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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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आजादी के 61 वर्ष बाद उद्योग

बदलती संस्कृ‍ति और बाजार

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नवीन रांग‍िया
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भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग
ऑटोमोबाइल उद्योग ने अप्रैल-जनवरी में 2007 के दौरान अनुमानत: 15.4 प्रतिशत वृद्धि की है। जबकि पि‍छले एक दशक में इसकी वार्षि‍क बढ़ोतरी 10 से 15 प्रतिशत के रुप में हुई है। इस क्षेत्र में बढ़ते निवेश को देखते हुए अगले 10 वर्षों मे इसके विकास में दोगुना वृद्धि होने के अनुमान हैं।

लगातार विकास और समर्पण से भारतीय ऑटोमोबाइल दुनिया में ूसरा सबसे बड़ा ट्रैक्‍टर और दोपह‍िया वाहन का उत्‍पादक बन गया है। इसके साथ ही भारत व्‍यावसायिक वाहनों के उत्‍पादन में दुनिया में पाँचवें स्‍थान पर है। वहीं एशिया में भारतीय ऑटो मोबाइल पहले स्‍थान पर पहुँच गया है।

ह‍िन्दुस्‍तान मोटर्स, मारूति उद्योग, फियेट इंडिया प्रा.लि, टाटा मोटर्स, बजाज मोटर्स, हीरो मोटर्स, अशोक लिलेंड और मह‍िंद्रा एंड मह‍िंद्रा ने दुनिया भर में वाहन उद्योग में अपना प्रभुत्‍व जमाया है और भारतीय आर्थिक तंत्र को मजबूत किया है। टोयोटा, किर्लोस्‍कर, स्‍कोडा, ैसी विदेशी कंपनियों ने भी भारतीय बाजार में अपने उत्‍पादन बेचकर न सिर्फ भारतीय ओटो मोबाइल को बल्कि यहाँ की आर्थिक गति को भी मजबूती प्रदान की है।

आजादी के दौरान या इसके आसपास के समय में तो भारत में साइकिल खरीदना भी आम आदमी के लिए एक सपना था, लेकिन भारत के अग्रणी उद्यमी रतन टाटा ने 1 लाख की 'नैनो कार' बनाकर भारतीय बाजार में न सिर्फ क्रांति ला दी बल्कि भारतीय मध्‍यमवर्गीय लोगों के सपनों को भी पूरा किया।

आजादी के बाद इस क्षेत्र में भारतीय उद्योग जगत की यह सबसे बड़ी उपलब्धि है कि अब आम आदमी भी आसन किश्‍तों में कार खरीदकर अपना सपना साकार कर सकता है।

भारत सरकार ने विदेशी विनिमय और इक्‍ि‍वटी का पुन: मुल्‍यांकन किया और आयात-निर्यात पर लगने वाले अधिभार घटाकर
बड़े पैमाने पर भारतीय उत्‍पादों को अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर पहुँचाया है। वर्तमान में निर्यात के मामले में भारत दुनिया में सबसे आगे है।

भारतीय ऑटो मोबाइल उद्योग को पूरी दुनिया में और अधिक लोकप्रिय बनाने और भारत को ऑटो मोबाइल हब बनाने के लिहाज से एक योजना बनाई गई है जिसे 2016 तक पूरा किया जाना है।

रिटेल, मॉल्‍स व मल्‍टीप्‍लेक्‍स कल्‍चर
आजादी के बाद भारत के राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों में कई तरह के बदलाव आए हैं। सामाजिक तौर पर तो कई बदलाव उल्‍लेखनीय है। सामाजिक सुधार, शि‍क्षा के स्‍तर में सुधार, खान-पान और रहन-सहन आदि।

इन्‍हीं सभी बदलावों के चलते खान-पान और रहन-सहन की वस्‍तुओं में माँग और खपत बढ़ी है। जिसके कारण पि‍छले कुछ सालों में भारत में एक नए तरह का प्रचलन बढ़ा है। मॉल्स और शापिंग ट्रेंडस् का।

अब सिर्फ मैट्रो शहर में ही नहीं बल्कि छोटे शहरों में भी खरीददारी और ैर-सपाटे के लिए शॉपिंग मॉल्‍स और सुपर बाजार जैसी जगहों का निर्माण होने लगा है, जहाँ पिज्‍जा-बर्गर संस्‍कति और आधुनिक शैली से जीवन जीने वाले युवक-युवतियों का जमावड़ा लगा रहता है।

अब मध्‍यमवर्गीय परिवार भी अपनी जरूरतों का सामान, खान-पान और रहन-सहन की खरीददारी के लिए इन शॉपिंग मॉल्‍स और सुपर बाजारों का रुख करने लगा हैं।फिल्‍म देखने के नए त‍रीके मल्‍टीप्‍लेक्‍स के प्रचलन में आने से मनोरंजन के आयाम ही बदल गए है।

चमकते-दमकते मॉल्‍स, खाने-पीने के विकल्‍प, मनोरंजन के साधन, आसानी से एक ही ज‍गह उपलब्‍ध होने वाली वस्‍तुएँ आधुनिक जीवन शैली,को देखकर लगता नहीं है कि यह देश 200 सालों तक गुलाम रहा है।

भारत में सॉफ्टवेअर इंडस्‍ट्रीज-
वर्तमान में भारत सॉफ्टवेअर इंडस्‍ट्रीज में इतना आगे बढ़ गया है कि दुनिया के अधिकांश देश भारत के बनाऐ सॉफ्टवेअर का उपयोग करने में यकीन करते है। आईटी सेक्‍टर में भारत आज एक अग्रणी देश माना जाता है।

कम्‍प्‍युटर मेंटेनेन्‍स, बिजनैस मैनेजमेंट, इंडस्‍ट्रीज मैनेजमेंट क्षेत्रों में भारत एडवांस्‍ड सॉफ्टवेअर के उत्‍पादन में अपना खासा दखल रखता है। बैंगलूरु सॉफ्टवेअर डवलेपमेंट के लिए एक विशेष इंडस्‍ट्रीज या हब माना जाता है।

मीड‍िया और बाजारवाद-
भारत में अभी-अभी जैसे सूचना और मनोरंजन के क्षेत्र में क्रांति आ गई है। रोज नित- नए समाचार चैनल्‍स, मनोरंजन चैनल्‍स और अखबारों की बाढ़ सी आ गई है।

छोटे शहरों में भी सूचना और मनोरंजन की माँग के चलते टैब्‍लॉयड अखबारों की शुरूआत ुई है। ये कॉम्‍पैक्‍ट अखबार कभी-कभी ब्रॉडशी‍ट्स अखबारों से भी ज्‍यादा लोकप्रिय होते नजर आते है। हाँलाकि म‍ीडिया में बाजारवाद भी हावी हूआ है।

पलक झपकते आप सूचना प्राप्‍त करने में आज समर्थ है और मनोरंजन के लिए सैंकड़ों चैनल्‍स आपके टीवी सेट्स पर उपलब्‍ध।
  रिलायंस, विप्रो, टाटा और भी कई इसी तरह की कंपनि‍याँ बीपीओ के क्षेत्र में राष्‍ट्रीय और अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर अपना नाम दर्ज कर चुकी हैं। आजादी के बाद भारत का चेहरा पूरी तरह बदल गया और निंरतर बदल रहा है....      


बीपीओ-कॉल सेंटर्स
सॉफ्टवेअर इंडस्‍ट्रीज के साथ-साथ भारत बिजनैस प्रोसेस आउट सोर्स‍िंग (बीपीओ) के माध्‍यम से ग्राहकों को बेहतर सेवाएँ प्रदान करने के लिए भी निंरतर प्रगति कर रहा है।

रिलायंस, विप्रो, टाटा और भी कई इसी तरह की कंपनि‍याँ बीपीओ के क्षेत्र में राष्‍ट्रीय और अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर अपना नाम दर्ज कर ुकी हैं।
आजादी के बाद भारत का चेहरा पूरी तरह बदल गया और निंरतर बदल रहा है। इन सभी बदलावों के साथ भारत का आर्थिक ढाँचा अधिक गतिशील और मजबुत हो गया है।

सामाजिक व औद्योगिक परिवर्तन और विकास के परिणामस्‍वरूप भारत की आर्थिक नींव मजबूत ुई है इसमें कोई संदेह नहीं है।

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