयार नहीं कि या स्वीकार करने को तैयार नहीं कि किसने सबसे पहला ऐसा कदम उठाया जो इंसानियत के लिए घातक सिद्ध हुआ। इन झगड़ों को साम्प्रदायिकता का जामा पहना दिया गया।

webdunia
WDWD
देश में मुगलों के शासन के समय यानी औरंगजेब के काल में इतिहास कहता है कि निर्दोष लोगों को केवल इसीलिए मारा गया या उनका धर्म परिवर्तन कराया गया कि वे अन्य धर्म को मानते थे। दूसरी ओर एक धर्म को मानने वाले दूसरे धर्म के व्यक्ति को अधर्मी कहकर उसे अछूत कहते थे। उससे दूर रहने में ही अपना हित समझते थे। ... और यह स्थिति इस देश के दो प्रमुख धर्मों में विद्यमान थी। यह अँगरेजों के शासनकाल में विलुप्त हो जाती यदि दोनों धर्मों के लोग केवल मानवता को धर्म मानकर उनका सही विरोध करते। इसी का फायदा अँगरेजों ने उठाया और आजादी हमें मिली दो टुकड़ों में बँटकर।

जब आजादी मिली तब भी इन तथाकथित धर्मानुयायियों ने अपनी जिद नहीं छोड़ी। ... और अनेक निर्दोष मौत के घाट उतार दिए गए या खदेड़ दिए गए। यह खूनी मंजर दोनों तरफ चला। इसके बाद भारत को कुछ हद तक संभल गया लेकिन पाकिस्तान और बांग्लादेश में आज भी अल्पसंख्यक उतने सुरक्षित नहीं हैं जितने भारत में। भारत का सरताज कहा जाने वाला कश्मीर इसी आग में आज तक झुलस रहा है।

आजादी के बाद देश में बाहरी शक्तियों का अप्रत्यक्ष रूप से आक्रमण शुरू हुआ। क्योंकि इस देश के प्रति शेष विश्व को ऐसा लगने लगा कि यहाँ कैसे अनेकता में एकता रह सकती है। कैसे यहाँ के लोग आपसी सद्‍भाव से रह रहे हैं। यदि ऐसा ही चलता रहा तो यह देश बहुत जल्दी तरक्की करेगा। इसलिए यहाँ फिर से नया खेल खेला जाने लगा- एक दूसरे को लड़ाने का। यदि किसी धर्म के एक व्यक्ति ने एक स्थान पर कुछ अशांति फैलाई तो दूसरे स्थान पर उसी धर्म के अन्य निर्दोष को मार दिया गया, आखिर क्यों?

देश में इसी के चलते आतंकवाद नामक दैत्यासुर ने आकार ग्रहण किया और कथित राजनीतिक स्वार्थों के चलते इसका विनाश नहीं हो सका। आज हर धर्म को मानने वाला आम आदमी शांति से जीना चाहता है, लेकिन तथाकथित लोग कहीं बम बरसा देते हैं तो कहीं किसी को बिना वजह मार दिया जाता है। उनका उद्देश्य कल भी वही था और आज भी वही है- इस देश में अशांति फैलाना।

स्वतंत्रता के इस पावन पर्व पर हम सभी मानवता के धर्म को सर्वोपरि मानकर एक-दूसरे की भावनाओं का आदर करें और अपनी एकता को और मजबूत बनाने का संकल्प लें। इसके अलावा आतंकवाद का डटकर मुकाबला करने का साहस प्रत्येक भारतीय में पैदा हो, इस जज्बे को मजबूत करें तो यही उन शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी, जिनका न कोई धर्म था, न ही स्वार्थ, बस उनका कोई धर्म था तो वह यह कि हम भारतीय हैं और हमें आजाद होना है। भारत माता ही उनकी माँ थी और भारतीय होना ही उनका धर्म था। हम भी यही संकल्प लें। जय हिन्द!

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi